Thursday 23 May 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 23

 


नुपुर को अयांश के साथ देखकर सभी हैरान थे सिवाय रिद्धिमा के। अयांश नुपुर के साथ उन सबके पास आया और नुपुर का हाथ छोड़कर राकेश के गले लग गया। रिद्धिमा की तरफ उसने देखा तक नही।


“कैसे हो बेटा।” राकेश ने उसे पूछा।


“मैं ठीक हूँ, पापा।” कहते हुए उसने राकेश के पीछे खड़ी आहना को उदासी से देखा। आहना भी उसे देखे जा रही थी। इस वक्त उसके मन में बहुत से सवाल चल रहे थे जिसके जवाब सिर्फ उसे अयांश से ही मिल सकते थे। 


राकेश जैसे ही अयांश से दूर हुए, उन्होंने उसके पीछे खड़ी नुपुर को देखा और अयांश से पूछा, “अयांश, तुम तो अकेले गए थे न। नुपुर तुम्हारे साथ क्या कर रही है, बेटा?” 


“पापा, वो ये…!!”, अयांश ने जैसे ही कहना चाहा, नुपुर आगे आई और उसने आहना को देखते हुए कहा, “मैं बताती हूँ। मैं अयांश के साथ इसलिए हूँ क्योंकि हमने शादी कर ली है।” 


आहना ने जैसे ही ये सुना, उसके हाथों में पकड़े गुलाब के फूलों का गुलदस्ता उसके हाथों से छूटकर नीचे जा गिरा और बिखर गया। उसकी आँखों में आँसू आ गए जिन्हें उसने बहने से रोक लिया। उसकी आँखों में आँसू देख अयांश के दिल में दर्द हुआ क्योंकि उन आँसूओं की वजह वो खुद था। वो दूसरी ओर देखने लगा और उसने खुद से ही कहा, “कहाँ मैं इसे हमेशा हँसने की वजह देना चाहता था और कहाँ आज मेरी ही वजह से इसके चेहरे पर उदासी और आँखों में आँसू है। समीर ने सही कहा था, ये फैसला लेकर मैंने आहना को सबसे बड़ी तकलीफ दी है।” 


राकेश को नुपुर की बात पर यकीन नही हुआ तो उन्होंने अयांश को  देखा जो खामोश खड़ा था। अयांश को कुछ न कहता देख राकेश समझ गए की नूपुर सच कह रही है। उन्होंने रिद्धिमा पर भी एक नजर डाली जो की मुस्कुरा रही थी। राकेश जानते थे की रिद्धिमा अयांश की शादी नूपुर से करवाना चाहती थी इसलिए उन्हें यकीन था की इन सब में रिद्धिमा भी शामिल होगी। उन्हें गुस्सा आने लगा तो उन्होंने अयांश और रिद्धिमा को देखते हुए कहा, “घर चलो, सब। तुम सबसे घर पहुँचकर ही बात करूंगा मैं।” 


आहना अब तक खामोशी से खड़ी अपनी आँसूओं से भरी आँखों के साथ बस अयांश को देखे जा रही थी। उसे बहुत ही तकलीफ हो रही थी क्योंकी उसे ये यकीन ही नही हो रहा था की वो अयांश जो उससे कहता था कि वापिस आकर वो उससे शादी कर लेगा, उस अयांश ने किसी और से शादी कर ली है। राकेश ने उसके पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “चलो आहना।” 


आहना राकेश के साथ चलने लगी। अयांश, नूपुर और रिद्धिमा भी उनके पीछे चलने लगे। 


घर पहुँचकर राकेश ने आहना को सोफे पर बैठाया और फिर अयांश से कहा, “कोई इधर उधर की बातें नही। बस इतना बताओ तुमने नूपुर से शादी क्यों की जब तुमने आहना को प्रोपोज किया हुआ था।” 


“पापा, मैं नही बता सकता आपको इस बारे में।” अयांश ने कहा। 


“तुम नही भी बताओ फिर भी इतना तो मुझे पता ही है की इन सबमें तुम्हारी माँ भी शामिल है क्योंकि वो तो चाहती ही थी की आहना तुम्हारी लाइफ में न रहे पर अगर मुझे ये पता चला की तुमने ये शादी अपनी खुशी से की है तो तुम्हारे लिए मुझसे बुरा कोई नही होगा।” राकेश ने कहकर रिद्धिमा की तरफ देखा जो की आराम से बैठी थी जैसे उसे इन सब से कुछ फर्क ही नही पड़ रहा हो।


“डैड, ये हमारी फैमिली का पर्सनल मैटर है। बाहर वालों के सामने इसे डिस्कस करना ठीक है इसलिए मुझे लगता है कि आहना को यहाँ से जाना चाहिए।” नूपुर ने आहना को देखते हुए कहा। 


“जाना तुम्हें चाहिए यहाँ से। आहना को नही। वो मेरी बेटी है।” राकेश की बात सुनकर नुपुर को गुस्सा आ गया और उसने कहा, “पर मैं अब आपकी बहू हूँ।” 


“मैं नही मानता तुम्हें अपनी बहु।“ राकेश ने जैसे ही कहा, रिद्धिमा खड़ी हुई और उसने कहा, “तुम्हारे मानने या ना मानने से क्या होगा, राकेश। नुपुर अब हमारी बहु है।” 


“ये सब सच में तुमने ही किया है ना। बताओ क्या प्लैनिंग की इस बार तुमने।” राकेश ने रिद्धिमा से गुस्से में पूछा। 


“मुझे जितनी प्लानिंग्स करनी थी ना वो मैंने बहुत पहले ही कर ली थी और उसमें से एक प्लैनिंग को फेल किया था तुमने पर अफ़सोस, तुम मेरे दूसरे प्लैन को फेल नही कर पाए और देखो, जो मैं चाहती थी वो हो गया।” रिद्धिमा ने हँसते हुए कहा। 


“तुम ऐसी भी सकती हो ये मैंने कभी नही सोचा था।” राकेश ने गुस्से से रिद्धिमा को कहा और फिर अयांश की ओर देखा। 


“अयांश, रिद्धिमा की बातों से मैं जान चुका हूँ की ये फैसला तुम्हारा नही है पर सच मैं तुमसे सुनना चाहता हूँ। ये फैसला तुम्हारा नही है ना।” राकेश ने उससे आराम से पूछा। नुपुर और रिद्धिमा थोड़ा सा घबरा गई की अयांश कही ये न बता दे की नुपुर ने उसके साथ क्या किया था और उसे कैसे ब्लैकमेल किया था। 


अयांश ने आहना को देखा जो उम्मीद भरी नजरों से उसे देख रही थी की वो ये कह दे की ये फैसला उसका नही था पर अगले ही पल उसकी सारी उम्मीदें टूट गई जब अयांश ने कहा, “ये मेरा…मेरा खुद का फैसला था, पापा।” 


उसकी आवाज में तकलीफ थी जिसे सिर्फ आहना ही महसूस कर पा रही थी। आहना ने उसे देखा तो उसकी आँखों में भी उसे तकलीफ दिखाई दी। वो जानती थी कि अयांश झूठ बोल रहा था और उसने ये फैसला किसी मजबूरी में लिया है। उसने अयांश की तरफ देखा और फिर राकेश से कहा, “अंकल, मैं अयांश से अकेले में बात करना चाहती हूँ।” 


ये सुनते ही नुपुर ने कहा, “क्या अकेले में बात हाँ? तुम शायद भूल चुकी हो की ये अब तुम्हारा बॉयफ्रेंड नही है, मेरा हसबैंड है। तो तुम्हें अयांश से जो भी बात करनी है मेरे सामने ही करोगी तुम।” 


“नुपुर, वेट। आई थिंक मुझे इससे अकेले में बात करनी चाहिए एक बार इसे समझाने के लिए।” अयांश ने कहा तो नूपुर गुस्से से सोफे पर बैठ गई। अयांश आहना के साथ घर से बाहर आया और उसके साथ गार्डन में लगी कुर्सियों पर बैठ गया। 


कुछ वक्त तक दोनो एक दूसरे को खामोशी से देखते रहे और फिर आहना ने कहा, “तुमने अंदर सबके सामने झूठ बोला ना, अयांश।” 


“नही, आहना। मैंने सच कहा था सबके सामने।” अयांश ने कहा।


“तुम झूठ बोलते हो, अयांश पर तुम्हारी आवाज़ और आँखों में जो तकलीफ है, वो सच बोलती है।” आहना की बात सुनकर अयांश बिना कुछ कहे दूसरी तरफ देखने लगा तो आहना ने पूछा, “अयांश, मुझे तो बता सकते हो न क्यों किया ये सब तुमने।” 


“तुम्हारे लिए।” अयांश ने उसकी आँखों में देखकर कहा। 


“मेरे लिए।” कहते हुए आहना ने हैरानी से अयांश को देखा तो अयांश ने आहना को वो सब कुछ बता दिया जो उसके साथ अमेरिका में हुआ। “मुझे डर था आहना की कहीं तुम उन तस्वीरों पर भरोसा करके उनको सच न मान लो और ये डर भी की कहीं नुपुर तुम्हें मेरी वजह से कोई नुकसान न पहुँचा दे। बस इसलिए मुझे उस वक्त जो सही लगा मैंने वो किया।” 


आहना को ये सब जानकर एक झटका सा लगा और उसने कहा, “अगर इतना सब कुछ हो गया था तुम्हारे साथ तो तुम्हें एक बार तो मुझे ये सब बताना चाहिए था ना इतना बड़ा फैसला लेने से पहले। मुझे न सही तो अंकल को बता देते और तुमने ये कैसे सोच लिया की तुम्हारी आहना तुम्हारे ऊपर भरोसा न करके कुछ तस्वीरों पर भरोसा कर लेगी।” 


“आहना, मैं…”, अयांश ने जैसे ही कहना चाहा आहना ने उसकी बात को बीच में ही काटते हुए कहा, “तुम पहुँचाने देते नुपुर को मुझे नुकसान। तुम साथ होते तो नूपुर जो कुछ भी करती मेरे साथ, मैं हँसते हँसते सह लेती वो सब पर अब जो तकलीफ तुमने मुझे दी है मुझे धोखा देकर नूपुर से शादी करके वो नही सह पाऊंगी मैं।” 


“आहना प्लीज, तुम ये समझने की कोशिश करो की मुझे उस वक्त कुछ समझ नही आ रहा था।” अयांश ने कहा। 


“बताते तो सही एक बार, अयांश। तुम्हारा साथ देती मैं पर तुमने तो ठीक से बात तक करना भी छोड़ दिया था। कभी न दूर जाने के लिए वापिस आने वाले थे न तुम मुझसे पर तुम तो मुझसे बहुत दूर होकर वापिस आए हो।” आहना ने कहा। उसकी आँखों में आँसू आ गए जिन्हें उसने बहने से रोक लिया। 


अयांश ने आहना का हाथ पकड़ा और कहा, “मैंने ये सब तुम्हारी खुशी के लिए ही किया है, आहना।” 


आहना ने अपना हाथ छुड़वाया और कहा, “मेरी खुशी तुम्हारे साथ है तुमसे दूर रहकर नही।” 


“आहना, आई प्रॉमिस मैं सब ठीक कर दूंगा।” अयांश ने कहा।


“टूटी हुई चीजों को जोड़ना और ठीक करना आसान होता है, अयांश पर टूटे हुए रिश्तों को जोड़ना और ठीक करना बहुत मुश्किल होता है। सच्चा प्यार किया था तुमसे मैंने और निभाया भी पर सच्चे प्यार का बदला अगर धोखा होता है तो नही था कभी भी मुझे सच्चा प्यार तुमसे।” कहकर आहना कुर्सी से खड़ी हो गई। उसने अयांश को देखा और फिर वहाँ से चली गई। अयांश भी आहना को बाहर जाते हुए देखता रहा और फिर कुछ देर बाद घर के अंदर चला गया।


Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 24


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