सुना है,
वो सालों से कर रही है इंतजार मेरा,
खिड़की के पास बैठी रहती है वो,
हर वक्त नज़रे लगाए राहों पर,
आज उसके इंतजार के अंत की घड़ी आई है,
आखिर आज दुरिया खत्म करने की बारी आई है।
मुझे आता देख जब वो जल्दी जल्दी भागते हुए नीचे आएगी,
भागने से उसकी पायलों के घुंघरू का शोर,
मेरे दिल को सुकून पहुचायेगा,
वो सीढ़ियां उतरते वक्त सीढ़ियों को छूता हुआ उसका दुप्पटा,
और उसके गालों को चूमते हुए उसके झुमके,
उसे इतना खूबसूरत बनाते है,
की उसे देख के लगता है यारों,
की चांद दिन में भी निकलता है,
माथे पर बिंदी,
होठों पर मुस्कान सजाए,
उसकी आंखों का काजल उसकी खूबसूरती बढ़ाता है,
क्या कहूं उसकी तारीफ में यारों,
उसे देख के लगता है,
की चांद दिन में भी निकलता है।
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