Sunday 12 May 2024

तेरी तस्वीर


ढूंढ रहा था अपनी लिखी शायरियों को मैं, 
तभी डायरी में से तेरी तस्वीर निकल कर मेरे सामने आ गई, 
लेकर तेरी तस्वीर को हाथ में, 
चेहरे पर मुस्कुराहट के साथ एक टक देखता रहा मैं तेरी तस्वीर को, 
और सोच रहा हूं की तू सच में आज भी इतनी ही हसीन होगी, 
लिखी न थी जो गजल आजतक पूरी तेरे ऊपर मैंने जब तू तू मेरे सामने होती थी, 
क्योंकि सिर्फ एक तेरी खूबसूरती बयां करने के लिए, 
मुझ शायर के पास शब्दों की कमी होती थी। 
पर आज तेरी तस्वीर अपने हाथ में लिए, 
तुझे अपने सामने वैसा ही बैठा सोचकर, 
मैंने वो गजल भी मुकम्मल करदी, 
तेरे मेरे इश्क की कहानी तो अधूरी रही, 
पर तेरी खुबसूरती को अपनी डायरी के अंदर शब्दों में पिरोकर, 
आज मैंने अपनी जिंदगी में शायद तनहाई और तेरी कमी खत्म करदी, 
तेरी खुबसूरती को अपनी डायरी के अंदर शब्दों में पिरोकर, 
आज मैंने अपनी जिंदगी में शायद तनहाई और तेरी कमी खत्म करदी।


No comments:

Post a Comment