Sunday 2 June 2024

तेरा दीदार


तेरे इश्क़ की आगोश में कुछ यूं सिमटा सा जाता हूं मैं, 
की तेरी गली में, 
रोज तेरा दीदार करने आता हूं मैं, 
खिड़की से मुझे देख जब छुप जाती है तू परदे के पीछे, 
और फिर जब होले से पर्दा हटाकर, 
छुपके से मुझे देखती है, 
वही तेरे इश्क़ में ठहर सा जाता हूं मैं। 
होती है खड़ी तू बरामदे में जब भी, 
रोज तेरे घर के नीचे आकर खड़ा होता हूं मैं, 
इस उम्मीद में, 
की कभी तो तेरा दुपट्टा लहराकर मुझपे गिरेगा, 
तू देखेगी फिर नीचे घबराहट से, 
और मुझे तेरा दीदार हो जाएगा। 
जब तू सामने आया करेगी, 
तो देखा करूंगा तुझे नजरें चुराकर भी, 
चोरी छूपके तुझे देख कर मुस्कुराऊंगा, 
इस उम्मीद में की तेरे दिल में कभी तो मैं अपनी जगह बनाऊंगा, 
मैं रोज तेरा दीदार करने तेरी गली में आऊंगा, 
इस उम्मीद में की तेरे दिल में कभी तो मैं अपने लिए प्यार जगाऊंगा, 
की तेरे दिल में कभी तो मैं अपने लिए प्यार जगाऊंगा।


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