Wednesday 14 August 2024

दो शहरों की मोहब्बत


तुम आना मेरे शहर मुझे होली पर रंग लगाने अपने इश्क का,

मैं दिवाली पर तुम्हें भिजवाऊँगी रोशनी अपने प्यार की,

बारिश बरसेगी जब तेरे शहर में,

तो मुझे याद करते हुए तुम बनाना चाय अदरक वाली,

मैं अपने शहर की सुहानी धूप में खड़े हो,

मुस्कुराते हुए तुम्हें याद करूंगी। 

 तुम आना जाना दूरियाँ मिटाने मेरे शहर,

मैं तेरे साथ तेरे शहर पहुँचकर,

तेरे घर की दहलीज को सजदा करूंगी,

वो जो गुलाब है तेरे घर में,

तुम सजाना उससे जुल्फें मेरी,

मैं अपने घर में तेरे लिए गुलाब खिलाऊंगी। 

खड़े होकर तेरे घर की बालकनी में,

महसूस करूंगी तेरे शहर की हवाओं को, 

तुम मेरे शहर की हवाओं में मेरे साथ खो जाना,

ये मोहब्बत तेरी मेरी नहीं,

दो शहरों की है,

तुम मेरे साथ इन दोनों को मिलाकर,

इश्क़ की दुनिया में खो जाना।

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