Saturday 20 April 2024

कहीं न कहीं




कहीं न कहीं,

मेरी बातों में जिक्र तुम्हारा हो जाता है। 


कहीं न कहीं,

मेरे दिल में जो तुम्हारे लिए प्यार है, 

वो सबको मेरी आंखों मे नज़र आ जाता है। 


कहीं न कहीं, 

जब कोई नाम ले तुम्हारा मेरे सामने,

वो मेरे होठों की मुस्कान को बड़ा जाता है। 


जब यादें तुम्हारी सताती है,

दूरियों का एहसास दिलाती है,

तो कहीं न कहीं, 

ये दिल तुझे खोने से डर जाता है, 

और जब होता है ये खुश बहुत, 

तो बस तुझे अपने पास बुलाना चाहता है, 


कहीं न कहीं, 

जब कोई मेरे आंसुओं की वजह बनता है, 

तो तुम्हारी तस्वीर,

मुझे मुस्कुराने की वजह देती है,

जब हमारे रिश्ते में टूटने लगती है हिम्मत मेरी, 

तो कहीं न कहीं, 

मेरा ये दिल खुदको समझाता है, 

की तुम प्यार हो मेरा,

और कहीं न कहीं, 

ये प्यार से भरा इंतजार ही, 

हम दोनो के रिश्ते को खूबसूरत बनाता है। 


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