Saturday 15 June 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 37


आहना के हाथ को अपने हाथ से छूटता हुआ देखकर अयांश ने उसके चेहरे को पकड़ा और उसे जगाने की कोशिश करने लगा, "आहना, आहना उठो। तुम... तुम मुझे ऐसे छोड़कर नही जा सकती हो। आहना, उठो ना।” 


अयांश ने आहना को कंधे से पकड़कर अपने सीने से लगा लिया और रोने लगा। उसकी आवाज सुनकर कबीर भी अंदर आ गए और दरवाज़े पर ही रुक गए। डॉक्टर अंदर आए।  उन्होंने आहना को देखकर कबीर से कहा, “आई एम सॉरी। शी इज नो मोर।” 


ये सुनते ही कबीर रोने लगे। आखिरकार उन्होंने अपनी बेटी को खो ही दिया। अयांश ने आहना के माथे को चूमा और उसके चेहरे को देखने लगा। उसे अभी भी उम्मीद थी की आहना उसे देखकर मुस्कुरा देगी क्योंकि उसका दिल अभी भी ये मान नही पा रहा था की उसकी आहना उसे छोड़कर जा चुकी है। 


हॉस्पिटल के स्टाफ ने आहना की बॉडी को कबीर और अयांश को सौंप दिया। अयांश कबीर के साथ आहना को घर ले आया। अयांश ने आहना को अपनी बाहों में उठाया हुआ था। एक पल के लिए उसे लगा की आहना अपनी बाहों को उसके गले में लपेट देगी पर अब ऐसा कुछ भी नही होने वाला था क्योंकि उसकी आहना उसे छोड़कर जा चुकी थी। 


उसने आहना को हॉल में लेटा दिया। जैसे ही आस पड़ोस के लोगों को आहना के बारे में पता चला, सभी वहाँ धीरे धीरे आकर कबीर से अफसोस जताने लगे। कबीर ने अयांश को कपड़े बदलकर थोड़ा आराम करने के लिए कहा। अयांश के पास उसका सामान था क्योंकि वो जबसे वापिस लौटा था, अपने घर गया ही नही था। वो अपना सामान लेकर इस बार गेस्ट रूम में ना जाकर आहना के कमरे में चला गया जहाँ आहना के होने का एहसास वो महसूस कर पा रहा था। 


उसने बाथरूम में जाकर अपना चेहरा धोया, कपड़े बदले और जो लेटर उसे आहना ने दिया था उसे संभालकर अपने पर्स में रख लिया। वो कमरे से बाहर आया तो देखा की राकेश, रिद्धिमा और नुपुर घर के अंदर आ रहे थे जिन्हें ड्राइवर ने राकेश के पूछने पर बताया था की अयांश कहाँ है क्योंकि जब वो घर नही पहुँचा तो उन्हें उसकी फिक्र होने लग गई थी। कबीर ने जब उन्हें वहाँ देखा तो उन्हें गुस्सा आ गया पर ऐसे मौके पर लोगों के सामने वो कोई तमाशा नही करना चाहते थे। अयांश को भी नुपुर को वहाँ देखकर बहुत गुस्सा आने लगा पर उसने कुछ नही कहा। 


रात होने लगी थी तो धीरे धीरे सभी लोग कबीर से मिलकर अपने अपने घर चले गए। अब कबीर का मन कर रहा था की वो राकेश, नुपुर और रिद्धिमा को वहाँ से जाने के लिए कह दे और वो ऐसा करने भी वाले थे लेकिन फिर उन्हें आहना से किया हुआ वादा याद आ गया और वो रुक गए।


नुपुर आहना को देखकर बहुत ही खुश हो रही थी पर राकेश बहुत ही ज्यादा दुखी थे क्योंकि उन्होंने सपने में भी नही सोचा था की उनकी वजह से आहना ये दुनिया छोड़कर चली जाएगी। 


पुलिस ने उस गाड़ी को ढूंढने की बहुत कोशिश की जिससे आहना का एक्सीडेंट हुआ था पर उन्हें वो गाड़ी कहीं नही मिली इसलिए कबीर ने पुलिस को आगे कुछ भी करने से मना कर दिया ये कहते हुए की उन्हें किसी के ऊपर कोई केस नही करना है।


अगली सुबह आहना का अंतिम संस्कार कर दिया गया। अयांश ने आहना की जलती हुई चिता को देखकर मन ही मन में कहा, “जिस हाथ को मैं जिंदगी भर के लिए थाम कर रखना चाहता था वही हाथ मेरे हाथ से छूट गया। काश मैं तुम्हें छोड़कर न गया होता और यहाँ रहकर तुम्हारा ख्याल रखता तो आज तुम मेरे साथ होती, आहना।” 


अयांश अपने घर ना जाकर कबीर के साथ उनके घर चला गया क्योंकि वो कुछ दिनों के लिए आहना के कमरे में रहकर उसके एहसासों के साथ रहना चाहता था। 


वो आहना के बेड पर आँखें बंद करकर आराम से लेटा हुआ था। आहना के साथ बिताया हुआ एक एक लम्हा उसकी आँखों के सामने आ रहा था जिससे अयांश दर्द में भी मुस्कुरा उठा। वो ये याद कर ही रहा था की तभी उसे आहना के दिए हुए लेटर का ख्याल आया। उसने जल्दी से वो लेटर अपने पर्स से निकाला और खोलकर पढ़ने लगा जिसमें लिखा था, 


अयांश, 


जब तक तुम ये लेटर पढ़ोगे, मैं तुमसे बहुत दूर जा चुकी होयूंगी क्योंकि मुझे पता लग चुका है की मेरे पास अब ज्यादा वक्त नही है और हमारे पास भी नही। तुमसे वादा किया था की जिंदगी भर तुम्हारे साथ रहूंगी पर शायद जिंदगी ही अब सिर्फ कुछ मिनटों के लिए हमें साथ रहने देगी। मैं तुमसे बस इतना कहना चाहती हूँ की आई लव यू और मेरे चले जाने के बाद खुद को कभी अकेला मत समझना। मेरे पास होने का एहसास हमेशा तुम्हें होता रहेगा और मैं तुम्हारे अंदर जिंदा रहूंगी और हमारी उन यादों में भी जो हमने मिलकर बनाई है। 


एक और बात तुम्हें बतानी है। पता नही तुम यकीन कर पाओगे या नही पर फिर भी। मेरी मौत को एक्सीडेंट का नाम दे देंगे सब लोग पर ये एक्सीडेंट नही है। ये सब नुपुर की प्लैनिंग है जिसमें उसके साथ राकेश अंकल भी शामिल है। मैं अपनी आई साइट के लिए कुछ दवाईयां लेती थी जिन्हें नुपुर ने मेरे घर आकर स्लो पॉइजन के साथ बदल दिया था। वो मेरी पेंटिंग्स देखने के बहाने से मेरे कमरे में मेरे साथ आई थी और फिर मुझे किसी बहाने से बाहर भेजकर उसने ये काम किया। शायद उस स्लो पॉइजन का भी असर हो रहा है मेरे ऊपर इस वक्त। मैंने नुपुर और राकेश अंकल की बातें भी सुनी थी ऑफिस में जहाँ से मुझे पता चला की वो भी मुझे मरवाना चाहते है और देखो, उनका प्लान कामयाब भी हो गया। जा रही हूँ मैं। 


अयांश, मैं जानती हूँ मैं अच्छी नही हूँ। अच्छा नही लग रहा होगा न तुम्हें गुस्सा आ रहा होगा मेरे ऊपर क्योंकि मैं तुम्हें छोड़कर चली गई। मुझे माफ कर देना अयांश। आई विल ऑलवेज लव यू। अपना ख्याल रखना। 


तुम्हारी टेडी बियर


अयांश की आँखें आँसूओं से भरी हुई थी। उसे नुपुर और राकेश के ऊपर बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा था इस वक्त। उसने नज़रे उठाकर देखा तो कबीर दरवाज़े पर खड़े हुए उसे ही देख रहे थे। अयांश ने जल्दी से अपने आँसू पोंछे और लेटर को अपनी जेब में डाल लिया। कबीर कमरे के अंदर आए। उनके हाथ में एक ट्रे थी जिसपर दो कॉफी से भरे हुए कप रखे हुए थे और प्लेट में कुछ सैंडविच रखे हुए थे। उन्होंने ट्रे टेबल पर रखी और अयांश के सामने बैठते हुए पूछा, “तुमने ये लेटर पढ़ लिया है तो तुम्हें सब कुछ पता चल गया होगा की आहना के साथ क्या हुआ था?” 


अयांश कबीर की बात सुनकर हैरान रह गया। उसे ऐसे देखकर कबीर ने कहा, “तुम्हें हैरान होने की जरूरत नही है बेटा। ये लेटर आहना ने मुझसे ही लिखवाया था हॉस्पिटल में। मुझे भी ये सब जानकर उतना ही गुस्सा आया था जितना तुम्हें आ रहा है लेकिन मैं कुछ नही कर सकता क्योंकि आहना ने मुझसे ये वादा लिया था की मैं कुछ न करूं। शायद वो अपनी वजह से किसी को भी तकलीफ नही पहुँचाना चाहती थी।” 


“क्या नुपुर आहना से मिलने यहाँ आई थी?” अयांश ने पूछा तो कबीर ने हाँ में सिर हिला दिया तो अयांश ने कहा, “इन लोगों ने मेरी आहना के साथ जो कुछ भी किया, उसका फैसला आज ही होगा।” 


“पहले तुम ये कॉफी पीलो और ये सैंडविच खालो। जबसे पेरिस से लौटे हो कुछ खाया नही है तुमने।” कबीर ने अयांश को सैंडविच देते हुए कहा। अयांश ने बड़ी मुश्किल से एक सैंडविच खाया और कॉफी पी। वो जल्द से जल्द जानना चाहता था कि उसकी आहना के साथ सबने ये सब क्यों किया इसलिए वो कबीर के साथ अपने घर जाने के लिए निकल गया। 


Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 38

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