कहीं न कहीं,
मेरी बातों में जिक्र तुम्हारा हो जाता है।
कहीं न कहीं,
मेरे दिल में जो तुम्हारे लिए प्यार है,
वो सबको मेरी आंखों मे नज़र आ जाता है।
कहीं न कहीं,
जब कोई नाम ले तुम्हारा मेरे सामने,
वो मेरे होठों की मुस्कान को बड़ा जाता है।
जब यादें तुम्हारी सताती है,
दूरियों का एहसास दिलाती है,
तो कहीं न कहीं,
ये दिल तुझे खोने से डर जाता है,
और जब होता है ये खुश बहुत,
तो बस तुझे अपने पास बुलाना चाहता है,
कहीं न कहीं,
जब कोई मेरे आंसुओं की वजह बनता है,
तो तुम्हारी तस्वीर,
मुझे मुस्कुराने की वजह देती है,
जब हमारे रिश्ते में टूटने लगती है हिम्मत मेरी,
तो कहीं न कहीं,
मेरा ये दिल खुदको समझाता है,
की तुम प्यार हो मेरा,
और कहीं न कहीं,
ये प्यार से भरा इंतजार ही,
हम दोनो के रिश्ते को खूबसूरत बनाता है।
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