Thursday 30 May 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 29


अयांश आहना के पास बैठकर उसकी चोट पर दवाई लगाने लगा। आहना के मुंह से एक आह निकली तो अयांश ने उसकी ओर देखा और पूछा, “ज्यादा तकलीफ हो रही है?” 

आहना मुस्कुराई और उसने कहा, “सारी तकलीफें दूर हो गई।” 

अयांश ने उसके गाल को प्यार से छुआ और उसकी चोट पर पट्टी बांधने लगा। पट्टी बांधकर उसने कहा, “चलो तुम्हें घर छोड़ आता हूँ।” 

“इतनी जल्दी। इतने दिनों तक नाराज और दूर रहे हो और अब जब आखिरकार नाराजगी खत्म हुई है तो इतनी जल्दी फिर से दूर जाने की बातें कर रहे हो।” आहना ने शिकायत करते हुए कहा। 

अयांश हँसने लगा और उसने पूछा, “कहाँ जाना है आपको मोहतरमा?” 

“पक्का मैं जहाँ लेके जाना चाहूँ वहाँ चलोगे मेरे साथ।” आहना ने पूछा। 

“हाँ, तुम्हारे पीछे पीछे तो कहीं भी चल सकता हूँ।” अयांश ने मुस्कुराते हुए कहा। 

“फिर से फ्लर्टिंग कर रहे हो तुम।” आहना ने हंसते हुए पूछा। 

“तो इतने दिन हो गए थे तुम्हारे साथ फ्लर्टिंग किए हुए। अब तो तुम्हारे रोकने से भी नही रुकूंगा।” अयांश ने आहना की आँखों में देखते हुए कहा। नुपुर छुपके से उन्हें देख रही थी। उन दोनों को हँसता देख उसका मन कर रहा था की अभी जाकर आहना की जान ले ले। 

अगले दिन ऑफिस में आहना आराम से बैठकर अपना काम कर रही थी की तभी किसी ने उसका कंधा थपथपाया। आहना ने फाइल से नज़रे हटाकर देखा तो पाया कि अयांश उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था। आहना भी उसे देखकर मुस्कुराने लगी और खड़े होकर उससे पूछा, “तुम यहाँ?” 

“तुम्हारे लिए आया हूँ, जान। कहा था ना कल की तुम्हारे पीछे पीछे कहीं भी चल सकता  हूँ।” अयांश ने धीमी आवाज में उसकी आँखों में देखते हुए कहा।

“अयांश, ऑफिस है ये। यहाँ तो फ्लर्ट मत करो।” आहना ने कहा। शिप्रा उन दोनों को साथ देखकर जल रही थी। 

“तुम्हारी चोट कैसी है अब?” अयांश ने पूछा। 

“ठीक है। पापा ने दोबारा दवाई लगा दी थी।” आहना ने कहा। 
अयांश ने इधर उधर देखा और पूछा, "अंकल कहाँ है?” 

“वो राकेश अंकल के केबिन में है। किसी इंपोर्टेंट फाइल को लेकर कुछ डिस्कस करना था उन्हें अंकल के साथ।” आहना ने कहा। 

अयांश ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “आहना, मुझे अंकल और पापा से बात करनी थी हमारे बारे में। पिछले दिनों में मैंने जो कुछ भी किया है उससे तुम्हारे साथ साथ अंकल को भी तकलीफ हुई होगी। उसके लिए मैं उनसे माफी मांगना चाहता हूँ और फिर पापा और अंकल को बताना भी तो है की हमारे बीच अब सबकुछ ठीक हो गया है।” 

“उसमें अकेले तुम्हारी गलती नही थी, अयांश। मेरी भी थी। मुझे तुम्हें समझना चाहिए था।” आहना ने कहा। 

“छोड़ो अब इन बातों को और चलो, अंकल और पापा से बात करते है।” कहते हुए अयांश ने अपना हाथ उसकी और बढ़ाया। आहना ने मुस्कुराते हुए अपने हाथ को उसके हाथ पर रखा और वो दोनों राकेश के केबिन की तरफ बढ़ गए। 

राकेश कबीर से कुछ कह रहे थे की तभी उनके केबिन का दरवाजा खुला और वो बात करते करते रूक गए। राकेश को दरवाज़े की तरफ देखता पाकर कबीर ने भी पीछे मुड़कर देखा। वो दोनों आहना और अयांश को साथ देखकर हैरान थे। उनकी हैरानी और भी ज्यादा बढ़ गई जब उनकी नजर आहना और अयांश के हाथों पर गई क्योंकी दोनों ने ही एक दूसरे का हाथ कसकर पकड़ रखा था। 

आहना और अयांश समझ गए की राकेश और कबीर उन्हें साथ देखकर हैरान हो गए है इसलिए आहना ने कहा, “मैं जानती हूँ आप दोनों के मन में इस वक्त बहुत सारे सवाल है हमें ऐसे देखकर। पापा, अंकल, पिछले कुछ महीनों में जो कुछ भी हुआ वो सब एक मिसअंडरस्टैंडिंग थी और कुछ गलतियां भी। मुझे अयांश को समझना चाहिए था। अगर मैं अयांश की जगह होती तो मैं भी इसे बचाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाती। अंकल, जो हुआ वो सब हम भुला देना चाहते है और सब कुछ पहले जैसा करना चाहते है। मैं और अयांश, हम दोनों फिर से पहले जैसे रहना चाहते है एक साथ।” 

“वो सब तो ठीक है, बेटा। अगर तुम दोनों में सब कुछ ठीक हो जाता है तो सबसे ज्यादा खुशी मुझे ही होगी पर अयांश अभी भी नुपुर के साथ शादी के बंधन में है।” राकेश ने कहा।

“मैं उसे डायवोर्स दे दूंगा, पापा मौका मिलते ही बस हमें आहना का ख्याल रखना होगा।” अयांश ने आहना के लिए परेशान होते हुए कहा। 

राकेश मुस्कुराए और उन्होंने कहा, “जब तुम अमेरिका में थे, आहना को हमने ही सबसे बचाया था और अभी भी हम ही इसका ख्याल रखेंगे।” 

“जी पापा।” अयांश ने कहा। 

“अच्छा अब तुम दोनों जाओ और एक दूसरे के साथ वक्त बिताओ। इतने दिनों बाद तुम दोनों के बीच सब कुछ ठीक हुआ है।” राकेश ने कहा तो अयांश आहना को लेकर ऑफिस से बाहर आ गया। 

अयांश आहना के साथ अपनी गाड़ी के पास आया और उससे पीठ लगाकर खड़ा होते हुए आहना को पूछा, “तो कहिए मोहतरमा, कहाँ जाना चाहेंगी आप।” 

"जहाँ आप ले चले।” आहना ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा। 

“हम तो जहाँ आप जायेंगी, वहाँ आपके पीछे पीछे चलेंगे।” अयांश ने फिर से फ्लर्ट करते हुए कहा।

"अब बस भी करो। कल से ही तुम यहीं बोल बोलकर मेरे साथ फ्लर्ट किए जा रहे हो।” आहना ने हंसते हुए कहा। 

"ये सिर्फ फ्लर्ट नही, सच्चाई भी है। मैं तुम्हें जिंदगी भर फॉलो कर सकता हूँ बिना कुछ कहे। अब बताओ मिलेगा कहीं तुम्हें मेरे जैसा हसबैंड।” अयांश ने इतराते हुए कहा तो आहना ने कहा, "तो मिस्टर हसबैंड, कीजिए फिर मेरे ऑर्डर को फॉलो और लेकर चलिए हमें आइस क्रीम खिलाने के लिए।” 

“जो आपका हुकुम मल्लिका।” कहते हुए अयांश ने आहना के लिए गाड़ी का दरवाजा खोला। आहना हँसते हुए गाड़ी में बैठ गई और फिर वो दोनों आइस क्रीम खाने चले गए। अयांश ने खुशी खुशी पूरा दिन आहना के साथ बिताया जिससे आहना बहुत खुश थी। 

सन्डे वाले दिन आहना तैयार होकर अयांश के घर के सामने आई और उसे फोन लगाया। अयांश ने जैसे ही फोन उठाया, आहना ने जल्दी से कहा, “जल्दी से बिना कुछ पूछे अपने घर के बाहर आओ।” 

आहना ने अयांश की बात सुने बिना ही जल्दी से फोन काट दिया। नूपुर इस वक्त अपने घर गई हुई थी। अयांश जल्दी से घर से बाहर आया तो आहना अपनी गाड़ी के पास खड़ी थी। उसने नीले रंग का ड्रेस पहन रखा था जिसमें वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। अयांश उसके पास आया और पूछा, "क्या हुआ, आहना? तुमने मुझे ऐसे बाहर क्यों बुलाया?” 

"तुम्हें कहीं लेकर जाना है।” आहना ने उसके लिए गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए कहा। अयांश गाड़ी में बैठ गया। आहना ने भी गाड़ी के अंदर बैठकर गाड़ी चलानी शुरू की। 

अयांश ने उसकी तरफ देखा और कहा, "आहना, मुझे बताओ ना तुम मुझे कहाँ लेकर जा रही हो।” 

आहना ने उसे देखा और फिर रोड पर ध्यान लगाते हुए कहा, "तुम्हें पता चल जाएगा जब हम वहाँ पहुँचेंगे।” 

"मुझे अभी जानना है। तुम मुझे पहली बार कहीं लेकर जा रही हो इसलिए बहुत एक्साइटमेंट हो रही है मुझे।” अयांश ने कहा। 

"जानती हूँ पर मैं अभी तुम्हें नही बता सकती।” आहना ने कहा और मुस्कुराने लगी। अयांश चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगा। 

आधे घंटे बाद, आहना ने गाड़ी रोकी और अयांश को गाड़ी से उतरने का बोलकर खुद भी गाड़ी से नीचे उतर गई। अयांश गाड़ी से उतरकर आहना के पास आया और उसने सामने दीवार पर लगे बोर्ड को देखते हुए कहा, “आहना, हम इस ऑर्फनेज और ओल्ड एज होम में क्यों आए है?” 

Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 30

No comments:

Post a Comment