Wednesday 20 March 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 1

 



अमेरिका


रात के ग्यारह बज रहे थे। अयांश अपने कमरे में सोफे पर बैठे हुए सामने दीवार पर लगी तस्वीर को देख रहा था। उसने अपने एक हाथ में वाइन का ग्लास पकड़ रखा था जिसे वो धीरे धीरे पी रहा था। वो तस्वीर को देखते हुए कुछ सोच ही रहा था की तभी उसका फोन बजा।


उसने साइड वाली टेबल से अपना फोन उठाकर स्क्रीन पर फोन करने वाले का नाम देखा जिसे देखते ही उसे सारी पुरानी बुरी यादें जिन्हें वो बहुत टाइम से भुलाने की कोशिश कर रहा है याद आ गई क्योंकि फोन ऐसे इंसान का था जिससे वो न चाहते हुए भी बहुत नफरत करता था। 


उसने फोन को टेबल पर वापिस रख दिया। फोन कट गया और कुछ देर बाद फिर से बजा। इस बार उसने गुस्से में फोन उठाया और कहा, “जब आप जानते है की मैं आपसे कोई बात नही करना चाहता न ही आपसे कोई रिश्ता रखना चाहता हूँ तो क्यों आप मुझे बार बार फोन कर रहे है?” 


“अपने पापा से इतनी नफरत कैसे करने लगे तुम अयांश?” उसके पिता, राकेश ने पूछा। 


अयांश वाइन का गिलास पकड़े हुए सोफे से उठकर अपने कमरे की बालकनी में गया और आसमान में चमक रहे तारों को देखते हुए कहा, “मुझे नही लगता आपने जो भी मेरे साथ किया उसके बाद मुझे आपसे कोई रिश्ता रखना चाहिए।” 


“चार साल हो चुके है उस बात को अयांश और कितनी बार मैं और तुम्हारी माँ तुमसे माफी मांग चुके है। कब तक ऐसे दूर रहोगे हमसे। माफ करदो बेटा हमे।” राकेश ने दुखी होते हुए कहा। 


अयांश ने अपने हाथ में पकड़े गिलास से वाइन का एक घूंट भरा और कहा, “बहुत बार कोशिश की मैंने आपको माफ करने की पर हर बार मेरी आँखों के आगे वो सारे बुरे पल आ जाते है और फिर याद आता है की आपने मुझसे मेरी सारी खुशियां छीन ली थी। कैसे माफ करूं आपको। मैं आपको जिंदगी भर माफ नही कर पाऊंगा।”


“तुम एक ऐसी लड़की के लिए अपने माँ बाप से दूर हो जो अब इस दुनिया में है ही नही। भूल क्यों नही जाते तुम उसे।” राकेश ने गुस्से में कहा।


ये सुनकर अयांश हँसने लगा। “किसने कहा वो इस दुनिया मे मेरे साथ नही है। वो मेरे दिल की हर धड़कन में है, मेरी हर एक सांस में और मेरी यादों में मेरे साथ जिंदा है और हमेशा रहेगी। और साथ ही हमेशा जिंदा रहेगी वो मोहब्बत जो हम दोनों ने एक दूसरे के साथ की थी क्योंकि इस दुनिया से प्यार करने वाले तो जा सकते है पर जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें।” कहकर अयांश ने फोन काट दिया। 


वो अपने कमरे के अंदर आकर दीवार पर लगी तस्वीर के पास जाता है और उसे छूते हुए कहता है, “मेरी लाइफ का सबसे खूबसूरत हिस्सा हो तुम। तुमने ही आज से दस साल पहले मेरी लाइफ को बहुत सारी खुशियों और प्यार से भरा था। मेरी क्यूट सी टेडी बियर, आहना।”


दस साल पहले दिल्ली में,


सितंबर का महीना चल रहा था। अयांश आहना के घर में बैठा उसके आने का इंतजार कर रहा था। आज से उन दोनों की लाइफ की एक नई शुरुआत होने जा रही थी क्योंकी आज उनके कॉलेज का पहला दिन था। आहना के पापा, कबीर भी उसके साथ ही बैठे हुए थे। आहना अपने कमरे से अपना बैग हाथ में पकड़े हुए बाहर आकर कहती है, "चले अयांश।”


अयांश उसे देखता ही रह गया। हल्के गुलाबी रंग की ड्रेस में वो बहुत ही प्यारी लग रही थी। साथ ही उसके घने काले बाल, जो की खुले हुए थे, उसकी खूबसूरती को बढ़ा रहे थे। 


“अयांश।” आहना ने उसे एक बार फिर बुलाया जिससे उसकी तंद्रा टूटी और उसने कहा, “हाँ।”


“चलो, वरना कॉलेज के पहले दिन ही लेट हो जाएंगे हम।" आहना ने अपने बैग को कंधे पर डालते हुए कहा। 


“हाँ, चलो।” अयांश ने खड़े होते हुए कहा। 


आहना कबीर से मिलकर अयांश के साथ बाहर जाने वाली होती है की तभी कबीर उसे वापिस अपने पास बुलाते है और उसके माथे को चूमते हुए कहते है, “मुझे उम्मीद है कि तुम मेरा नाम रोशन करोगी।” कबीर के इन शब्दों ने आहना के चेहरे पर मुस्कान लाने के बजाय उसे उदास कर दिया। अयांश ने देखा कि आहना के साथ कुछ ठीक नही है या वह कबीर से कुछ छुपा रही है पर वो चुप रहा। 


आहना को कल ही कबीर की रिपोर्ट्स मिली थी जिससे आहना को पता चला की कबीर के हार्ट में प्राब्लम है और उन्हें जल्द ही ऑपरेशन की जरूरत है वरना वह उन्हें हमेशा के लिए खो देगी। यही वजह थी जिससे आहना उदास हो गई। 


आहना अयांश के साथ घर से निकली और उसकी गाड़ी में बैठ गई। अयांश ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और सीट बेल्ट बांध ली।


“रुको, क्या तुम गाड़ी चलाने जा रहे हो?” आहना ने पिछली सीट पर बैठेते हुए हैरानी से पूछा। 


“क्यों? तुम्हें कोई परेशानी है?” अयांश ने सामने लगे शीशे में पीछे बैठी आहना को देखते हुए पूछा। 


आहना हैरान थी क्योंकि आज से पहले उसने हमेशा ड्राइवर को ही अयांश को स्कूल ले जाते हुए देखा था। उसने जल्दी से कहा, “नही, मैं बस थोड़ी सी हैरान हूं।” 


आहना अयांश के साथ वाली सीट पर आगे आकर बैठ गई और अयांश गाड़ी चलाने लगा। गाड़ी चलाते हुए उसकी नजर आहना पर पड़ी जिसकी भूरी आँखों से उसकी परेशानी का साफ पता लग रहा था।


“क्या तुम किसी बात को लेकर परेशान हो?” अयांश ने आहना की ओर देखते हुए पूछा जो कबीर को लेकर बहुत ही गहरी सोच में खोई हुई थी। अयांश की आवाज से उसकी तंद्रा टूटी और उसने कहा, “नही, ऐसी…ऐसी कोई बात नही है?” 


“तो आज तुम इतनी चुप क्यों हो।” अयांश ने रोड पर ध्यान लगाते हुए कहा। 


आहना को बहुत ज्यादा बाते करना पसन्द था और स्कूल में हमेशा अयांश उससे परेशान हो जाया करता था लेकिन आज वो बहुत ही ज्यादा चुप थी जैसे अंदर ही अंदर कोई बात उसे बहुत परेशान कर रही हो। अयांश उसकी चुप्पी नही देख पा रहा था। 


“मैं ठीक हूँ।” आहना ने धीरे से कहा। कुछ ही देर में दोनों कॉलेज पहुँच गए।


"चलो अपने दोस्तों को ढूंढते हैं।" अयांश ने गाड़ी से उतरते हुए कहा। आहना भी गाड़ी से उतरकर उसके साथ चल पड़ी। वो दोनों कॉलेज की कैंटीन में चले गए। 


“अयांश, आहना। अच्छा हुआ तुम दोनों आ गए।” उन दोनों को देखकर उनके सबसे अच्छे दोस्त निखिल  ने कहा।


“क्या हुआ?” अयांश ने बैठते हुए पूछा। आहना भी उसके साथ वाली कुर्सी पर बैठ गई। 


“कुछ नही हुआ है बस हम सब कॉलेज के बाद पार्टी करने की सोच रहे है। कॉलेज का पहला दिन सेलिब्रेट करने के लिए।” निखिल ने कहा तो अयांश खुश हो गया क्योंकि उसे पार्टी करने का बहुत शौक था। उसने खुश होते हुए पूछा, “क्या सच में? कहा जाने का सोचा है तुम सबने?” आहना चुप चाप बैठी उनकी बाते सुन रही थी। 


"किसी भी रेस्टोरेंट या किसी के घर पर अगर उसके पैरेंट्स परमिशन देदे।" निखिल  ने कहा। ये सुनते ही अयांश जल्दी से बोला, “मेरे घर चलते है।” 


कॉलेज के लेक्चर अटेंड करने के बाद सभी दोस्त अयांश की गाड़ी में आ बैठे लेकिन आहना उदास चेहरे के साथ बाहर खड़ी रही। अयांश अपनी सीट बेल्ट बांधने ही वाला होता है कि उसने देखा कि आहना बाहर खड़ी है। वह गाड़ी से बाहर निकला और उसके पास जाकर पूछा, “आहना, क्या तुम मेरे साथ नही आ रही हो?” 


“नही, मैं अकेले चली जाऊंगी।” आहना ने नीचे देखते हुए कहा जैसे वो अयांश से नज़रे न मिलाना चाहती हो या उससे कुछ छुपा रही हो। 


“बिलकुल नही। तुम मेरे साथ आ रही हो।” कहकर अयांश उसका हाथ पकड़कर उसे गाड़ी की तरफ ले जाने लगता है। आहना ने अपना हाथ छुड़वाया और अयांश की तरफ देखकर कहा, “अयांश, समझो। मैं तुम सबके साथ पार्टी नही करना चाहती।” 


“क्या कोई बात है जो तुम्हें परेशान कर रही है?” अयांश ने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा। 


“मैंने कहा न ऐसा कुछ नही है।” आहना ने हल्की सी ऊंची आवाज़ में कहा। 


“नही, कुछ तो ऐसा है जो तुम मुझसे छुपा रही हो।” अयांश ने उसके चेहरे को देखते हुए कहा। 


“जाओ यहाँ से अयांश।” आहना ने उसे दूर करते हुए अपनी भारी आवाज में कहा। सुबह से जो आँसू उसने थामे हुए थे आखिरकार उसकी आँखों से बहने लगे। निखिल  गाड़ी में बैठा ये सब चुपचाप देख रहा था पर उसने दखल देना ठीक नही समझा। 


“नही, मैं तुम्हारे बिना नही जाऊंगा। मैं तुम्हें अपने साथ लेकर जाऊंगा।” इससे पहले आहना अयांश से कुछ कह पाती या उसे रोक पाती, अयांश ने सबको गाड़ी से बाहर आने के लिए कहा।


“क्या हुआ?” निखिल ने उससे पूछा।


अयांश ने पहले आहना को देखा जो की रोए जा रही थी और फिर निखिल  से कहा, “हम पार्टी किसी और दिन कर लेंगे यार। आहना की तबियत ठीक नही है।”  


“पर तेरी तबियत तो ठीक है ना। तू आहना के लिए पार्टी कैंसल कर रहा है।” निखिल ने कहा क्योंकी अयांश ने आज से पहले आहना का कभी इतना ख्याल नही रखा था। अयांश के पास इस बात का कोई जवाब नही था क्योंकि वो अभी खुद भी अपनी भावनाओं को नही समझ पा रहा था कि क्यों पिछले कुछ दिनों से उसे आहना का इतना ज्यादा ख्याल रहने लगा था और उसकी परवाह होने लगी थी। 


“मैं आहना की अचानक से इतनी परवाह क्यों कर रहा हूँ? क्या मुझे आहना से प्यार हो गया है?” अयांश ने सोचा और आहना को देखा जो उसे ही देख रही थी। 



Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 2







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