Sunday 12 May 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 14

 


अयांश नूपुर के इस तरह गले लगाने से अनकंफर्टेबल हो गया। उसने नुपुर को हाथ लगाए बिना खुदको उससे दूर किया और कहा, “तुम फ्रेश हो जाओ।” 


नुपुर कमरे में चली गई और दरवाजा बंद कर लिया। समीर कुर्सी पर बैठा कबसे उन दोनों को ही देख रहा था। जब अयांश वापिस लिविंग रूम में आकर सोफे पर बैठ गया तो समीर ने उससे पूछा, “क्या तू इसे पसंद नही करता?”


“तू ये क्यों पूछ रहा है?” अयांश ने पूछा। 


समीर हँसने लगा और फिर कहा, “भाई, अभी जब उसने तुझे गले लगाया था, तो तू कैसे अनकंफर्टेबल हो गया था ये नोटिस किया मैंने। इतनी सुंदर लड़की मुझे गले लगाए तो मज़ा ही आ जाए।” 


“तू तो है ही ठरकी। ये सिर्फ दोस्त है मेरी। मैं किसी और से प्यार करता हूँ।” अयांश ने कहा और आहना का ख्याल आते ही मुस्कुराने लगा। 


“क्या सच में? कौन है वो जो मेरे यार का प्यार बन गई?” समीर ने एक्साइटेड होते हुए पूछा। 


“बताऊंगा सब तुझे। पहले मैं भी फ्रेश हो जाऊं।” कहते हुए अयांश उठा। 


“हाँ, तब तक मैं कॉफी बनाता हूँ।” कहते हुए समीर भी कुर्सी से उठ गया। अयांश अपना सामान लेकर कमरे में चला गया और समीर रसोई में जाकर कॉफी बनाने लगा। कॉफी बनाकर उसने तीन कप में कॉफी डाली और नुपुर को बुलाने के लिए उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया। 


नुपुर इस वक्त रिद्धिमा से बात करके उन्हें बता रही थी कि वो अयांश के साथ ही है। समीर ने उसे बाहर बुलाया तो उसने समीर से कॉफी रूम में ही देने की रिक्वेस्ट की क्योंकि अयांश के आगे वो रिद्धिमा से बात नही कर सकती थी। समीर ने उसे कॉफी रूम में ही दे दी। 


अयांश फ्रेश होकर आया। समीर कॉफी के कप सामने टेबल पर रखकर अकेला बैठा अपने फोन में कुछ देख रहा था। 


“नुपुर बाहर नही आई अभी तक।” अयांश ने पूछा। अयांश की आवाज सुनकर समीर ने फोन से नजरे हटाकर उसे देखा और कहा, “मैंने उसे कॉफी रूम में ही दे दी है। वो बाहर नही आना चाहती थी। शायद अपने पैरेंट्स से बात कर रही थी वो।” 


“कोई बात नही।” अयांश ने कहा और सोफे पर बैठ गया। 


“चल अब मुझे बता कौन है वो जिसने तेरा दिल चुरा लिया।” समीर ने उसे कॉफी का कप देते हुए कहा।


“आहना, दुनिया की सबसे प्यारी लड़की।” अयांश ने खोए हुए कहा। आहना का चेहरा इस वक्त उसकी नजरों के सामने था। 


“तू सच में प्यार में है यार। उसके बारे में बात करते हुए ही तेरे चेहरे पर कितनी खुशी है।” समीर ने कहा। 


“क्या करूं? मेरी आहना है ही इतनी खूबसूरत।” अयांश ने उसे देखते हुए कहा। 


“और बता ना मुझे आहना के बारे में।” समीर ने कहा तो अयांश ने बताया शुरू किया, “वो मेरे बचपन की दोस्त है। हम स्कूल में एक साथ पढ़ते थे। स्कूल में मैं सोचता था कि वो सिर्फ मेरी दोस्त है और मुझे उसके साथ इतना ज्यादा रहना पसंद नही था। मैं उसका ख्याल रखता था स्कूल में बस पर कॉलेज के फर्स्ट ईयर की शुरुआत में जब मैं आहना की और भी ज्यादा परवाह करने लगा तो मुझे एहसास हुआ की हमारा रिश्ता दोस्ती से कई ज्यादा है हालांकि मैं अपनी फीलिंग्स को समझ नही पा रहा था उस वक्त पर आहना की आँखों में आँसूओं ने मुझे ये एहसास दिलाया की मैं उससे प्यार करने लगा क्योंकि मैं उसकी आँखों में आँसू नही देख पा रहा था।” 


समीर जो अबतक चुपचाप अयांश की बात सुन रहा था उसे कुछ याद आया और उसने अयांश से पूछा, “वेट, ये वही आहना है जो तेरे डैड के दोस्त की बेटी है। जिसे तू मिस पढ़ाकू कहकर बुलाता था और उसकी मजाक भरी तारीफें मेरे आगे करता था।” 


अयांश ने ये जैसे ही सुना, अपने पास पड़ा कुशन सोफे से उठाकर समीर की तरफ फैंका। इससे पहले की कुशन समीर को लगता, उसने उसे पकड़ लिया और कहा, “अब तो मैं आहना भाभी से जब भी मिलूंगा न, उनकी तारीफें उन्हें जरूर सुनाऊंगा जो तू किया करता था मेरे आगे।” 


“खबरदार अगर आहना को उस बारे में पता लगा। शादी से पहले ही डाइवोर्स ले लेगी वो मुझसे।” अयांश की बात सुनकर समीर हँसने लगा और कहा, “आगे की लव स्टोरी बता ना अपनी और आहना की।” 


“पापा भी चाहते थे कि मैं आहना से ही शादी करूं इसलिए मैंने उसे कॉलेज के फर्स्ट ईयर में ही प्रपोज कर दिया था और उसके बाद हमारे बीच प्यार बढ़ता गया। तू अंदाजा भी नही लगा सकता पर मुझे सिर्फ आहना ही नही, मुझे उसकी हर बात पसंद है। उसकी क्यूटनेस, उसकी मासूमियत और जब वो मेरे लिए कुछ खास करती है।” अयांश ने कहा। आहना के बारे में बातें करते हुए अयांश के चेहरे पर एक अलग ही खुशी थी।  समीर ने देखा तो उसे छेड़ते हुए कहा, “कितना ज्यादा खुश लग रहा है अभी तू? सही है अभी खुश हो जितना होना है शादी के बाद तो रोना ही है।” 


“मैं क्यों रोयूंगा शादी के बाद?” अयांश ने हैरानी से पूछा। 


“बेटा, लव मैरिज है तेरी। जब भाभी तुझे अपनी प्यारी प्यारी बातों में फंसाकर तूझसे प्याज कटवाया करेंगी ना, तो रोएगा ही तू शादी के बाद।” समीर ने हँसते हुए कहा तो अयांश ने सोफे पर पड़ा दूसरा कुशन भी उसकी तरफ फैंका और फिर खुद भी हँसने लगा।


अगले दिन से ही अयांश ने भी समीर के साथ कॉलेज जाना शुरू कर दिया। नुपुर ने अयांश से झूठ बोला था की वो भी पढ़ने आई है इसलिए उसे घर से बाहर निकलना ही पड़ता था। वो घर से बाहर आकर अपनी दोस्तों के साथ घूमती रहती। उसे किसी चीज की परवाह नही थी। वहीं आहना ने भी अयांश के जाने के एक हफ्ते बाद से ही ऑफिस ज्वॉइन कर लिया। 


राकेश के ऑफिस में आहना उनके सामने कुर्सी पर बैठी थी। राकेश उसे सारा काम समझा रहे थे। सारा काम समझने के बाद आहना ने उठते हुए कहा, “अंकल, मैं अब जाऊं।” 


“हाँ बेटा तुम जा सकती हो बस कुछ बातों का ख्याल रखना।” राकेश ने कहा तो आहना ने वापिस बैठते हुए पूछा, “किन बातों का ख्याल रखना है अंकल मुझे।”   


“पहली बात की तुम यहाँ काम करते हुए हमेशा मेरे आसपास रहोगी। काम के बाद तुम कबीर के साथ घर जाओगी और अगर कबीर यहाँ नही होगा तो मैं तुम्हें घर छोड़ा करूंगा। दूसरी बात की अगर तुम्हें कहीं भी घूमने जाना है तो मुझे या कबीर को बताकर जाओगी और अगर तुम्हें कोई ऐसा फोन कॉल आता है जो तुम्हें अजीब लगे तो उस बारे में भी मुझे बताओगी तुम।” राकेश ने कहा जिसे सुनकर आहना को थोड़ा डर लगने लगा और बहुत सारे सवाल उसके मन में आने लगे। 


“अंकल, ये सब जरूरी क्यों है? अयांश ने मुझसे कहा था की ये जॉब सिर्फ इसलिए है की मैं आपकी नजरों के सामने रहूं जिससे निखिल और रिद्धिमा आंटी को मेरे साथ कुछ गलत करने का मौका न मिले पर आपकी बातों से तो ऐसा लग रहा है की आप मुझे किसी और से बचाना चाहते है।” आहना ने कहा।


“आहना, मैं भी तुम्हारे पापा जैसा हूँ। क्या तुम्हें अपने पापा पर भरोसा नही है? तुम्हारी प्रोटेक्शन जरूरी है हम सब के लिए और अगर जरूरत पड़ी तो मैं तुम्हारे लिए बॉडी गार्ड्स को भी रखूंगा।” राकेश ने कहा और लैपटॉप में अपना ध्यान लगा लिया। 


“इन्हें तो सिर्फ मुझे निखिल से बचाना है। उसके लिए बॉडी गार्ड्स का क्या काम?” आहना ने सोचा और कहा, “अंकल, मुझे खुदको निखिल से ही तो बचाना है। इसके लिए बॉडी गार्ड्स की क्या जरूरत है? निखिल मेरे साथ ज्यादा कुछ नही कर सकता।”


“बेटा समझने की कोशिश करो। ये सब बहुत जरूरी है।” राकेश ने कहा जिससे आहना को समझ आ गया की कोई तो बहुत बड़ी बात है जो राकेश उससे छुपा रहे है। वो इस बारे में सोचने लगी।


“आहना।” राकेश की आवाज सुनकर वो अपने ख्यालों से बाहर आई और कहा, “जी अंकल।” 


“तुम जाकर काम पर ध्यान दो बेटा और कबीर को अंदर भेजना। मुझे उससे कुछ बात करनी है।” राकेश ने सामने रखी फाइल उठाते हुए कहा। 


“जी अंकल।” कहकर आहना बाहर आ गई। वो कबीर के पास गई और कहा, “पापा, आपको अंकल बुला रहे है। उन्हें आपसे कुछ बात करनी है।”  


“ठीक है बेटा, तुम यहाँ बैठकर मेरा ये काम करदो। मैं राकेश के पास जाता हूँ।” कबीर ने कहा और राकेश के केबिन की तरफ बढ़ गए। उन्होंने दरवाजे खटखटाया और अंदर चले गए। 


“बैठो कबीर।” राकेश ने हाथ में पकड़ी फाइल को वापिस टेबल पर रखते हुए कहा और कबीर को देखा। 


कबीर सामने रखी कुर्सी पर बैठ गए और पूछा, “क्या बात है, राकेश।” 


“कबीर मुझे लगता है की हमें आहना को अब सबकुछ बता देना चाहिए। कब तक उससे ये सब छुपा कर रखेंगे।" राकेश ने सीरियस होकर कहा। 


“नही, अभी मुझमें उसे सच बताने की हिम्मत नही है की मैं उसका अपना पिता…” कहते कहते कबीर रूक गए। 


राकेश ने एक गहरी सांस ली और कहा, “मैं समझ सकता हूँ कबीर पर ये जरूरी है। आहना को लगता है कि हम सिर्फ उसे निखिल और रिद्धिमा से बचा रहे है। मैं नही जानता की हम उसे सच बताएंगे तो क्या होगा पर मैं ये नही चाहता की उसे इस सच के बारे में किसी और से पता लगे। ऐसा कुछ भी हो इससे पहले हमे उसे बता देना चाहिए।” 


“मैं इस बारे में सोचना चाहता हूँ पहले।” कबीर ने परेशान होकर कहा।


“ठीक है पर जल्दी ही फैसला लो कोई। मैं समझ सकता हूँ ये बहुत मुश्किल है पर हमें ये करना होगा।” राकेश ने कबीर के हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा। उन दोनों ने देखा ही नही की आहना दरवाजे पर ही खड़ी उनकी बाते सुन रही है। वो बिना सोचे समझे केबिन के अंदर गई और उन दोनों की तरफ देखने लगी। 


थोड़ी देर बाद उसने कबीर से पूछा, “पापा, आप दोनों किस सच की बात कर रहे थे? ऐसा क्या है जो मुझे पता होना चाहिए?” 


“ऐसा कुछ भी नही है, बेटा।” राकेश ने कहा। 


“प्लीज अंकल, इतना मैं भी समझती हूँ की खुदको निखिल या रिद्धिमा आंटी से बचाने के लिए मुझे बॉडी गार्ड्स की जरूरत नही है। ऐसा कौन है जिससे आप सब मुझे बचाना चाहते है?” आहना ने थोड़ा सा तेज आवाज में पूछा। 


राकेश आहना को समझाने के लिए कुछ कहने ही लगे थे की तभी कबीर ने अचानक से कहा, “ये बात तुम्हारी माँ, अंजलि के बारे में है आहना।” 


“मम्मी…मम्मी के बारे में।” आहना ने कहा। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। 



Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 15

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