Saturday 25 May 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 25


आहना अयांश और नुपुर के वेडिंग रिसेप्शन में जाना चाहती थी पर कबीर नही चाहते थे की आहना वहाँ जाए। आहना के लिए उन्हें मानना पड़ा और वो तैयार होकर आहना के साथ रिसेप्शन के लिए निकल गए। 

वहाँ पहुँचकर वो दोनों जब हॉल के अंदर आए तो सबसे पहले दोनों की ही नजर सामने स्टेज पर एक साथ बैठे अयांश और नुपुर पर गई। अयांश कहीं और ही खोया हुआ था इसलिए आहना पर उसका ध्यान नही गया पर नुपुर ने उसे देख लिया था। कबीर अयांश से मिलना नही चाहते थे इसलिए आहना के साथ राकेश के पास चले गए। 

राकेश आहना को वहाँ देखकर हैरान थे क्योंकि उन्हें लगता था की आहना यहाँ नही आएगी। कबीर और राकेश मिलकर अपने ऑफिस के लोगों के साथ बातें कर रहे थे। उनके पास खड़ी आहना अयांश को ही देखे जा रही थी और कुछ वक्त बाद स्टेज की ओर बढ़ गई। 

अयांश को नुपुर के साथ देखकर उसे तकलीफ तो बहुत ज्यादा हो रही थी पर खुद के लिए उसे ये करना ही था। अयांश ने जब उसे देखा तो वो खड़ा हो गया। वो दोनों एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे। 

आहना ने अयांश से नज़रे हटाकर नुपुर को देखा और उसकी तरफ हाथ बढ़ाकर कहा, “कंग्रेटुलेशनस।” 

“थैंक्यू।”, नुपुर ने आहना से हाथ मिलाते हुए कहा। आहना स्टेज से नीचे जाने लगी तो अयांश ने उसका हाथ पकड़ लिया क्योंकि वो आहना से बात करना चाहता था पर इससे पहले की वो आहना से कुछ कह पाता, नुपुर ने खड़े होकर उसका हाथ पकड़ लिया और अयांश को देखने लगी, जिसकी नज़रे सामने खड़ी आहना पर टिकी हुई थी। 

आहना ने पहले नूपुर को देखा और फिर वापिस अयांश को देखकर स्टेज से नीचे उतरने के लिए मुड़ गई और उसका हाथ अयांश के हाथ से छूट गया। अयांश को ऐसा लगा जैसे आहना उससे सच में बहुत दूर जा चुकी है। वहीं आहना ने अयांश और नुपुर के आगे तो खुद को संभाल लिया था पर उसे अयांश को नुपुर के साथ देखकर बहुत ही ज्यादा तकलीफ हो रही थी। 

आहना वहाँ अब एक पल और नही रुकना चाहती थी इसलिए वो कबीर के पास आई और कहा, “पापा, मुझे घर जाना है।” 

“तुम ठीक तो हो न, बेटा।” कबीर ने परेशान होते हुए पूछा। 

“मैं ठीक हूँ, पापा बस मुझे घर जाना है। मैं यहाँ और नही रहना चाहती।” आहना ने कहा तो कबीर उसे लेकर वहाँ से घर के लिए निकल गए। 

घर पहुँचकर आहना दौड़कर अपने कमरे में चली गई और दरवाज़ा बंद करके रोने लगी। अयांश के साथ बिताए एक एक पल उसकी आँखों के सामने आने लगे। उसकी नज़र अपने बाएं हाथ पर पड़ी, जिसकी उँगली में वो अँगूठी थी जो अयांश ने उसे पहनाई थी। 

उसने अँगूठी को उतारने की कोशिश की पर वो अँगूठी उसकी उँगली से नही उतरी जैसे अयांश और उसकी यादों की तरह वो अँगूठी भी आहना से दूर न होना चाह रही हो। आहना बेड के पास जमीन पर बैठ गई और कहने लगी, “क्यों, क्यों, क्यों….। जब तुम मुझसे दूर हो चुके हो तो क्यों तुम्हारी यादें मुझसे दूर नही हो रही, अयांश।” 

आहना रोते रोते वहीं सो गई। कबीर ने जब उसके कमरे में आकर देखा तो उसे जमीन पर बैठे सोता हुआ देखकर उन्हें अच्छा नही लगा। उन्होंने प्यार से आहना को उठाया और उसे बेड पर सोने के लिए कहा। 

आहना बेड पर लेट गई। कबीर ने उसे कंबल ओढ़ाकर उसके माथे को चूमा। वो आहना के कमरे से बाहर आए और अपने कमरे में सोने चले गए। 

अगले दिन से ही आहना ने वापिस ऑफिस जाना शुरू कर दिया। कबीर और राकेश को भी लगा कि आहना का ऑफिस आना ठीक है क्योंकि इससे वो व्यस्त रहेगी और अयांश के बारे में कम सोचेगी। आहना को भी यही लगता था पर ऑफिस में काम करते हुए भी उसे अयांश की यादें आती रहती। 

अयांश को जब पता चला की आहना ने ऑफिस जाना शुरू कर दिया है तो वो भी रोज ऑफिस आने लगा। उसने बहुत बार आहना से बात करने की कोशिश की पर आहना हर बार उसे इग्नोर कर दिया करती। 

एक दिन आहना अयांश को ऑफिस की कैंटीन में अकेले मिल गई। अयांश उसके पास गया और उसने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “आहना, मुझे तुमसे बात करनी है।” 

“लेकिन मुझे तुमसे कोई बात नही करनी।” कहते हुए आहना ने अपना हाथ छुड़वाया और वहाँ से जाने के लिए जैसे ही मुड़ी, अयांश ने फिर से उसका हाथ पकड़ लिया और कहा, “आहना प्लीज, एक बार मेरी बात सुन तो लो।” 

“तुम अब भूल जाओ मुझे अयांश। यही बेहतर होगा हम दोनों के लिए।” आहना ने कहा। वो दोनों ही इस बात से अनजान थे की राकेश उन्हें छुपके से देख रहे थे और उनकी बातें भी सुन रहे थे। 

“आहना, मेरे लिए इतना आसान नही है तुम्हें भूल जाना और मैं जानता हूँ की तुम भी मुझे आसानी से नहीं भुला सकती।” अयांश ने कहा। 

“मैं भुला चुकी हूँ तुम्हें।” आहना ने अयांश की आँखों में देखकर कहा। 

“तुम बेशक भूल चुकी हो मुझे और मेरे प्यार को पर मैं नही भूलूंगा और तुम्हें भी हमारा प्यार दोबारा याद दिलाऊंगा मैं।” अयांश ने भी उसकी आंखो में देखते हुए कहा। 

“किस प्यार की बात कर रहे हो, तुम? वो प्यार जिसका तुम्हारे मन में ख्याल तक नही आया था जब तुमने नुपुर से शादी करने का फैसला लिया था। ये प्यार था तुम्हारा। मेरे लिए किसी और से शादी कर लेना।” आहना ने हँसते हुए कहा पर उसकी हँसी में तकलीफ थी जिसे अयांश महसूस कर पा रहा था। 

अयांश आहना के करीब आया और उसने कहा, “मैं उस प्यार की बात कर रहा हूँ जिसमें हमने एक दूसरे के साथ हर हालात में हमेशा साथ रहने के वादे किए थे। वो प्यार जिसमें हमने अपनी आने वाली जिंदगी में बहुत सारी खूबसूरत यादें बनाने के बारे में सोचा था। वो प्यार जिसमें हमें खुद से पहले एक दूसरे का ख्याल रहता था और वो प्यार जिसमें हम एक दूसरे के लिए कुछ भी कर सकते है। ये हमारा प्यार है और इसे न मैं तुम्हें कभी भूलने दूंगा न मैं खुद भूलूंगा।” 

“लोग जब किसी के उनकी जिंदगी में आने पर उसे चाहने की हिम्मत रख सकते है तो फ़िर उसके उनकी जिंदगी से चले जाने के बाद उन्हें भुलाने की भी हिम्मत रखनी चाहिए।” आहना ने कहा तो अयांश ने आहना के चेहरे को अपने हाथों में लिया और कहा, “भूलना चाहती हो न तुम मुझे। भूल जाओ पर मेरी एक बात याद रखना की तुम मुझे कभी भी भूल नही पाओगी और एक दिन अपनी मर्जी से खुद मेरे पास वापिस आना चाहोगी।” 

आहना ने अयांश के दोनों हाथों को अपने चेहरे से हटाया और गुस्से से अपने दोनों हाथों को उसके सीने पर रख उसे खुद से दूर धक्का देते हुए कहा, “आगे से मेरे करीब आने की और मुझे छूने की कोशिश भी मत करना। नफरत हो गई है अब मुझे तुमसे।” 

“क्यों ना आया करूं? पहले तो तुम्हें बहुत अच्छा लगता था मेरा करीब आना और तुम्हें प्यार था मुझसे तो ये नफरत कैसे हो गई अब।” अयांश ने कहा। 

“क्योंकि अब तुम मैरिड हो।” आहना ने कहा। 

“थैंक यू मुझे याद दिलाने के लिए पर तुम भी मेरी कही बात याद रखना। आज तुम मुझसे दूर रहना चाहती हो न पर एक दिन तुम मेरे पास वापिस आओगी।” कहकर अयांश वहाँ से चला गया। वो ऑफिस से बाहर आया और अपनी गाड़ी में बैठकर चला गया। 

आहना भी अपने केबिन में आकर काम करने की कोशिश करने लगी पर उसे काम करते हुए अयांश की कही बातें याद आने लगी। कुछ वक्त बाद उसके पास ऑफिस में काम करने वाले एक लड़के ने आकर कहा की राकेश उसे बुला रहे है। वो खड़ी हुई और राकेश के केबिन की तरफ बढ़ गई। 

***

अयांश बहुत ही तेज़ रफ़्तार से गाड़ी चलाए जा रहा था। उसके मन में आहना की कही सारी बातें चल रही थी और उसे वो पल याद आया जब आहना ने उसे खुद से दूर करने के लिए धक्का दिया था। उसका दिल इस वक्त काफी तकलीफ में था। वो रास्ते पर बेतहाशा गाड़ी चलाए जा रहा था की उसने सिग्नल पर भी नही ध्यान दिया जिसकी वजह से साइड से आती हुई एक गाड़ी की टक्कर उसकी गाड़ी से हो गई। 

जिस गाड़ी से उसकी टक्कर हुई थी, उसमें बैठा आदमी बिलकुल सही सलामत था पर अयांश की गाड़ी को साइड से टक्कर लगी थी और उसने सीट बेल्ट नही पहन रखा था इसलिए उसे ज्यादा चोट आई थी। 

अयांश के आसपास भीड़ जमा हो गई। कुछ लोगों ने मिलके उसे गाड़ी से बाहर निकाला और एंबुलेंस को बुलाकर उसे अस्पताल पहुँचाया। ये वही अस्पताल था जहाँ कबीर का ऑपरेशन हुआ था और जिस डॉक्टर ने कबीर का ऑपरेशन किया था, वो रिसेप्शन पर ही खड़े थे जब अयांश को स्ट्रेचर पर लेटाकर अंदर लाया गया। वो डॉक्टर अयांश को पहचान गए और जल्दी से उसे देखने लगे। 

उन्होंने नर्स को उसे अंदर वार्ड में ले जाने के लिए कहा। उनके पास कबीर का नंबर था इसलिए उन्होंने जल्दी से कबीर को फोन करके अयांश के एक्सीडेंट के बारे में बताया। 

***

आहना ने राकेश के केबिन के दरवाजे को खोला। राकेश ने उसे देखकर अंदर बुलाया और बैठने के लिए कहा। आहना उनके सामने कुर्सी पर बैठ गई और पूछा, “आपको कोई काम है मुझसे, अंकल।” 

राकेश ने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा, “तुमसे कुछ बात करनी है, बेटा।” 

“जी, कहिए न अंकल।” आहना ने कहा। 

राकेश ने उसे देखा और कहा, “बेटा, अभी थोड़ी देर पहले मैंने कैंटीन में तुम्हारी और अयांश की सारी बातें सुन ली थी। बेटा, तुमने उससे कहा की तुम उसे भूल चुकी हो और वो भूल जाए तुम्हें पर ये सब बातें तुम्हारे दिल की नही थी। तुम्हारा दिल तो आज भी अयांश के ख्यालों में ही रहता है और जो ख्यालों में रहता हो, इंसान उसे भूल कैसे सकता है।” 

“मेरा दिल कहता है की उसे माफ करदूं क्योंकि मेरा दिल आज भी उससे प्यार करता है और दिमाग कहता है की उससे नफरत करूं क्योंकि उसने मुझे धोखा दिया है। इस दिल और दिमाग, दोनों में से जिसकी मर्ज़ी सुन लूं, दर्द और तकलीफ दोनों में ही बहुत ज्यादा होते है।” आहना ने इतना ही कहा था की किसी ने अचानक से केबिन का दरवाजा खोला। 

राकेश और आहना ने पीछे देखा तो वहाँ कबीर खड़े थे, जो बहुत ही परेशान लग रहे थे। वो जल्दी से अंदर से आए। उन्हें ऐसे देखकर राकेश ने पूछा, “क्या हुआ, कबीर? तुम इतने परेशान क्यों लग रहे हों?” 

“अयांश, अयांश का एक्सीडेंट हो गया है।” कबीर ने कहा। अयांश के एक्सीडेंट की खबर सुनते ही राकेश परेशान हो गए। बेशक वो इस वक्त अयांश से नाराज़ थे पर उससे बहुत प्यार करते थे। आहना भी कुर्सी से खड़ी हो गई। उसे भी अयांश की चिंता होने लगी। वो राकेश से कुछ कहने ही वाली थी कि उसके हाथ में पहनी हुई अँगूठी, जो अयांश ने उसे पहनाई थी और जिसे कुछ दिनों पहले ही उसने उतारने की कोशिश की थी, आज उसके हाथ से अपने आप उतरकर दूर टेबल के पास जा गिरी।


Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 26


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