इश्क़ में बातें मिलने की भी होती है,
और मिलकर बिछड़ने की भी,
हाथ थामे कुछ लम्हों में चलना भी होता है,
फिर अगले ही लम्हें बात होती है,
दूर जाने के लिए हाथ छोड़ने की,
दिशाएं अलग हो जायेंगी,
और दूर होंगे हम तुम,
जानती हूं पलटकर देखोगे तुम मुझे,
इस उम्मीद में की मेरी नजरें भी,
तेरे पलटकर देखने की मुंतज़िर होंगी,
पर मैं वैसे ही खड़ी लड़ रही होऊंगी खुद से,
क्योंकि अगर पलट गई तो दूर नही भेज पाऊंगी तुम्हें,
दिल में दर्द लिए पलटकर चले जाओगे तुम,
और आखिरकार जब मैं तुम्हें पलटकर देखूंगी,
तो नजरों से ओझल हो चुके होगे तुम।
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