Friday 24 May 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 24


अयांश के घर से निकलकर आहना रोने लगी। जो आँसू उसने अयांश के सामने रोककर रखे थे वो अब उसकी आँखों से बहने लगे थे। आहना को कुछ समझ नही आ रहा था बस उसके मन में एक ही सवाल था की उसके साथ ही ये सब क्यों हुआ। कहाँ उसने अयांश के साथ जिंदगी भर साथ रहने के सपने सजाए थे और कहाँ एक पल में सब कुछ बदल गया। वो वहीं खड़े खड़े आसमान की ओर देखने लगी। उसकी आँखों से आँसू लगातार बहे जा रहे थे। 

कुछ वक्त बाद, उसे अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ। उसने साइड में देखा। राकेश उसकी तरफ ही देख रहे थे। उन्होंने आहना के आँसूओं को अपनी उँगलीयों से पोंछते हुए कहा, “जिसके लिए तुम ये आँसू बहा रही हो न बेटा वो ये डिजर्व नही करता।” 

“मैं भी धोखा डिजर्व नही करती थी। मेरी क्या गलती थी, अंकल?” आहना ने रोते हुए पूछा। 

“रो मत आहना बेटा। चलो तुम्हें घर छोड़ आता हूँ। मैं आता हूँ गाड़ी लेकर।” राकेश ने आहना के गाल को छूते हुए कहा और गाड़ी लेने चले गए। 

राकेश गाड़ी घर से बाहर लेकर आए। आहना बिना कुछ कहे गाड़ी में बैठ गई। हमेशा खुश रहने वाली और ज्यादा बातें करने वाली आहना के चेहरे पर आज कोई मुस्कान नही थी क्योंकि उस मुस्कान और खुशी की जगह आज दर्द, तकलीफ और खामोशी ने ले ली थी। 

राकेश ने गाड़ी आहना के घर के सामने रोकी और आहना को देखकर कहा, “अयांश के बारे में मत सोचना, बेटा।” 

आहना ने कुछ नही कहा और गाड़ी से उतरकर अंदर चली गई। कबीर भी अब तक घर आ चुके थे। जैसे ही उन्होंने आहना को अंदर आते हुए देखा, उन्होंने मुस्कुराते हुए पूछा, “तुम बड़ी जल्दी वापिस आ गई, आहना बेटा? मुझे तो लगा था तुम अयांश के साथ थोड़ा वक्त बिताओगी। अच्छा, अयांश कैसा है?” 

आहना ने कबीर के किसी भी सवाल का जवाब नही दिया। उसने अपने कमरे के अंदर जाकर दरवाजा जोर से बंद कर लिया और बेड पर लेटकर रोने लगी। कबीर को आहना के इस बर्ताव की उम्मीद नही थी। वो समझ गए की आहना के साथ कुछ तो हुआ है। उन्होंने आहना के कमरे का दरवाजा खटखटाकर उसे बाहर आने के लिए कहा पर आहना ने दरवाजा नही खोला इसलिए कबीर ने थोड़ी देर के लिए आहना को अकेले छोड़ना सही समझा। 

***

आहना को घर छोड़कर राकेश जब वापिस आए तो उन्हें लिविंग रूम में से नुपुर और रिद्धिमा के हँसने की आवाजें आई। वो लिविंग रूम में गए तो देखा अयांश खामोशी से सोफे पर बैठा है और रिद्धिमा और नुपुर बातें कर रही है। 

राकेश अयांश से नाराज़ थे इसलिए वहाँ से ऊपर अपने कमरे में जाने के लिए मुड़ गए पर रिद्धिमा ने उन्हें बुलाते हुए कहा, “राकेश, अंदर आओ ना। तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है।” 

“पर मुझे किसी से भी कोई बात नही करनी।” राकेश ने गुस्से में कहा। 

“तुम्हें करनी बात पड़ेगी राकेश। इंपोर्टेंट है।” रिद्धिमा ने कहा। राकेश अंदर आकर सोफे पर बैठ गए। 

रिद्धिमा मुस्कुराई और कहा, “राकेश, मैं सोच रही थी की अयांश और नुपुर की शादी ऐसे ही जल्दी जल्दी हो गई है। हमें कोई भी सेलिब्रेशन करने का मौका ही नही मिला तो क्यों न नेक्स्ट संडे इनके लिए वेडिंग रिसेप्शन पार्टी रखे और उसमें हम अपने सभी रिलेटिव्स, फ्रेंड्स और बिज़नेस पार्टनर्स को भी इनवाइट करेंगे जिससे उन्हें भी पता चल सके की अयांश ने शादी कर ली है।” 

“ऐसा कुछ भी नही होगा। जब इसने शादी बिना किसी को बताए कर ही ली है तो अब क्या फायदा है इन सब का।” राकेश ने अयांश को देखते हुए कहा। 

“वेडिंग रिसेप्शन तो होकर रहेगा, राकेश और तुम आओगे वहाँ। आफ्टर ऑल, मैं हमारे होटल में ही इनका रिसेप्शन ऑर्गेनाइज करूंगी।” रिद्धिमा ने कहा। नुपुर भी मुस्कुरा रही थी। राकेश बिना कुछ कहे वहाँ से ऊपर अपने कमरे में चले गए। 

***

शाम हो चुकी थी पर आहना अभी तक अपने कमरे से बाहर नही आई थी। अब कबीर को आहना की चिंता होने लगी थी और वो सोचने लगे की ऐसा क्या हुआ है आहना के साथ। सोचते हुए उन्होंने राकेश को फोन लगाया। 

राकेश ने फोन उठाया तो उन्होंने जल्दी से पूछा, “राकेश, आहना को क्या हुआ है? वो जब से घर आई है तब से ही खुदको अपने कमरे के अंदर बंद करकर बैठी है।” 

राकेश ने एक गहरी सांस ली और कबीर को सब कुछ बता दिया। कबीर को ये सब जानकर एक झटका सा लगा। उन्हें यकीन ही नही हुआ की अयांश आहना के साथ ऐसा कर सकता है। उन्होंने फोन काटा और फिर से आहना के कमरे के बाहर आकर दरवाजा खटखटाया। 

इस बार आहना ने दरवाजा खोला और कबीर के गले लगकर रोने लगी। कबीर आहना को हॉल में लेकर आए। उन्होंने आहना को सोफे पर बैठाकर उसे पानी पिलाया। 

“अयांश ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया, पापा?” आहना ने पूछा और फिर रोने लगी। 

“क्योंकि तुम उससे भी अच्छा लाइफ पार्टनर डिजर्व करती हो।” कहते हुए कबीर ने उसके आँसू पोंछे। 

कबीर ये समझ रहे थे की आहना सिर्फ इसलिए रो रही है क्योंकि अयांश ने उसे धोखा दिया पर इस वक्त आहना पर क्या बीत रही थी और उसका मन कितनी उलझनों में फंसा हुआ था ये सिर्फ वो ही समझ सकती थी। 

आहना ने ऑफिस जाना छोड़ दिया और अब रोज सारा दिन खुदको कमरे में बंद रखने लगी। कबीर को डर था की आहना बीमार न हो जाए इसलिए वो भी ऑफिस न जाकर घर ही रुकते। राकेश भी रोज ऑफिस खतम होने के बाद आहना से मिलने आते। 

जहाँ सब आहना का ख्याल रख रहे थे वहीं अयांश अकेले ही अंदर ही अंदर खुदसे लड़ रहा था।  वो भी सारा दिन खुदको कमरे में बंद रखता, घर में किसी से भी बिल्कुल भी बात नही करता और सिर्फ खाने के वक्त बाहर आता। राकेश से तो उसकी पूरी तरह से दूरियां बन चुकी थी। नुपुर ने बहुत बार उसके करीब आने की कोशिश की पर हर बार वो नुपुर को खुद से दूर कर देता। नुपुर को इन सब से गुस्सा तो आता था पर वो चुप रहती क्योंकि वो अयांश को पसंद करती थी और उसे यकीन था की अयांश एक दिन उसे अपनी मर्जी से अपना बना ही लेगा। वो बेफिक्र होकर रिद्धिमा के साथ मिलकर अपने रिसेप्शन की तैयारियां कर रही थी। 

रिद्धिमा ने नुपुर के घरवालों को भी उनके घर जाकर इनवाइट किया। नुपुर के पिता, अंबर थोड़ा नाराज़ थे क्योंकि अयांश नही आया था पर उन्हें इस बात की बहुत खुशी थी की उनकी बेटी को इतना अच्छा परिवार मिल गया है। 

रिसेप्शन की सभी तैयारियां अच्छे से हो चुकी थी। रिसेप्शन से ठीक एक दिन पहले रिद्धिमा आहना के घर आई। उसने डोरबेल बजाई तो दरवाजा कबीर ने खोला। रिद्धिमा को सामने खड़ा देखकर कबीर ने पूछा, “आप यहां क्यों आई है?” 

रिद्धिमा हल्का सा मुस्कुराई और कहा, “अंदर तो आने दो या यहीं सारी बातें करनी है।” 

“मुझे नही लगता अयांश ने आहना के साथ जो कुछ भी किया उसके बाद बात करने के लिए कुछ बचा है।” कबीर ने कहा। 

कबीर की बात सुनकर रिद्धिमा को गुस्सा आ गया और उन्होंने कहा, “मुझे कोई शौंक नही है यहाँ आने का। वो तो मैं तुम्हें…” 

रिद्धिमा ने इतना ही कहा था की उनकी नजर कबीर के पीछे खड़ी आहना पर गई। कबीर ने भी पीछे मुड़कर देखा। वो नही चाहते थे की रिद्धिमा आहना को कुछ भी कहे इसलिए उन्होंने आहना के पास आकर उसे अंदर जाने के लिए कहा पर आहना वहीं खड़ी रिद्धिमा को देखती रही। 

रिद्धिमा आहना के पास आई और कहा, “आहना बेटा, अच्छा हुआ तुम मिल गई। मैं तुम्हें इनवाइट करने आई थी। वो कल नुपुर और अयांश का वेडिंग रिसेप्शन है। तुम जरूर आना।” 

रिद्धिमा ने आहना के गाल को थपथपाया और वहाँ से चली गई। आहना अपने कमरे में चली गई। कबीर को आहना के लिए बुरा लग रहा था और साथ ही रिद्धिमा पर गुस्सा आ रहा था पर वो चाहकर भी कुछ नही कर सकते थे। 

अगले दिन, 

अयांश बे मन से रिसेप्शन के लिए तैयार हो रहा था। उसने बहुत ही प्यारा थ्री पीस सूट पहना हुआ था और वो लग भी बहुत प्यारा रहा था पर उसके चेहरे पर कोई खुशी नही थी। नुपुर दूसरे कमरे में तैयार हो रही थी। रिद्धिमा ने उसे तैयार होकर अयांश के साथ जल्दी से रिसेप्शन हॉल पहुँचने के लिए कहा और फिर रिसेप्शन में जाने के लिए घर से निकल गई।

तैयार होकर नुपुर उस कमरे में गई जहाँ अयांश तैयार हो रहा था। उसने देखा अयांश तैयार है और बेड पर बैठे हुए अपने फोन में कुछ देख रहा है। वो अयांश के करीब गई तो उसे गुस्सा आने लगा क्योंकि अयांश फोन में आहना की तस्वीरों को देख रहा था। वो इतना खोया हुआ था की उसे ये अहसास तक नही हुआ की नुपुर उसके पास ही खड़ी है। 

नुपुर के उसके हाथ से फोन छीन लिया तो अयांश ने उसकी तरफ देखा। वो खड़ा हुआ और अपना फोन वापिस छीनते हुए कहने लगा, “तुम इसे मेरी जिंदगी से निकाल सकती हो बस। मेरे दिल और दिमाग से नही।” 

“आज जितना प्यार करते हो न तुम उस आहना से अयांश, एक दिन उतनी ही नफरत करोगे तुम उससे।” नुपुर ने कहा। 

“जैसे शादी जबरदस्ती की थी मुझसे वैसे ही जबरदस्ती नफरत भी करवाओगी तुम अब मुझसे। करवा लेना, क्योंकि मेरी नफरत आहना के लिए कभी हो ही नही सकती, तुम्हारे लिए होगी।” कहकर अयांश हँसने लगा। 

“तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है हाँ? क्या तुम्हें मेरा प्यार नही दिखता?” नुपुर ने अयांश की आँखों में देखकर पूछा। 

“जो कुछ भी तुमने मेरे साथ किया उसे तुम प्यार कहती हो तो आई एम सॉरी क्योंकि यह प्यार नही सजा है मेरे लिए जो मेरे साथ साथ मेरी आहना को भी मिल रही है।” अयांश ने कहा। 

“आहना, आहना, आहना। क्यों इतनी इंपोर्टेंट है वो तुम्हारे लिए। वो तुम्हारे सामने भी नही रहती फिर भी तुम उसके बारे में ही सोचते रहते हो और मैं तुम्हारे साथ रहती हूँ फिर भी तुम मुझे इग्नोर करते हो।” नूपुर गुस्से में चिल्लाई। 

“वो इंपोर्टेंट है क्योंकि वो प्यार है मेरा। तुम मुझे खुद से जबरदस्ती प्यार करवा नही सकती और आहना के लिए मेरा प्यार खतम नही कर सकती।” कहकर अयांश कमरे से बाहर निकल गया। 

नुपुर अयांश के साथ रिसेप्शन पार्टी में पहुँची। सभी मेहमानों की नजरें उन दोनों पर ही थी इसलिए नुपुर ने अयांश का हाथ पकड़ लिया। वो दोनों स्टेज पर लगे सोफे पर बैठ गए। सबसे पहले रिद्धिमा और राकेश ने उनके साथ एक तस्वीर खिंचवाई। राकेश अयांश से कोई बात नही करना चाहते थे इसलिए तुरंत ही स्टेज से नीचे उतर गए और अपने ऑफिस की तरफ से आए लोगों से बातें करने लगे। 

टीना और अंबर भी अयांश और नुपुर से मिले। अयांश ने उनके पैर छुने चाहे तो अंबर ने उसे रोककर गले से लगा लिया। धीरे धीरे करके सभी मेहमान उन दोनों को मुबारक बाद देने लगे पर अयांश का मन इन सब में कहाँ था। वो जबरदस्ती सबके सामने मुस्कुराने को कोशिश कर रहा था जबकि अंदर ही अंदर उसे बेहद तकलीफ हो रही थी। 

आहना का घर

कबीर हॉल में बैठे हुए कुछ सोच ही रहे थे की तभी आहना वहाँ आई। कबीर आहना को देखकर हैरान हो गए क्योंकि आहना ने डिजाइनर अनारकली सूट पहना हुआ था। ऐसा लग रहा था कि वो कहीं जा रही है। कबीर सोफे से खड़े हुए और उन्होंने पूछा, “आहना बेटा, तुम ऐसे तैयार होकर कहाँ जा रही हो?” 

“मैं अयांश के वेडिंग रिसेप्शन में जा रही हूँ, पापा।” आहना ने कहा। 

“ये तुम क्या कह रही हो, बेटा। तुम वहाँ नही जा सकती।” कबीर ने कहा। 

आहना ने एक गहरी सांस ली और कहा, “मुझे जाने दीजिए, पापा। मैं अपनी आँखों से देखकर अपने दिल और दिमाग को ये यकीन दिला देना चाहती हूँ की अयांश मेरा नही रहा अब और मुझे उसे अपने दिल और दिमाग से निकालना पड़ेगा अब।”


Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 25

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