Sunday 9 June 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 34

 


रिद्धिमा ने आहना को मारने में उनका और नुपुर का साथ देने के लिए राकेश को तैयार कर लिया था जिससे नुपुर बहुत ज्यादा खुश थी लेकिन राकेश को अपने इस फैसले पर रोना आ गया था क्योंकि उन्हें अपने बिजनेस को बचाने के लिए आहना जिसे वो अपनी बेटी मानते थे, उसकी जान लेनी थी। 

रिद्धिमा ने जब उन्हें ऐसे देखा तो उनके कंधे पर हाथ रखकर कहा, “राकेश, तुम क्यों परेशान हो रहे हो। हजारों जिंदगीयों को खुश रखने के लिए अगर एक जिंदगी लेनी पड़ रही है तो इसमें कुछ गलत नही है और वैसे भी ये बिजनेस वर्ल्ड है, यहाँ अपना अपना बिजनेस बचाने के लिए लोग सारी लिमिट्स क्रॉस करते है। टेंशन मत लो तुम।” 

राकेश ने कुछ नही कहा और उठकर अपने कमरे में चले गए। उन्हें वो पल याद आ गया जब उन्होंने आहना को बताया था की बिजनेस के लिए लोग इंसानियत की हदें भी पार कर देते है और आज वो भी यही करने जा रहे थे। उन्होंने अपने मैनेजर को फोन करके कह दिया की सभी एम्प्लॉय से कह दे की उन्हें किसी भी चीज की टेंशन लेने की जरूरत नही है क्योंकि कबीर को फोन करने की हिम्मत उनके अंदर नही थी। कैसे बताते वो कबीर को की सब कुछ ठीक उनकी बेटी की जिंदगी के बदले में हुआ है।

राकेश उसके बाद से सारा दिन ऑफिस ही नही गए और खुदको अपने कमरे में बंद रखा। अयांश ने जब रिद्धिमा से उनके बारे में पूछा तो उसने झूठ कह दिया की राकेश की तबियत ठीक नही है इसलिए वो आराम कर रहे है। अयांश ने भी उन्हें डिस्टर्ब करना ठीक नही समझा इसलिए वो डिनर करने के बाद अपने कमरे में चला गया। 

***

आहना को अपनी आँखों में ज्यादा ही तकलीफ महसूस होने लग गई थी जिसके लिए वो एक दिन अपॉइंटमेंट लेकर अकेले डॉक्टर के पास गई। डॉक्टर ने उसे कुछ दवाईयां और आईड्रॉप का नाम कागज़ पर लिखकर दे दिया। 

आहना डॉक्टर को थैंक यू कहकर जैसे ही बाहर आई, अस्पताल के अंदर आती हुई नुपुर ने उसे देख लिया। नुपुर ने देखा की आहना सामने बने हुए मेडिकल स्टोर की तरफ जा रही है तो वो भी अस्पताल के अंदर ना जाकर आहना के पीछे जाने लगी। चलते हुए ही उसने अपने स्कार्फ से अपना चेहरा ढक लिया। 

आहना ने अपने हाथ में पकड़ा कागज़ दुकानदार को दिया और इंतजार करने लगी। नुपुर भी उसके साथ आकर खड़ी हो गई और दुकानदार आहना के सामने जो भी दवाईयां रख रहा था उन्हें ध्यान से देखने लगी। आहना ने एक नजर उसे देखा पर उसे पहचान नही पाई क्योंकि नुपुर की सिर्फ आँखें ही दिखाई दे रही थी। 

दुकानदार ने आकर नुपुर से पूछा की उसे क्या चाहिए तो नुपुर ने जल्दी जल्दी में विक्स बोल दिया। दुकानदार ने आहना के सामने आई ड्रॉप और नुपुर को विक्स लाकर दे दिया। नुपुर ने ध्यान से आहना के सामने रखे हुए आई ड्रॉप और दवाईयों को देखा और फिर दुकानदार को विक्स के पैसे देकर वहाँ से चली गई।

आहना को दवाईयां लेते हुए देखकर ही उसके दिमाग में एक खतरनाक साजिश जन्म ले चुकी थी जिसे वो अब अंजाम देने वाली थी। 

रिद्धिमा राकेश को अपने और नुपुर के प्लैन के बारे में बता चुकी थी और उन्हें समझा चुकी थी की उन्हें क्या करना है इसलिए उसी रात राकेश ने अयांश को अपने स्टडी रूम में बुलाया और उससे कहा, “अयांश, तुम्हें अपनी पढ़ाई पूरी किए हुए काफी वक्त हो गया है। अब मैं चाहता हूँ की तुम ऑफिस पूरी तरह से ज्वॉइन करो और धीरे धीरे सब कुछ सीखना शुरू करो।” 

“जी पापा, मैं कल से रोज ऑफिस आया करूंगा।” अयांश ने कहा और थोड़ी देर बाद वहाँ से चला गया। 

अगले दिन से अयांश ने रोजाना ऑफिस जाना शुरू कर दिया। वो वहाँ पर सभी के साथ काम करते हुए धीरे धीरे सब कुछ सीखने लगा। साथ ही उसे आहना के साथ भी पहले से ज्यादा वक्त बिताने का मौका मिल गया था क्योंकि ज्यादातर वो दोनों एक साथ ही काम करते थे। 

अयांश को ऑफिस में काम करते हुए पूरे तीन महीने हो चुके थे और इन तीन महीनों में उसने सबके साथ काम करते हुए बहुत सारा एक्सपीरियंस लिया और बिजनेस के बारे में काफी कुछ सीख लिया। 

एक दिन आहना और अयांश केबिन में एक साथ बैठे कुछ फाइलों पर काम कर रहे थे की तभी वहाँ एक लड़के ने आकर अयांश से कहा, “अयांश सर, आपको सर बुला रहे है।” 

“ठीक है। मैं जाता हूँ। थैंक यू।” अयांश ने कहा तो लड़का वहाँ से चला गया। अयांश ने मुस्कुराते हुए आहना के माथे को अपने होठों से छुआ और केबिन से निकलकर राकेश के केबिन की तरफ चल पड़ा। 

उसने केबिन के बाहर आकर धीरे से दरवाज़ा खोला और अंदर चला गया। उसने सामने कुर्सी पर बैठते हुए कहा, “पापा, आपने मुझे बुलाया।” 

राकेश ने अपने लैपटॉप स्क्रीन से नजरें हटाकर उसे देखा और फिर कहा, “हाँ, वो मैं तुमसे एक बात करना चाहता था।” 

“जी पापा, कहिए।” अयांश ने कहा। 

राकेश ने अपना चश्मा उतारकर टेबल पर रखा और कहा, “हमारा एक होटल का प्रोजेक्ट है पेरिस में। वहाँ की एक कम्पनी हमारे साथ मिलकर वहाँ एक होटल खोलना चाहती है। तुम्हें यहाँ काम करते हुए तीन महीने हो चुके है और मैंने देखा है की तुमने काफी जल्दी सब कुछ सीख लिया है इसलिए मैं चाहता हूँ की इस प्रोजेक्ट के लिए तुम पेरिस जाओ।” 

राकेश की बात सुनकर अयांश को थोड़ी हैरानी हुई क्योंकि वो अच्छे से जानता था की इतने बड़े प्रोजेक्ट के लिए राकेश उससे ज्यादा एक्सपीरियंस वाले इंसान को भेजते क्योंकि राकेश के लिए उनका काम ही उनका सब कुछ था और वो अपने काम के साथ कोई रिस्क नही ले सकते थे। ऐसे में राकेश का इतने बड़े प्रोजेक्ट के लिए उसे भेजने की बात करना अयांश को कुछ ठीक नही लगा क्योंकि उसका एक्सपीरियंस तो अभी काफी कम था। वो तो ये समझता था कि आहना का एक्सपीरियंस उससे कहीं ज्यादा है। उसने राकेश को देखा और कहा, “पापा, इसके लिए आप मुझे क्यों भेजना चाहते है। मेरा एक्सपीरियंस तो अभी बहुत कम है। आप किसी और को भेजिए न इसके लिए जो मुझसे ज्यादा एक्सपीरियंस्ड हो।” 

“जब मैंने ये बिजनेस नया नया शुरू किया था, उस वक्त मेरे पास भी कोई एक्सपीरियंस नही था। बस थोड़ी सी नॉलेज, हिम्मत और मेहनत थी मेरे पास। मैंने गलतियां की, उनसे सीखा और धीरे धीरे बढ़ता गया। तुम फिर भी खुशकिस्मत हो जो तुम्हें वो सब नही देखना पड़ रहा जो मैंने देखा था। अगर हम ये प्रोजेक्ट खो भी देते है तो मुझे कोई दुख नही होगा क्योंकि मुझे पता है, इससे तुम्हें कुछ न कुछ सीखने को मिलेगा ही, बेशक गलती करके ही सही। इसलिए मैं चाहता हूँ की तुम जाओ और तुम ही जाओगे। कोई और नही।” राकेश ने अयांश को समझाकर अपना फैसला सुनाते हुए कहा पर अयांश को कुछ ठीक नही लग रहा था क्योंकि वो जानता था की राकेश कभी भी उसे कुछ भी ऐसा करने के लिए नही कहेंगे जो वो न करना चाहता हो। राकेश को भी ये सब करने में बहुत तकलीफ हो रही थी पर उन्होंने खुद को मजबूत बना रखा था।

अयांश नही जाना चाहता था जिसकी वजह थी आहना। वो एक बार आहना से दूर गया था तो उसके और आहना के साथ कितना कुछ हुआ था। उसे फिर से यही डर लग रहा था की अगर वो फिर से आहना से दूर गया तो फिर से कहीं कुछ गलत न हो जाए। किसी अनहोनी के डर की वजह से वो जाना नही चाहता था पर वो राकेश को ना भी नही कह सकता था इसलिए वो पेरिस जाने के लिए मान गया लेकिन उसका दिल अभी भी तैयार नही था। वो राकेश के केबिन से बाहर आ गया। उसके जाते ही राकेश ने कहा, “मुझे माफ कर देना, अयांश पर इस कम्पनी पर तुम्हारा फ्यूचर भी डिपेंड है। इस कम्पनी के लिए मुझे आहना को मारना होगा जिसके लिए तुम्हारा दूर जाना बहुत जरूरी है।” 

उसने केबिन में वापिस आकर आहना को इस बारे में बताया तो आहना को भी बहुत हैरानी हुई और उसने कहा, “मुझे कुछ सही नही लग रहा, अयांश। अंकल तुम्हें कभी भी किसी ऐसी बात के लिए फोर्स नही करेंगे जो तुम ना करना चाहो।” 

“वही तो मैं सोच रहा हूँ, आहना। पापा मुझे ही क्यों भेजना चाहते है।” कहते हुए अयांश ने आहना को देखा जो इस बात से परेशान लग रही थी। उसने आहना का हाथ पकड़ा और कहा, “सब ठीक होगा, आहना।” 

“मुझे डर लग रहा है, अयांश। एक बार तुम दूर गए थे तो देखा ना क्या हुआ था। इस बार भी अगर कुछ…” इससे पहले कि आहना अपनी बात खत्म करती, अयांश ने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया और कहा, “कुछ नही होगा। डरो मत।” 

आहना का अब ऑफिस में मन नही लग रहा था इसलिए उसने अयांश से कहा की वो उसे घर छोड़ दे। अयांश आहना को लेकर ऑफिस से बाहर आ गया। कुछ ही देर बाद उसने आहना को घर छोड़ा और उसे परेशान न होने का कहकर अपने घर के लिए निकल गया। 

राकेश ने अपने मैनेजर से कहकर अयांश की सन्डे की फ्लाईट बुक कर दी थी। अयांश अपने कमरे में पैकिंग करने में लगा हुआ था। नुपुर बेड पर बैठकर फोन चलाते हुए उसे ही देख रही थी। वो बहुत ही ज्यादा खुश थी ये सोचकर की आखिरकार वो दिन आने ही वाला था जब वो आहना को अयांश की जिंदगी से बहुत दूर भेज देगी और फिर अयांश सिर्फ उसका होगा। अयांश को पेरिस में पूरे एक महीने के लिए रुकना था इसलिए नुपुर के पास आहना को मारने के लिए बहुत वक्त था। 

सन्डे की शाम को अयांश आहना और राकेश के सामने एयरपोर्ट पर खड़ा था। आहना अयांश को रोकना चाहती थी पर उसने अयांश से कुछ भी नही कहा। राकेश उन दोनों से दूर खड़े थे जिससे अयांश और आहना को एक दूसरे के साथ कुछ वक्त मिल सके क्योंकि सिर्फ उन्हें ही पता था की ये मुलाकात शायद अयांश और आहना की आखिरी मुलाकात हो एक दूसरे के साथ। 


Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 35

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