Friday 31 May 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 30


आहना अयांश को लेकर ऑर्फेनेज और ओल्ड एज होम पहुँंची। जब अयांश ने उससे पुछा की वो उसे वहाँ क्यों लेकर आई है तो आहना ने कहा, “अंदर चलो मेरे साथ तुम्हें सब पता चल जाएगा।” 

अयांश आहना के साथ अंदर जाने लगा पर उसने अपने मन में ये सोचना शुरू कर दिया था की आहना उसे लेकर यहाँ क्यों आई है और अब तक वो बहुत कुछ सोच चुका था। आहना को वहाँ देखकर वीर जल्दी से उनके पास आया और कहा, “आहना, आप यहाँ।” 

“जी, मैं इन्हें यहाँ लाना चाहती थी।” कहकर आहना ने वीर और अयांश को एक दूसरे से मिलवाया। अयांश ने वीर से हाथ मिलाया और फिर आहना से पूछा, “आहना मुझे बताओ ना तुम मुझे यहाँ क्यों लाई हो। कहीं तुमने किसी बच्चे को एडॉप्ट करने का फैसला तो नही ले लिया। अगर ऐसी कोई बात है तो मुझे नही लगता हमें इसकी जरूरत है। हम शादी के बाद अपना बच्चा पैदा कर सकते है।” 

अयांश को एहसास ही नही हुआ की अभी अभी उसने क्या बोला था पर आहना उसकी बात सुनकर चौंक गई थी। वहीं वीर अपनी हँसी को रोकने की कोशिश कर रहा था। आहना ने अयांश का हाथ पकड़ा और कहा, “मेरी चॉकलेट, तुम न बहुत ज्यादा सोचते हो।” 

“आहना, मुझे कुछ काम है। आप अंदर जाकर सबसे मिल सकती है।” उन्हें ऐसे देखकर वीर ने कहा और वहाँ से चला गया। 

“मैंने कुछ गलत बोला क्या आहना?” अयांश ने मासूमियत से पूछा। 

आहना ने उसे देखा और कहा, “माना की हमें लेकर तुम बहुत एक्साइटेड रहते हो पर इस एक्साइटमेंट को कंट्रोल करना सीखो दूसरो के आगे।” 

“अच्छा ठीक है, अब बताओ हम यहाँ क्यों आए है?” अयांश ने पूछा। 

“अयांश ये वहीं ऑर्फेनेज है जो मम्मा ने खोली थी। बताया था ना तुम्हें मैंने। मैं यहाँ तुम्हें सबसे मिलवाने लाई हूं। देखना तुम्हें बहुत अच्छा लगेगा।” आहना ने कहा। 

“हाँ, याद आ गया पर आंटी के पास ऑर्फेनेज बनवाने के लिए जमीन खरीदने के पैसे कहाँ से आए।” अयांश ने पूछा तो आहना ने कहा, “पापा ने मुझे बताया था की मेरे नाना जी ने उनकी मदद की थी।” 

वो अयांश को ये पता नही लगने देना चाहती थी की कबीर उसके असली पिता नही है इसलिए उसने झूठ बोल दिया। वो दोनों अंदर चले गए। उन्हें वहाँ देखकर सभी बच्चे उनके पास आ गए। अयांश सब कुछ देख रहा था। उसने वहाँ वृद्ध लोगों को देखा तो आहना से पूछा, “आहना, मुझे तो बाहर से देखकर लगा था की ये सिर्फ ऑर्फेनेज है पर यहाँ तो वृद्ध लोग भी है। ऐसा क्यों।” 

आहना मुस्कुराई और उसने कहा, “ये मम्मी का आइडिया था। उनका कहना था की इससे जिन बच्चो के माँ बाप नही है उन्हें माँ बाप का प्यार मिल जायेगा और जिन माँ बाप को उनके बच्चो ने छोड़ दिया है उन्हें बच्चो का प्यार मिल जाएगा।” 

“वाव, हम यहाँ हर संडे आया करेंगे, आहना इन बच्चों के साथ खेलने के लिए और वृद्ध लोगों के साथ वक्त बिताने के लिए।” अयांश ने कहा तो आहना ने मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिला दिया। वो दोनों सबके साथ वक्त बिताने लगे और बच्चों के साथ खेलने लगे। 

शाम होते ही सबको बाय बोलकर अयांश और आहना बाहर आए तो आहना ने कहा, “चलो तुम्हें घर छोड़ देती हूँ अब।” 

“आहना, थोड़ा और टाइम साथ में स्पेंड करते है ना।” अयांश ने कहा तो आहना ने उसे देखा और मुस्कुराते हुए पूछा, “अयांश, क्या बात है?”

“वो मैंने तुम्हारे लिए एक सरप्राईज प्लैन किया हुआ है। मैं तुम्हें रात को उसके लिए लेने आने वाला था पर तुम मुझे लेने आ गई।” अयांश ने कहा। 

“सच में सरप्राईज है मेरे लिए।” आहना ने एक्साइटेड होकर पूछा। 

“येस माय टेडी बियर।” अयांश ने आहना के गाल खींचते हुए कहा।

“तो फिर जल्दी से चलो। वैसे भी पूरे दो साल और चार महीने बाद तुमसे कोई सरप्राईज मिल रहा है मुझे।” आहना ने अयांश का हाथ पकड़कर उसे गाड़ी की तरफ ले जाते हुए कहा।

इस बार गाड़ी अयांश चलाने लगा। आहना साथ वाली सीट पर बैठे हुए प्यार से उसे देखे जा रही थी। अयांश का ध्यान उस पर गया तो उसने पूछा, “तुम मुझे ऐसे क्यों देख रही हो, टेडी बियर?” 

“ऐसे ही। इतने दिनों बाद तुम्हें जी भरकर देखने का मौका मिला है। अच्छा लग रहा है।” आहना ने कहा तो अयांश मुस्कुराने लगा। उसने गाड़ी अपने होटल के अंदर लाकर रोकी और वो दोनों गाड़ी से नीचे उतर गए। 

इस बार अयांश आहना को गार्डन में न ले जाकर होटल की छत पर लेकर गया जहाँ से पूरा शहर दिखाई दे रहा था। पूरी छत दिल के आकार के लाल और सफेद रंग ने गुब्बारों से भरी हुई थी। छत के एक कोने में एक टेबल लगी हुई थी जिसपर एक केक रखा हुआ था। 

अयांश आहना को उस टेबल के पास लेकर आया। आहना केक को देखकर खुश हो गई क्योंकि वो आहना का फेवरेट चॉकलेट केक था। अयांश ने उसके माथे को चूमा और फिर उसके पीछे खड़े होकर उसे अपनी बाहों में भरा और उसके साथ केक काटते हुए कहा, "ये पिछली सारी बातें भुलाकर हमारी एक नई शुरुआत के लिए।” 

आहना उसकी तरफ पलटी तो वो दोनों एक दूसरे की आँखों में खो गए और फिर आहना उसके गले लग गई। अयांश ने कसकर आहना को अपनी बाहों में समेट लिया और उसके बालों को सहलाने लगा। उससे अलग होकर अयांश ने उसके होठों को अपने होठों से छुआ और कहा, “चलो, अब खाना खाते है। फिर एक और सरप्राईज है मेरे पास तुम्हारे लिए।” 

आहना मुस्कुराते हुए कुर्सी पर बैठ गई और वो दोनों खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद अयांश आहना को छत के दूसरी साइड लेकर गया जहाँ बहुत सारी मोमबत्तियां जल रही थी और उन्हीं के बीच फूलों से लिखा हुआ था, “आई लव यू, आहना।”

आहना आगे बढ़कर ये सब देखने लगी। वो इस वक्त बहुत खुश थी। अयांश मुस्कुराते हुए अपनी जेब से एक छोटा सा डिब्बा निकालकर उसके पीछे एक घुटने पर बैठ गया। 

“अयांश, ये सब…” आहना कहते हुए जैसे ही पलटी, अपने साथ अयांश को ऐसे देखकर हैरान रह गई। 

“ज्यादा कुछ नही कहूँगा, आहना बस इतना ही की पिछली सारी बातों को भुलाकर फिर से एक नई शुरुआत करते है हमेशा साथ रहने के वादे के साथ। चाहे गलतियां ही क्यों न करे, फिर भी एक दूसरे पर भरोसा रखते हुए और एक दूसरे को समझते हुए साथ रहना।” कहकर अयांश ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ डिब्बा खोला जिसके अंदर एक पेंडेंट था जिसमें इनफिनिटी के साथ दो ए बने हुए थे। उसने वो पेंडेंट डिब्बे में से निकाला और खड़े होकर आहना को पहना दिया। 

आहना ने उस पेंडेंट को देखा और मुस्कुरा उठी। अयांश ने उसके साथ बहुत सारी तस्वीरें ली और दोनों छत पर खड़े होकर आसमान में चमक रहे चांद और तारों को देखने लगे। आहना अयांश की बाहों में सिमटी उसकी धड़कनों का शोर सुनते हुए चांद को देख रही थी कि तभी अयांश ने उसे बुलाया तो आहना ने उसकी आँखों में देखते हुए पूछा, “तुम कुछ कहना चाहते हो ना मुझसे?” 

“तुम्हें कैसे पता?” अयांश ने हैरानी से पूछा। 

“तुम्हारे दिल की धड़कनों से। बहुत जोर से धड़क रहा है।” आहना ने मुस्कुराते हुए कहा और फिर पूछा, “क्या कहना चाहते हो तुम मुझसे?” 

“हम क्या आज की पूरी रात एक साथ रह सकते है? मैं घर नही जाना चाहता। तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ।” अयांश के पूछा तो आहना जो अभी कुछ वक्त पहले मुस्कुरा रही थी अब उसके चेहरे पर गुस्सा साफ नजर आ रहा था। 

अयांश आहना को ऐसे देखकर बिलकुल घबरा गया और मन ही मन में सोचने लगा, “कहीं मैंने इससे ये पूछकर इसे हर्ट तो नही कर दिया जो ये ऐसे गुस्से से मेरी तरफ देख रही है। कहीं इसके मन में ये बात तो नही आ गई की नुपुर के साथ अभी भी मेरी शादी चल रही है, फिर भी मैं इसके साथ रात…” उसने अपनी सोच को अपने दिमाग से निकाला और खुद से कहा, "नही नही, आहना मुझ पर गुस्सा नही कर सकती। पर फिर इसे अचानक से क्या हो गया?” 

अयांश ये सोचकर अब परेशान हो गया और आहना को चुपचाप देखने लगा जो इस वक्त गुस्सा करते हुए बहुत प्यारी लग रही थी। 

Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 31


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