Tuesday 11 June 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 35

 


अयांश राकेश से मिला और उन्हें आहना का ख्याल रखने के लिए कहा क्योंकी वो जानता था इस बार आहना उसके दूर जाने के ख्याल से काफी डरी हुई है और इसलिए भी क्योंकि उसका अपना दिल किसी अनहोनी के डर में था। राकेश ने उसे यकीन दिलाया की वो आहना का ख्याल रखेंगे। अयांश आहना के माथे को चूम कर एयरपोर्ट के अंदर चला गया। आहना की आँखों में आँसू आ गए। 


राकेश ने पीछे से आकर उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा, “घर चले बेटा।” 


आहना ने अपने आँसू पोंछे और राकेश के साथ चल दी। 


अयांश के जाने के अगले दिन ही नुपुर आहना से मिलने उसके घर पहुँची। कबीर को उसे वहाँ देखकर बहुत ज्यादा गुस्सा आया पर आहना ने उन्हें शांत रहने के लिए कहा। कबीर बिना कुछ कहे अपने कमरे में चले गए।


“क्या चाहिए तुम्हें मुझसे?” आहना ने नुपुर के सामने सोफे पर बैठते हुए पूछा।


“मैंने अयांश से सुना है की तुम पेंटिंग बहुत अच्छी करती हो। मुझे एक पेंटिंग बनवानी है तुमसे अपने मॉम डैड की। उन्हें गिफ्ट करने के लिए।” नुपुर ने मुस्कुराते हुए कहा। आहना को कुछ अजीब लग रहा था क्योंकि नुपुर उससे कभी भी ऐसे मुस्कुराते हुए बात कर ही नही सकती थी। उसने उसे देखते हुए कहा, “मैं अभी ऐसे वर्क नही लेती हूं। तुम किसी और पेंटर को ढूंढ लो।” 


“प्लीज आहना। मान जाओ ना।” नुपुर ने कहा पर आहना नही मानी क्योंकि वो नुपुर के लिए कोई काम नही करना चाहती थी तो उसने कहा, “अच्छा, ठीक है। पर मैं तुम्हारी बनाई हुई पेंटिंग्स तो देख सकती हूँ ना।” 


आहना इसके लिए मान गई तो नुपुर खुश हो गई की वो अब अपने प्लैन को अंजाम दे पाएगी। आहना उसे अपने कमरे में ले गई जहाँ बहुत सारी पेंटिंग्स रखी हुई थी। आहना ने सबसे पहले अयांश की पेंटिंग को छुपा दिया और फिर सारी पेंटिंग्स के ऊपर से पेपर्स हटाने लगी। जब आहना ये सब कर रही थी, नुपुर उसके पूरे कमरे में अपनी नज़रे दौड़ा रही थी और आखिरकार उसकी नजरें आहना के बेड के पास रखे स्टूल पर गई, जिसके ऊपर आहना की दवाईयां रखी हुई थी। 


सारे कागज़ हटाकर आहना ने उससे कहा, “तुम अब पेंटिंग्स को देख सकती हो।” 


आहना की आवाज सुनकर नुपुर ने उसे देखा और कहा, “मुझे एक ग्लास पानी मिलेगा।” 


आहना ने हाँ में सिर हिलाया और उसके लिए पानी लेने कमरे से बाहर चली गई जिसका फायदा उठाते हुए नुपुर ने जल्दी से आहना की दवाईयों को अपनी लाई हुई दवाईयों के साथ बड़े ही ध्यान से बदल दिया। वो मुस्कुराते हुए सोचने लगी, “अब इन दवाईयों को लेने से धीरे धीरे तुम्हारी तबियत खराब होती जाएगी।”


नुपुर पेंटिंग्स के पास आकर खड़ी हो गई। आहना उसके लिए पानी लेकर आई और ग्लास उसे दे दिया। नुपुर ने पानी पीकर ग्लास आहना को दिया और कहा, “तुम बहुत अच्छी पेंटिंग्स बनाती हो। मुझे अच्छा नही लग रहा की तुमने मेरे लिए पेंटिंग बनाने के लिए मना कर दिया पर कोई बात नही। अब मुझे चलना चाहिए।” 


आहना उसे गेट तक छोड़ने आई और उसके जाते ही दरवाजा बंद कर दिया। आहना को नुपुर का इस तरह आना सही नही लगा था। उसे इतना तो पता था की नुपुर यहाँ पेंटिंग के लिए नही आई थी। नुपुर के आने का इरादा कुछ और ही था जिसे वो समझ नही पाई थी। 


आहना ने नुपुर के द्वारा बदली हुई दवाईयां लेना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से उसकी तबियत धीरे धीरे बिगड़ने लगी। उसे हर वक्त थकान और चक्कर आने जैसा लगता रहता था पर आहना ने इस पर ध्यान नही दिया क्योंकी उसे लगता था की ये सब उसके ज्यादा काम करने की वजह से हो रहा है क्योंकि इन दिनों वो ऑफिस और घर में बहुत काम करती थी जिसकी वजह से उसे आराम करने का वक्त सिर्फ रात में मिलता था। 


अयांश भी अपना काम पेरिस में अच्छी तरह से संभाल रहा था। वहाँ पर दूसरी कम्पनी जिसके साथ राकेश की कम्पनी काम कर रही थी, के मैनेजर ने अयांश को सब कुछ अच्छे से समझाया। अयांश अपने काम से बहुत खुश था पर उसे आहना की याद आती रहती थी। काम में व्यस्त रहते हुए और अलग अलग वक्त की वजह से वो दोनों बहुत मुश्किल से एक दूसरे के साथ बात कर पाते थे। 


आहना अपनी तबियत के चलते अकेले ही डॉक्टर से मिलने गई क्योंकि कबीर ऑफिस में व्यस्त थे। उसने डॉक्टर को वो दवाईयां भी दिखाई जो वो ले रही थी। डॉक्टर ने जैसे ही दवाईयों को ध्यान से देखा वो हैरान रह गई और आहना से पूछा, “ये दवाईयां आपने कहाँ से ली है?” 


“आपके हॉस्पिटल के बाहर जो मेडिकल है। वहाँ से ली है मैंने ये दवाईयां। इस एवरीथिंग फाइन डॉक्टर?” आहना ने पूछा। 


“इंपॉसिबल। वो मेडिकल वाला आपको ये दवाईयां नही दे सकता। आपकी दवाईयां किसी ने चेंज की है और दिक्कत की बात ये है की आप ये काफी ज्यादा ले चुकी है इसलिए आपके साथ ये सब कुछ हो रहा है।” डॉक्टर ने आहना से परेशान होते हुए कहा।


आहना ने घबराते हुए डॉक्टर से पूछा, “पर ये दवाईयां किस लिए है डॉक्टर?” 


“ये दवाईयां नही है। ये स्लो पॉइजन है।” डॉक्टर की बात सुनकर आहना हैरान रह गई और उसे अचानक से वो दिन याद आ गया जब अयांश के जाने के अगले दिन ही नुपुर उसके घर आई थी और जब वो उसे अपने कमरे में पेंटिंग्स दिखाने के लिए लेकर गई थी तो कैसे उसने पानी के बहाने उसे कमरे से बाहर भेज दिया था। आहना समझ गई की नुपुर ने उसी वक्त उसकी सारी दवाईयां बदल दी थी पर उसे ये समझ नही आया की नुपुर को ये कैसे पता था की वो दवाईयां लेती है क्योंकि ये बात सिर्फ कबीर जानते थे। 


“आहना।” डॉक्टर की आवाज सुनकर आहना अपने ख्यालों से बाहर आई तो डॉक्टर ने कहा, “आप घबराओ मत आहना। पहले तो अब आपको ये नही लेनी है और दूसरा, मैं आपको दवाईयां लिखकर दे रही हूं। आप वो लेना शुरू करना। आप धीरे धीरे ठीक होने लगेंगी।” 


“थैंक यू, डॉक्टर।” आहना ने कहा। डॉक्टर ने दवाईयां लिखकर कागज़ आहना को थमा दिया। आहना अस्पताल से बाहर आ गई और मेडिकल से दवाईयां लेकर अपने घर चली गई।


***


अयांश के वापिस आने से एक हफ्ता पहले नुपुर राकेश से मिलने उनके ऑफिस आई थी। वो उनके केबिन में बैठकर उनके साथ कुछ बात कर रही थी। आहना को एक फाइल को लेकर राकेश से बात करनी थी इसलिए वो भी उनके केबिन की तरफ आई। वो अंदर जाने के लिए दरवाजा खटखटाने ही वाली थी की तभी उसने नुपुर को कहते हुए सुना, “मैंने आहना को मरवाने के लिए एक इंसान को हायर किया है।” 


आहना ने दरवाजे का हैंडल कसकर पकड़ लिया और वहीं खड़ी सब कुछ सुनने लगी। वो जानना चाहती थी की नुपुर उसे मरवाना क्यों चाहती है और वो इस बारे में राकेश को क्यों बता रही है। 


“तुम ये मुझे क्यों बता रही हो?” राकेश ने पूछा। 


नुपुर हँसने लगी और उसने कहा, “मैं आपको ये बात इसलिए बता रही हूँ क्योंकि आपको पता होना चाहिए की आपकी प्यारी बेटी के साथ मैं क्या करने वाली हूँ।” 


“देखो, तुम जो चाहती थी वो मैंने कर दिया था। तुम चाहती थी मैं अयांश को किसी भी बहाने से यहाँ से दूर भेज दूं जिससे वो आहना को बचा न सके और ये मैंने कर दिया। अब मुझे इन सब से दूर रखो।” राकेश की बात सुनकर आहना को एक पल के लिए अपने कानों पर यकीन ही नही हुआ। उसका इस बात पर यकीन कर पाना बेहद मुश्किल था की उसे हमेशा अपनी बेटी मानने वाले राकेश आज उसे मारने की बातें कर रहे है। 


आहना वहाँ और नही रुकना चाहती थी इसलिए वो जल्दी से अपने केबिन की तरफ आकर अपना सारा समान बैग में डालने लगी। उसी वक्त नुपुर भी राकेश के केबिन से बाहर आई और उसे देख लिया।


आहना अपना सारा सामान लेकर कबीर को बिना बताए ही घर जाने के लिए ऑफिस से बाहर गई। ये देखकर नुपुर ने किसी को फोन लगाया। जैसे ही दूसरी तरफ से किसी ने फोन उठाया, नुपुर ने कहा, “वो अभी अभी ऑफिस से बाहर निकली है। तुम्हें पता है ना तुम्हें क्या करना है।” 


दूसरी तरफ से किसी ने हाँ कहकर फोन काट दिया। नुपुर अपने फोन को देखकर मुस्कुराने लगी और उसने कहा, “अब तुम सिर्फ मेरे होगे अयांश। अब आहना हमारे बीच कभी नही आएगी।” 


आहना जब भी कहीं अकेले आया जाया करती थी तो अक्सर पैदल जाती थी या फिर ऑटो ले लिया करती थी क्योंकी उसे लगता था गाड़ी की जरूरत उससे ज्यादा कबीर को है और घर ऑफिस से ज्यादा दूर नही था। आज भी आहना पैदल ही घर जा रही थी। चलते हुए उसके मन में बहुत से ख्याल आ जा रहे थे। उसे यकीन ही नही हो रहा था की राकेश इतना बदल सकते है। 


आहना को रोड पार करना था तो वो बिना सोचे समझे फुटपाथ से उतरकर रोड पर चलने लगी। वो अपनी सोच में खोए हुए रोड पार कर ही रही थी की तभी एक गाड़ी तेज स्पीड से उसकी तरफ आई और उसे जोर से टक्कर मारते हुए उसके ऊपर से चढ़कर निकल गई। 


Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 36

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