Saturday 15 June 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 38

 


अयांश जल्दी ही कबीर के साथ अपने घर पहुँच गया। राकेश, रिद्धिमा और नुपुर उस वक्त लिविंग रूम में बैठे हुए थे। जैसे ही उन सबने अयांश को देखा, वो सब एक पल के लिए खुश हो गए ये सोचकर की अयांश वापिस आ गया है पर जब उन्होंने अयांश के चेहरे पर गुस्से को देखा तो वो सब घबरा गए। 


अयांश के पीछे कबीर भी खामोशी के साथ खड़े थे। अयांश राकेश के सामने गया और कहने लगा, “आपको मैंने आहना का ख्याल रखने के लिए कहा था। उसकी जान लेने के लिए नही।” 


राकेश ने जैसे ही ये सुना उन्होंने हैरानी से अयांश को देखा ये सोचते हुए की उसे इस बारे में कैसे पता चला। उन्हें ऐसे देखकर अयांश ने कहा, “मैं आपसे सच जानना चाहता हूँ की क्यों किया आपने ऐसा।” 


राकेश अयांश से नजरें नही मिला पा रहे थे। अयांश को गुस्सा आने लगा तो उसने कहा, “मैंने आपसे कुछ पूछा है पापा। आखिर आपकी ऐसी कौन सी मजबूरी थी की आपने नुपुर का साथ दिया आहना को मारने के लिए।” 


“अपने बिज़नेस के लिए।” राकेश ने अचानक से कहा तो अयांश और कबीर चौंक गए। राकेश ने आगे कहा, “तुम्हारे मामा ने रिद्धिमा के कहने पर एक लेटर ऑफिस में भिजवाया था जिसमें लिखा था की जो बिजनेस तुम्हारे मामा ने मुझे दिया था, वो उसे वापिस लेना चाहते है। कबीर के सामने की ही बात है ये। मुझे पता था ये सब तुम्हारी माँ ने किया है इसलिए मैं उससे पूछने घर आया की उसने ये क्यों किया। उस वक्त इसने मुझसे कहा की ये मेरे बिज़नेस को कुछ नही होने देगी बस मुझे आहना को मारने में इनकी मदद करनी थी। तुम्हें कुछ भी करके दूर भेजना था आहना से जिससे तुम उसे बचा न पाओ। मैं उस बिज़नेस को जाने नही देना चाहता था क्योंकि ये मेरी मेहनत है और तुम्हारा फ्यूचर। इसलिए मैंने आहना और अपने बिजनेस में से बिजनेस को चुना।” 


“एक बिज़नेस के लिए आपने आहना की जान ले ली। इतना-सा भी मेरा ख्याल नही आया आपके मन में की मुझे ये सब पता चलेगा तो मेरे ऊपर क्या बीतेगी और क्या गलती थी उसकी, इतना प्यार करती थी वो आपसे।” अयांश ने कहा। 


“इसे कुछ फ़र्क नही पड़ता, अयांश।” कबीर अंदर आए और राकेश के सामने आकर कहने लगे, “सही कहा था तुमने आहना से राकेश। लोग बिजनेस और पैसे के लिए इंसानियत की हदें भी पार कर देते है। तुमने भी यही किया और मार डाला मेरी बच्ची को। उस बच्ची को जिसने तुम्हें अपना पिता माना था।” 


राकेश ने अपनी नजरें झुका ली क्योंकि उन्हें बहुत ज्यादा पछतावा हो रहा था। अयांश नुपुर के सामने आया और उससे कहा, “और तुम, नुपुर। तुमसे तो कुछ कहना ही सही नही है। आखिरकार, तुम जो चाहती थी वो कर ही लिया तुमने।” 


नूपुर ने उसे देखा और गुस्से से कहा, “वो आहना यही डिजर्व करती थी। बहुत शौक था ना उसे मेरे और तुम्हारे बीच आने का इसलिए मैंने उसे हमेशा हमेशा के लिए तुमसे दूर भेज दिया।” 


“तुम आहना के लिए मेरा प्यार खत्म नही कर पाई इसलिए तुमने उसे ही मुझसे दूर कर दिया क्योंकि मेरी आहना मुझसे किसी भी हालत में दूर नही जाना चाहती थी और वो जिंदा रहने के लिए लड़ती भी पर शायद उसे पता लग गया था की ये दुनिया मुझे उसके साथ नही देख सकती और उसे मुझसे दूर करने के लिए बार बार सब उसे तकलीफ पहुँचाएंगे इसलिए उसने हार मान ली जिंदगी से और चली गई वो मुझे छोड़कर पर वो मुझसे दूर जाकर भी कभी मुझसे दूर नही होगी। वो मेरे अंदर हमेशा जिंदा रहेगी। मेरे दिल में, मेरी सांसों में और मेरी आँखों में भी। कभी भी अलग नही होगी वो मुझसे।” अयांश की ये बातें सुनकर नुपुर ने गुस्से से उसे देखा तो अयांश ने कहा, “पर तुम्हें खुद से अलग करने जा रहा हूँ मैं। मैं अपनी आहना के बिना रहूंगा और तुम मेरे बिना रहना।” 


अयांश ने राकेश और रिद्धिमा को देखा और उनसे कहा, “मैं कुछ दिनों बाद हमेशा के लिए अमेरिका चला जाऊंगा आप दोनों को छोड़कर मॉम डैड क्योंकि आप दोनों भी मेरी नज़रों में आहना के उतने ही गुनहगार है जितनी नुपुर।” 


“अयांश बेटा, तुम…,” राकेश ने अयांश को देखकर कहना चाहा पर अयांश ने उनकी बात बीच में ही काटते हुए कहा, “मैं कुछ नही सुनना चाहता पापा। चाहूँ तो आप सबको अरेस्ट करवा सकता  हूँ। प्रूफ भी है मेरे पास पर जाते जाते आहना ने ये वादा लिया था की किसी के साथ कुछ भी नही करना है क्योंकि वो खुद तकलीफ सह सकती है पर अपनी वजह से किसी को तकलीफ में नही देख सकती इसलिए अब आपकी सजा यहीं है की आपको मुझसे दूर होना होगा। जा रहा हूँ मैं हमेशा हमेशा के लिए अमेरिका। आपका वो बिजनेस जिसके लिए आपने मेरी आहना को मुझसे दूर कर दिया, आप ही रखेंगे अब उसे। मुझे नही चाहिए वो।” 


अयांश वहाँ से चला गया। कबीर भी उसके पीछे पीछे घर से बाहर आ गए। उसके जाने के बाद नुपुर को घर लौटना पड़ा क्योंकि अयांश ने उसे डायवोर्स दे दिया था पर अंबर ने उसे अपने घर में रहने की परमिशन नही थी। नुपुर को डायवोर्स देने के कुछ दिनों बाद ही अयांश अमेरिका जाने के लिए निकल गया। वो फ्लाइट में बैठे हुए खिड़की से आसमान को देख रहा था की तभी उसे वो पल याद आ गया जब अपने बर्थडे के एक दिन पहले वो आहना के साथ उसके कमरे में बैठा हुआ था और आहना ने उसे एक नॉवेल के बारे में बताते हुए उससे कहा था की, “हमारी कहानी तो बहुत खूबसूरत है क्योंकि हमारा प्यार तो पूरा होगा ना।” 


ये याद करते ही अयांश की आँख में से आँसू निकलकर गाल पर बह गया। उसने उसे जल्दी से पोंछा। 


“हमारी कहानी बेशक दुनिया की नजरों में अधूरी है पर मैं इस कहानी को पूरा करूंगा आहना। हमारी कहानी अधूरी रहकर भी पूरी होगी। दुनिया के लिए तुम मेरी जिंदगी से गई हो पर मैं तुम्हें अपनी जिंदगी में हमेशा रखूंगा।” अयांश ने अपने मन में कहा जैसे की वो आहना से ही ये सब कह रहा हो।


अमेरिका, वर्तमान समय


आहना का उसको छोड़ कर जाना याद करते हुए अयांश की आँखें आँसूओं से भरी हुई थी। वो खड़े होकर आहना की तस्वीर के पास गया और छूते हुए कहने लगा, “मैंने अपना वादा निभाया आहना। तुम मुझमें हमेशा जिंदा रहोगी और मैं अपनी आखिरी सांस तक सिर्फ तुम्हारा रहूंगा। किस्मत की मर्जी थी तुम्हें मुझसे दूर करना पर मेरी मर्जी है तुम्हारे साथ जीना। अपनी आखिरी सांस तक तुम्हारी उन यादों के साथ जीना जो हमने बहुत सारे खूबसूरत लम्हों को जीकर बनाई थी। आई लव यू, आहना।” 


अपने आँसू पोंछते हुए अयांश जैसे ही मुड़ा, हैरान रह गया क्योंकि उसके सामने आहना खड़ी थी जो मुस्कुराते हुए उसे देख रही थी। उसने सफेद रंग का गाउन पहन रखा था जिसमें वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। अयांश उसे देखकर मुस्कुराने लगा। उसने आहना के करीब आने की कोशिश की तो आहना ने कहा, “रूक जाओ, अयांश।” 


अयांश वहीं रुक गया तो आहना ने कहा, “तुम मुझे देख सकते हो और मेरे करीब होने के एहसास को महसूस कर सकते हो पर मुझे छू नही सकते क्योंकि मैं अब बस एक परछाई हूँ। तुमसे कहा था ना की खुदको कभी भी अकेला मत समझना क्योंकि मेरे पास होने का एहसास तुम्हें होता रहेगा। जैसे तुमने मुझे जिंदा रखा हुआ है वैसे ही मैं भी हमेशा एक परछाई बनकर तुम्हारे साथ रही  हूँ।”


“तुम्हें नही छोड़कर जाना चाहिए था मुझे आहना।” अयांश ने कहा। उसकी आवाज में एक दर्द था।


“ये मेरे हाथ में नही था अयांश। मैं तुम्हें इस हालत में छोड़कर कभी नही जाना चाहती थी पर शायद हमारी किस्मत में यही लिखा था। अयांश, तुमने मुझसे एक बार कहा था की अगर हम किसी से प्यार करते है तो उस प्यार को जिंदा रखते हुए उसे खुशी से याद करना चाहिए। उदास होकर नही। तो तुम भी मुझे खुशी से याद किया करो। इन आँसूओं के साथ नही क्योंकि मैं कहीं नही गई  हूँ। तुमने हमारे प्यार को जिंदा रखा हुआ है ना। उस प्यार के साथ मैं भी तुम्हारे अंदर जिंदा हूँ।” आहना ने कहा। अयांश खामोशी से आँखों में आँसूओं के साथ उसे देखता रहा। 


“अयांश, आज मैं तुमसे फिर से एक वादा लेना चाहती हूँ। मुझसे वादा करोगे?” आहना ने पूछा तो अयांश ने हाँ में सिर हिला दिया। 


“वापिस चले जाओ अयांश। वहाँ जहाँ हमारी यादें रहती है और माफ करदो अब सबको। किसी और के लिए नही अपने लिए। अगर तुम सबको माफ करदोगे न तो खुदको भी इस दर्द से रिहा कर पाओगे जिसे तुम हर रात महसूस करते हो। वो दर्द जिसकी वजह से मुझे भी तकलीफ होती है क्योंकि मैं तुम्हें ऐसे नही देख सकती।” आहना ने कहा तो अयांश ने उससे ये वादा कर दिया की वो वापिस चला जाएगा। 


आहना ने उसकी तरफ मुस्कुरा देखते हुए “आई लव यू” कहा और फिर अयांश की आँखों के सामने से ओझल हो गई। 


“आई लव यू, टेडी बियर।” अयांश ने कहा और आहना की तस्वीर को देखकर मुस्कुरा उठा।


दो दिन बाद अयांश इंडिया वापिस आ गया। वो सबसे पहले आहना के घर जाकर कबीर से मिला जो उसे देखकर बहुत खुश थे। कबीर आजतक राकेश को माफ नही कर पाए थे पर उनकी अयांश से कोई नाराज़गी नही थी। 


कबीर से मिलने के बाद अयांश अपने घर गया। उसके यहाँ से जाने के बाद उसके घर में पहले जैसा कुछ भी नही रहा था। राकेश ने आहना के साथ जो भी किया था, उसके पछतावे में जीते हुए वो बीमार रहने लगे थे और रिद्धिमा अयांश का जाना बर्दाश्त नही कर पाई थी इसलिए वो डिप्रेशन में रहने लगी थी। 


राकेश और रिद्धिमा लिविंग रूम में बैठे थे की तभी उन्हें घर के बाहर एक गाड़ी के रुकने की आवाज आई। उन दोनों ने बाहर आकर देखा तो उनकी आँखों में आँसू आ गए। अयांश उनके सामने खड़ा उनकी तरफ ही देख रहा था। रिद्धिमा आकर उसके गले लग गई और रोने लगी। उन्होंने उसके चेहरे को अपने हाथों में थामा और उसे ध्यान से देखने लगी। राकेश भी उनके पास आए और अयांश को गले से लगा लिया। उनके आँसू बता रहे थे की उन्होंने अयांश के लौटकर आने का कितना इंतजार किया था। 


वो दोनों उसे घर के अंदर ले गए। जब अयांश ने उनसे कहा की उसने उन्हें माफ कर दिया है तो वो दोनों खुश हो गए। वो दोनों इतने वक्त के बाद मुस्कुरा रहे थे। उन दोनों ने अयांश के साथ बहुत सारी बातें की। रिद्धिमा ने उस दिन सारा खाना अयांश की पसंद का बनाया। जैसे ही अयांश अपने कमरे में गया, उसने देखा की उसका कमरा पहले जैसा ही था। कुछ भी नही बदला था। 


रिद्धिमा और राकेश ने खाने के बाद उसे सोने के लिए कहा क्योंकि वो सफर से काफी थक चुका था। 


अगली सुबह घर में सब लोग हैरान थे क्योंकी उन्हें इतने वक्त के बाद राकेश पहले जैसे देखने के लिए मिल रहे थे क्योंकि अयांश के जाने के बाद राकेश ने खुद को पूरी तरह से बदल लिया था लेकिन आज वो पहले की ही तरह सुबह सुबह बाहर लॉन में आकर बैठ गए थे और रिद्धिमा जो उनसे पहले हर वक्त लड़ती रहती थी, वो अब उनकी चाय खुद लेकर आ रही थी। रिद्धिमा ने आकर चाय की ट्रे टेबल पर रखी और वो दोनों हँसते हुए चाय पीने लगे। कुछ वक्त के बाद अयांश भी आ गया और उनसे बातें करने लगा। अयांश के आ जाने से तो जैसे उनके घर में खुशियां लौट आई थी। 


दिवाली आने वाली थी इसलिए रिद्धिमा और राकेश ने तय किया की इस बार वो फिर से दिवाली धूम धाम से मनाएंगे। अयांश भी उन्हें खुश देखना चाहता था इसलिए वो भी मान गया। सभी कुछ दिन पहले से ही दिवाली की तैयारियों में लग गए और रिद्धिमा ने अच्छे से पूरे घर को दिवाली के लिए सजवाया। 


दिवाली की शाम को उनके घर जितने मेहमान आए थे, सभी एंजॉय कर रहे थे पर अयांश अकेला खड़ा सबको देख रहा था। जब उसकी नज़र अपने घर के बाहर बनी सीढ़ियों पर गई तो वो मुस्कुराने लगा। उसे वो पल याद आ गया जब दिवाली पर उसने और आहना ने वहाँ एक साथ बैठकर दीए जलाए थे और उसने आहना के साथ फ्लर्ट भी किया था। इतने दिनों में पहली बार वो आहना को खुश होकर याद कर रहा था। वो ये सब सोचते हुए मुस्कुरा रहा था की तभी उसे किसी ने बुलाया। 


अयांश ने आवाज वाली दिशा में देखा तो हैरान रह गया। वहाँ कबीर खड़े थे। अयांश ने उन्हें इनवाइट किया था पर उसे उम्मीद नही थी की कबीर आएंगे। वो जल्दी से उनके पास गया और उनके पैर छूकर उन्हें हैप्पी दिवाली कहा। राकेश ने कबीर को वहाँ देखा तो उन्हें अपनी आँखों पर यकीन ही नही हुआ। कबीर ने आगे बढ़कर राकेश को गले लगा लिया। 


राकेश उनसे अलग होकर रोने लगे तो कबीर ने कहा, “क्या कर रहे हो, राकेश। खुशी का मौका है ये। जो कुछ भी हुआ उसे भुलाकर एक नई शुरुआत करते है।” 


राकेश ने हाँ में सिर हिलाते हुए कबीर को फिर से गले लगा लिया। अयांश भी उन्हें साथ देखकर बहुत खुश था। वो दोनों जब अलग हुए तो अयांश को उनके सामने खड़ी आहना दिखाई दी जो उन सबको देखकर मुस्कुरा रही थी। 


“खुश हो ना अब आहना तुम।” अयांश ने मन ही मन में उससे पूछा तो आहना ने मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिला दिया और फिर अयांश की नज़रों के सामने से ओझल हो गई। 


दिवाली के बाद कबीर ने राकेश के साथ उनके घर आकर रहना शुरू कर दिया था क्योंकि राकेश और अयांश दोनों ही नही चाहते थे की कबीर अकेले रहे। रिद्धिमा भी इसके लिए खुशी खुशी मान गई। 


अयांश ने राकेश का बिजनेस संभालना शुरु कर दिया था और अब राकेश घर में रहकर आराम करते थे। रिद्धिमा चाहती थी की अयांश शादी करके सेटल हो जाए और उन्होंने उससे इस बारे में बात भी की पर अयांश ने ये कहकर मना कर दिया की वो सिर्फ आहना का है। रिद्धिमा ने उसके बाद उससे इस बारे में कोई बात नही की क्योंकि वो अयांश को कोई भी तकलीफ नही पहुँचाना चाहती थी। 


एक दिन ऑफिस के बाद शाम में अयांश उसी पार्क में आया, जिसमें वो और आहना बचपन से आया करते थे और बैंच पर जाकर बैठ गया। वो सामने खेलते हुए बच्चों को देख ही रहा था की तभी उसे ऐसा लगा की किसी ने उसके हाथ को पकड़ा है। उसने देखा तो उसके साथ आहना बैठी हुई थी जो मुस्कुराते हुए प्यार से उसकी आँखों में देख रही थी। तभी अयांश का ध्यान उनके साइड वाली बैंच पर गया और उसने अपने आप को और आहना को वहाँ बैठे हुए देखा जब वो दोनों ही कॉलेज के बाद अकसर इसी पार्क में आकर बैठा करते थे और बहुत सारी बातें किया करते थे। अयांश उस बैंच की तरफ देखकर मुस्कुराया और कहने लगा, “सच ही है ये की इस दुनिया से प्यार करने वाले तो जा सकते है पर जिंदा रहती है हमेशा, मोहब्बतें।” 


समाप्त!


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