Wednesday 29 May 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 28


संडे को अयांश नुपुर के साथ उसके घर गया। टीना और अंबर उन्हें एक साथ देखकर बहुत खुश थे। अयांश पहली बार घर आया था इसलिए टीना और अंबर ने उसकी खातिरदारी में कोई कमी नही छोड़ी।

लंच के बाद वो सभी लिविंग रूम में आ बैठे। टीना नुपुर से अकेले में बात करना चाहती थी इसलिए उन्होंने अंबर से कहा, “अंबर, अयांश पहली बार हमारे घर आया है। आप उसे घर क्यों नही दिखाते।” 

“जरूर, मुझे भी मौका मिल जाएगा हमारे बेटे को अच्छे से जानने का।” कहते हुए अंबर ने अयांश की तरफ देखा और उससे कहा, “आओ बेटा।” 

अयांश उठकर अंबर के साथ चला गया। उनके जाते ही टीना ने नुपुर से पूछा, “तो अयांश और तुम्हारे बीच सब कैसा चल रहा है। तुमने मुझे बताया था की वो अब आहना को देखना तक पसंद नही करता तो क्या वो अब तुम्हारे करीब आता है?” 

“नही मम्मी, मुझे समझ नही आता इसकी परेशानी क्या है। मुझे लगा था ये अब आहना से नफरत करने लगा है तो मेरे करीब आया करेगा। पर ये तो मुझे भी देखना पसंद तक नही करता।” नुपुर ने गुस्से में कहा। 

“मुझे लगता है अयांश ने तुमसे झूठ कहा है की वो आहना से नफरत करने लगा है। देखना नुपुर, तुम तो उसके साथ रहकर उसे दूर रख रही हो आहना से पर वो कहीं तुम्हें भुलाकर आहना के पास वापिस न चला जाए।” टीना ने कहा तो नूपुर इस बारे में सोचने लगी।

वही अंबर अयांश को घर दिखाते हुए एक जगह आकर रुके जहाँ दीवार पर नुपुर की बचपन की प्यारी सी तस्वीर लगी हुई थी। अंबर उस तस्वीर को देखकर मुस्कुराए और कहने लगे, “जब नुपुर को मैंने पहली बार अपनी गोद में उठाया था ना उस वक्त मेरे मन में सबसे पहला ख्याल ये आया था की एक दिन कोई आकर इसे मुझसे दूर ले जाएगा और जब मुझे पता चला की नुपुर ने तुमसे शादी करली है तो मैं उस दिन उदास और खुश दोनों था। खुश इसलिए की मेरी बेटी को उसका हमसफर मिल गया है और उदास इसलिए की अब वो मुझसे दूर रहेगी।” 

“आप टेंशन मत लीजिए। आपको नुपुर से ज्यादा दिन दूर नही रहना पड़ेगा अब।” अयांश जो अबतक खामोशी से अंबर की बातें सुन रहा था, उसने कहा।

उसकी बात सुनकर अंबर ने उसे देखा और पूछा, “तुम्हारे कहने का मतलब क्या है, बेटा।” 

“यही की मैं उसे बहुत जल्दी डायवोर्स देने वाला हूँ।” अयांश की बात सुनकर अंबर चौंक गए और उन्होंने पूछा, “तुम नुपुर को डायवोर्स देने की बात क्यों कर रहे हो। तुम तो प्यार करते हो उससे। लव मैरिज की है तुम दोनों ने।” 

“मैं कोई प्यार नही करता आपकी बेटी से। धोखे से शादी की है उसने मेरे साथ जबरदस्ती।” अयांश ने गुस्से में कहा।

“देखो बेटा, मैं जानता हूँ मेरी बेटी थोड़ी सी जिद्दी है पर वो प्यार करती है तुमसे।” अंबर ने कहा।

“और मेरा क्या। उसने ये सोचा की मैं भी किसी से प्यार कर सकता हूँ और अगर वो मुझसे प्यार करती होती तो मेरी खुशी के बारे में सोचती, मेरी जिंदगी बर्बाद करने के बारे में नही।” कहकर अयांश नीचे चला आया। 

नीचे आकर उसने नुपुर से कहा, “नुपुर, मुझे लगता है अब हमें चलना चाहिए।” 

नुपुर हाँ में सिर हिलाते हुए सोफे से उठी और कहा, “मैं डैड से मिलके आती हूँ फिर चलते है।” 

नुपुर अंबर से मिलने ऊपर चली गई क्योंकि अयांश की बातें सुनकर अंबर नीचे न जाकर अपने कमरे में आ गए थे। नुपुर ने उनके कमरे के दरवाज़े पर नॉक किया और अंदर चली गई। अंबर सोफे पर बैठे हुए थे। नुपुर उनके पास आकर बैठी और पूछा, “आप वापिस नीचे क्यों नही आए अयांश के साथ।” 

“तुमने मुझसे झूठ कहा नुपुर कि अयांश तुमसे प्यार करता है। जबकि वो तो तुम्हें डायवोर्स देने की सोच रहा है।” अंबर ने नुपुर को देखते हुए कहा।

“डैड, वो…” नुपुर कुछ कहने लगी तो अंबर उसकी बात बीच में ही काटते हुए बोले, “मुझे कुछ नही सुनना है, नुपुर। अगर अयांश ने तुम्हें डायवोर्स दिया तो तुम अपने बारे में खुद सोच लेना की कहाँ जाओगी तुम। पहले भी तुम्हारी वजह से मेरी इज्ज़त मिट्टी में मिलते हुए बची है, मैं नही चाहता की फिर से ऐसा कुछ हो जो पाँच साल पहले हुआ था।” 

पाँच साल पहले जब नुपुर ने अयांश को नही देखा था, उससे पहले उसका एक बॉयफ्रेंड था जिसने नुपुर को झूठ बोलकर अपने प्यार के जाल में फंसाया था और उसका इस्तेमाल करके उसे छोड़ दिया था। अपनी इज्जत के डर से अंबर ने उस लड़के से बात करके उसे बहुत सारे पैसे देकर सब कुछ ठीक किया था और इस बात का किसी को भी पता नही लगने दिया था। 

“आप टेंशन न ले, डैड। अयांश की सबसे बड़ी कमजोरी मेरे पास है जिसके लिए वो कुछ भी कर सकता है।” नुपुर ने कहा। 

अंबर ने उसे देखा और कहा, “कमजोरी को ताकत बनते देर नही लगती। ध्यान रखना इस बात का। चलो अब। अयांश इंतजार कर रहा होगा।” 

नुपुर और अंबर नीचे आ गए। टीना और अंबर से मिलकर नुपुर और अयांश गाड़ी में बैठकर वहाँ से निकल गए। नुपुर अयांश को घूरे जा रही थी पर अयांश ने उसपर कोई ध्यान नही दिया। अयांश ने गाड़ी एक सिग्नल पर रोकी तो नुपुर ने उसे देखा और पूछा, “तुम्हें मेरे अपने साथ होने या न होने से कोई फर्क नही पड़ता न?” 

“एटलीसट तुम्हें इस बात का अंदाजा तो है।” अयांश ने कहा।

नुपुर ने उसे गुस्से से देखा और कहा, “तुमने डैड को कहा की तुम मुझे डायवोर्स देने वाले हो।” 

“मैंने गलत तो कुछ भी नही कहा उनसे जो तुम ऐसे रिएक्ट कर रही हो। जबरदस्ती शादी की है तुमने मुझसे। अंजाम तो पता होना चाहिए था इसका तुम्हें उसी वक्त ही। जबरदस्ती बनाए गए रिश्तों का यही अंजाम होता है। उनका टूटना।” अयांश ने नुपुर को देखते हुए कहा। सिग्नल ग्रीन हो गया तो अयांश फिर से गाड़ी चलाने लगा। 

“मुझे डायवोर्स देने के बारे में सोचना भी मत अयांश वरना।” नुपुर ने गुस्से से कहना चाहा तो अयांश ने उसकी बात बीच में ही काटते हुए कहा, “वरना तुम आहना को नुकसान पहुँचाओगी। यही न। मुझे उसकी टेंशन नही है क्योंकि पापा आहना को बचा लेंगे तुमसे। तुम अपना सोचो की डायवोर्स के बाद तुम कहाँ जाओगी। आफ्टर ऑल, इस जबरदस्ती की शादी को तब तक चला पाओगी तुम।” 

नुपुर को उसकी बातों से बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था। अयांश ने गाड़ी घर के अंदर लाकर रोकी और नुपुर को देखे बिना ही गाड़ी से उतरकर घर के अंदर चला गया। नुपुर गुस्से में उसे जाते हुए देखती रही और फिर खुद भी अंदर चली आई।

दो दिन बाद, आहना ऑफिस में बैठे हुए काम कर रही थी की तभी वहाँ काम करने वाली एक लड़की, जिसका नाम शिप्रा था आहना के पास आई। शिप्रा आहना से काफी जलती थी क्योंकि आहना राकेश के साथ ज्यादा रहती थी और उसने ये भी सुना था की आहना राकेश की बहु बनने है। वो मैटरनिटी लीव पर थी इसलिए उसने बहुत महीनों बाद ऑफिस दोबारा ज्वॉइन किया था। वो खुश हुई थी जब उसे पता चला की अयांश ने आहना को छोड़ किसी और से शादी कर ली है। वो आहना को हर्ट करना चाहती थी इसलिए उसने कहा, “आहना, मुझे पता चला की तुम्हारे साथ कितना बुरा हुआ। मुझे न तुम्हारे ऊपर बहुत तरस आ रहा है। कहाँ तुम अयांश के साथ शादी के ख़्वाब देखती होगी और कहाँ उसने तुम्हें छोड़ कर किसी और के साथ शादी करली। तुम्हें कितनी तकलीफ हुई होगी ना उसे किसी और साथ देखकर।” 

आहना ने अपने लैपटॉप की स्क्रीन से नजरें हटाकर उसे देखा और कहा, “तुम्हें कोई जरूरत नही है मेरे ऊपर तरस करने की और जहाँ तक बात है अयांश की, तो वो बस मुझसे नाराज़ है। बहुत जल्द तुम उसे वापिस मेरे साथ देखोगी।” 

आहना अपना बैग लेकर वहाँ से निकल गई। शिप्रा के सामने तो आहना ने खुद को संभाल लिया था पर उसे सच में शिप्रा की बातों से तकलीफ हुई थी। आहना ने तय किया कि वो फिर से एक बार अयांश से बात करने की कोशिश करेगी। 

अयांश आज ऑफिस नही आया था इसलिए आहना उसके घर चली गई। उसने गार्ड से अयांश को मिलने की बात कही तो गार्ड बोला, “आपको क्यों समझ नही आता। अयांश साहब आपसे नही मिलना चाहते। आप जाइए यहाँ से।” 

अयांश अपने कमरे की बालकनी में खड़ा ये सब देख रहा था। आहना ने एक बार फिर गार्ड से कहा तो इस बार उसे गुस्सा आ गया और उसने आहना को धक्का दे दिया जिसकी वजह से आहना नीचे गिर गई और उसके हाथ और बाजू पर चोट लग गई। 

अयांश ने जैसे ही ये देखा, वो भागकर अपने कमरे से बाहर जाने के लिए मुड़ा पर फिर नूपुर के बारे में सोचकर रूक गया पर आहना की फिक्र हो रही थी इसलिए उसने कहा, “मुझे नुपुर के नही आहना के बारे में सोचना चाहिए। नुपुर ने तो जबरदस्ती मुझसे ये शादी की है जिसकी सजा मैं आहना को दे रहा हूँ जबकि उसकी तो कोई गलती भी नही है। माफ़ करना नुपुर, तुम मुझे खुद से जबरदस्ती प्यार करवा नही सकती और आहना के लिए मेरा प्यार खत्म नही कर सकती।” 

अयांश अपने कमरे से बाहर आया और नीचे आकर आहना के पास जाने के लिए घर से बाहर निकल गया। नुपुर बाथरूम से निकलकर आई तो अयांश को वहाँ न देखकर हैरान रह गई और खुद से कहा, “अभी थोड़ी देर पहले तो अयांश यहीं था।” 

अयांश आहना के पास पहुँचा और घुटने के बल उसके करीब बैठकर उसकी चोट को देखने लगा। आहना की बाजू और हाथ के पीछे खरोचें आ गई थी। अयांश को ये देखकर बहुत तकलीफ हो रही थी। आहना उसे अपनी आँसूओं से भरी आँखों के साथ देखे जा रही थी। 

अयांश ने बिना कुछ कहे आहना की खड़े होने में मदद की। 

नुपुर, जो की बालकनी में आई थी अयांश को देखने के लिए, उसने ये सब देख लिया था। आहना अयांश से कुछ कहने वाली होती है की तभी उसकी नज़र बालकनी में खड़ी नुपुर पर जाती है जो गुस्से से उन दोनों को घूर रही थी। 

अयांश ने भी आहना की नजरों का पीछा करते हुए नुपुर को देखा। आहना अयांश से बात करना चाहती थी और इससे अच्छा मौका उसे नही मिलने वाला था इसलिए उसने अयांश का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए उसका हाथ पकड़ लिया।

अयांश जो अबतक नुपुर को देख रहा था, उसने अपने सामने खड़ी आहना को देखा और उसे अपनी बांहों में भर कर गले से लगा लिया। आहना एक पल के लिए हैरान रह गई। उसने अपने हाथ अयांश की पीठ पर रख दिए। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे जो अयांश की शर्ट को भीगा रहे थे। नुपुर उन दोनों को नफरत से देख रही थी और फिर कमरे के अंदर चली गई। 

अयांश ने आहना को छोड़ा और कहा, “अंदर चलो, तुम्हें बहुत चोट लगी है। मैं दवाई लगाकर पट्टी बांध देता हूँ इसपर।” 

अयांश उसका हाथ पकड़ कर उसे अंदर ले जाने लगा तभी उसने उस गार्ड को देखा, जिसने आहना को धक्का दिया था और उससे कहा, “आज के बाद इसे हाथ न लगा देना।” 

अयांश ने आहना को बाहर गार्डन में बैठाया और दवाई लेने अंदर चला गया। नुपुर सीढ़ियों पर ही खड़ी उसका इंतजार कर रही थी। उसे देखते ही उसने कहा, “तुमने बहुत बड़ी गलती की है आज अयांश। अब तुम देखना, न मैं तुम्हें और ना ही तुम्हारी आहना को खुश रहने दूंगी।” 

अयांश ने उसे देखा और कहा, “करो जो करना है। मैं भी देखता हूँ की मेरे होते हुए तुम आहना को हाथ भी कैसे लगाती हो। मैंने आहना को अपनी सबसे बड़ी कमजोरी बना लिया था पर मैं ये भूल गया था की पापा ने आहना को मेरे लिए इसलिए चुना था की मैं उसे अपनी सबसे बड़ी ताकत बना सकूं। अब आहना मेरी सबसे बड़ी ताकत है और मेरे होते हुए तुम उसे छू भी नही सकती।” 

अयांश घर से बाहर निकल गया। नुपुर गुस्से में वही खड़ी रही। उसकी आँखों में आहना के लिए नफरत साफ नजर आ रही थी।

Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 29

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