Wednesday 5 June 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 32

 


नुपुर अयांश का इंतजार करते करते जब थक गई तो अपने कमरे में जाकर सो गई। 


सुबह अयांश की नींद खुली तो वो मुस्कुरा उठा। आहना उसके सीने पर अपना सिर रखकर आराम से सो रही थी और उसके होठों पर मुस्कान थी। उसने आहना के बालों पर एक किस किया। उसने धीरे से आहना को खुद से अलग किया जिससे वो जाग न जाए और उठकर बाथरूम में चला गया। 


बाथरूम से बाहर आने के बाद उसने देखा कि आहना अभी भी सो रही है और उसके सारे बाल उसके चेहरे पर आ गए है। अयांश उसके पास आकर बैठ गया। उसने प्यार से अपनी उंगलियों से आहना के चेहरे से सारे बाल हटाए और उसके माथे पर किस करते हुए कहा, “उठ जाओ, टेडी बियर।” 


“उम्म, उठती हूँ थोड़ी देर में।” आहना ने नींद में कहा और अयांश का हाथ अपने हाथ में लेकर उसकी गोद में सिर रखकर फिर से सो गई। अयांश मुस्कुरा दिया और उसके बालों को सहलाने लगा। 


थोड़ी देर बाद आहना उठी और तैयार होने चली गई। उसके तैयार होने के बाद, उसने और अयांश ने वहीं नाश्ता किया और फिर वहाँ से निकल गए। अयांश जैसे ही अपने घर पहुँचा, उसका सामना सबसे पहले नुपुर से हुआ, जो गुस्से से उसे घूरे जा रही थी। 


“कहाँ थे तुम कल सारी रात?” नुपुर ने उसके पास आकर गुस्से में पूछा। 


अयांश ने उसे देखा और कहा, “तुम ये सवाल पूछने का कोई हक नही रखती मुझसे?” 


“ओह रियली, मैं तुम्हारी वाइफ हूँ और मुझे ये जानने का राइट है की तुम कहाँ थे।” नुपुर ने चिल्लाते हुए कहा।


“जबरदस्ती के रिश्ते को नाम देना बंद करो तुम और जानना चाहती हो ना मैं कहाँ था तो सुनो। तुम मेरी वाइफ हो पर आजतक मैंने तुम्हें इसका असली हक नही दिया है। वही हक मैं किसी और को देकर आया हूँ कल रात। अब इतनी समझदार तो तुम हो की ये जान सको की मैं कहाँ था।” कहकर अयांश ऊपर अपने कमरे में चला गया। 


नुपुर हैरानी और गुस्से से उसे देखती रही और उसने कहा, “मैं तुम्हें छोडूंगी नही आहना।” 


रात को डिनर के बाद राकेश ने अयांश को अपने स्टडी रूम में आने के लिए कहा। नुपुर जानना चाहती थी की राकेश अयांश से क्या बात करना चाहते है इसलिए वो भी थोड़ी देर बाद अयांश के पीछे पीछे आ गई और स्टडी रूम में बाहर आकर रुक गई। 


अयांश राकेश के सामने कुर्सी पर बैठा था। राकेश अयांश के सामने आकर बैठा और पूछा, “आहना के साथ अब तुम्हारा रिश्ता ठीक है ना।” 


“जी पापा। सब ठीक है। फिर से सब कुछ पहले जैसा हो गया है।” अयांश ने कहा। आहना का नाम सुनते ही बाहर रूम के बाहर खड़ी नुपुर को गुस्सा आ गया पर राकेश की अगली बात ने उसे और गुस्सा दिला दिया जब उन्होंने अयांश से पूछा, “नुपुर को डायवोर्स कब दे रहे हो तुम?” 


“पापा, मैं नही दूंगा नूपुर को डायवोर्स।” अयांश ने जैसे ही ये कहा, नूपुर खुश हो गई पर राकेश ये सुनकर हैरान है इसलिए उन्होंने पूछा, “तुम्हारे कहने का मतलब क्या है, अयांश?” 


“पापा, मैं नुपुर को इतना ज्यादा परेशान करूंगा की वो खुद मुझे डायवोर्स देकर छोड़ देगी।” अयांश ने कहा जिसे सुनते ही नुपुर गुस्से में वहाँ से अपने कमरे में आ गई और उसने दीवार पर लगी अयांश की तस्वीर को देखते हुए कहा, “जितनी मर्जी कोशिश करलो अयांश। जितना मर्जी परेशान करो तुम मुझे। मैं तुम्हें कभी डायवोर्स नही दूंगी और न ही कभी छोडूंगी। अगर तुम्हें कोई छोड़कर जाएगा तो वो है आहना।” 


एक दिन आहना ऑफिस में बैठे कंप्यूटर स्क्रीन के आगे काम कर रही थी की तभी उसे महसूस हुआ की उसकी नज़र कमज़ोर हो रही है। उसने अपनी आँखें बंद करते हुए कहा, “ज्यादा कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम करने की वजह से नजर कमज़ोर हो रही है।” 


वो आँखें खोलकर फिर से अपने काम में लग गई। वो इतनी व्यस्त हो गई की उसने ध्यान ही नही दिया की अयांश पिछले पाँच मिनिट से उसके पीछे खड़ा उसे ही देख रहा था। उसने हल्के से आहना के कंधे पर मारा जिससे आहना का ध्यान उसके ऊपर गया और उसने खड़े होते हुए कहा, “अयांश, तुम यहाँ?” 


“तुमसे मिलने आया था पर तुम तो बिजी हो बहुत। इतना कहाँ ध्यान लगा रखा है की मेरा ही ध्यान नही रहा तुम्हें।” अयांश ने कहा। 


आहना ने अपने सामने रखी कुछ फाइलों और कंप्यूटर की तरफ इशारा करते हुए कहा, “इन फाइलों और कंप्यूटर के साथ बिजी हूँ।” 


अयांश ने सारी फाइल्स को बंद किया और कहा, “मैं तुम्हें अपने साथ ले जाने आया था। तुम इसी वक्त मेरे साथ चल रही हो।” 


“पर कहाँ?” आहना ने फाइलों को बंद करता देखते हुए पूछा।


“हमारे बचपन वाले पार्क में।” अयांश ने आहना का हाथ पकड़कर उसे उठाते हुए कहा। 


वो दोनों ऑफिस से बाहर आ गए और गाड़ी में बैठ गए। जल्दी ही वो दोनों पार्क के अंदर आकर उसी बेंच पर बैठ गए जिसपर वो हमेशा बैठा करते थे और हमेशा की तरह आहना ने अपना सिर अयांश के कंधे पर रख रखा था। 


वो दोनों एक दूसरे का हाथ थामे हुए पार्क में खेल रहे बच्चों को देख रहे थे। अयांश ने आहना को देखा और पूछा, “क्या तुम्हें भी मेरी तरह हमारा बचपन याद आ गया। जब हम भी ऐसे ही यहाँ आकर खेला करते थे?” 


“हम्म, कितनी जल्दी बड़े हो गए न हम लोग। मुझे तो आज भी वो दिन फिर से जीने का मौका मिले न, तो मैं आसानी से तैयार हो जाऊंगी इसके लिए।” आहना ने कहा। 


“वैसे ये मौका तो हमें मिलेगा एक बार बहुत जल्दी।” अयांश ने कहा तो आहना ने उसे हैरानी से देखा और पूछा, “वो कैसे?” 


“हमारी शादी होगी। फिर हमारे बच्चे होंगे। छोटी आहना और छोटा अयांश। जिनमें हम अपना बचपन जीयेंगे और उनके साथ रोज यहाँ आया करेंगे।” अयांश ने मुस्कुराते हुए कहा और आहना को देखा। 


“तुमने बच्चों के बारे में भी अभी से ही सोच लिया।” आहना ने हैरानी से पूछा।


“येस, मुझे एक बेबी गर्ल एंड एक बेबी बॉय चाहिए जो बिल्कुल मेरे ऊपर जाएंगे।” अयांश ने खुश होकर कहा।


“वो तो होगा ही। हर वक्त तुम मेरी नज़रों के सामने जो रहा करोगे।” आहना ने प्यार से कहा तो अयांश भी प्यार से उसकी आँखों में देखने लगा।


जैसे ही अयांश आहना के साथ ऑफिस से निकला था, उसके कुछ वक्त बाद ही नुपुर ऑफिस में आई। जब उसे पता चला की अयांश ऑफिस में नही है तो उसे गुस्सा आने लगा जो और ज्यादा बढ़ गया जब उसे पता चला की आहना भी ऑफिस में नही है। उसे समझते देर नही लगी की पक्का अयांश आहना के साथ कहीं गया है। 


वो गुस्से से घर आ गई और अयांश के आने का इंतजार करने लगी। रिद्धिमा भी वहीं बैठी उसे देख रही थी। शाम में सात बजे के करीब अयांश घर पहुँचा। 


“कहाँ थे तुम इतने वक्त से?” नुपुर ने उसे गुस्से में पूछा। 


अयांश ने उसे देखा और कहा, “ऑफिस में था मैं।” 


नुपुर ने उसे देखा और कहा, “झूठ। तुम ऑफिस में नही थे। गई थी मैं ऑफिस आज। न तुम वहाँ थे और न वो आहना। उसी के साथ थे न तुम?” 


“सही कहा तुमने। आहना के साथ ही था मैं।” अयांश ने कहा और बिना नुपुर कि बात सुने वहाँ से ऊपर अपने कमरे में चला गया।


नुपुर ने रिद्धिमा को देखा और कहा, “देखा आपने। वो आहना अयांश को मुझसे छीनकर ही रहेगी।” 


“शांत रहो, नुपुर।” रिद्धिमा ने कहा।


“कैसे शांत, रहूं? आपको पता है राकेश अंकल चाहते है की अयांश जल्द से जल्द मुझे डायवोर्स दे और आहना से शादी करले।” नुपुर ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा।


“क्या? वो तुम्हें डायवोर्स नही दे सकता।” रिद्धिमा ने कहा।


“अब मैं उस आहना को नही छोडूंगी, मॉम। मैं उस आहना को अयांश के साथ और बर्दाश्त नही कर सकती।” नुपुर ने गुस्से में अपने दांत भींचते हुए कहा।


रिद्धिमा ने नुपुर को देखा और एक शैतानी मुस्कान के साथ कहा, “डोंट वरी, बेटा। आहना को नुकसान पहुँचाने में अब वही इंसान हमारी मदद करेगा, जो उसे सबसे ज्यादा पसंद करता है।” 


Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 33


No comments:

Post a Comment