Tuesday 14 May 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 15

 


अपनी माँ का नाम सुनकर आहना का दिल तेजी से धड़कने लगा और वो थोड़ी हैरान थी क्योंकि कबीर आहना से अंजलि के बारे में बहुत कम बात किया करते थे। कबीर ने आहना को अपने पास बैठाया और उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर कहा, “आहना, मेरी बात को ध्यान से सुनना। ये सब जानना तुम्हारे लिए बहुत जरूरी है।” 


आहना ने हाँ में सिर हिला दिया तो कबीर ने कहा, “मैं तुम्हारा अपना पिता नही  हूँ।”


जैसे ही आहना ने ये सुना, उसे अपने कानों पर यकीन नही हुआ। उसे लगा कबीर उसके साथ मज़ाक कर रहे है पर उसने कोई सवाल नही पूछा। कबीर ने आगे कहा, “अंजलि से मैं कॉलेज में पहली बार मिला था। वो इतनी खूबसूरत थी की उसे देखते ही मुझे वो पसंद आ गई। मैंने उससे दोस्ती के लिए कहा तो वो मान गई और फिर हम बहुत सारा वक्त एक साथ बिताने लगे। मेरी पसंद प्यार में कब बदल गई मुझे पता ही नही चला और मैंने फैसला किया की मैं अंजलि को बता दूंगा कि मुझे उससे प्यार हो गया है पर इससे पहले की मैं उसे ये बता पाता उसने…।  


कबीर ने बात पूरी नही की और रूक गए। आहना को लगा कबीर जो बात कहने जा रहे थे वो उदास कर देने वाली थी इसलिए वो उस बात को कहते कहते रूक गए पर कबीर मुस्कुरा रहे थे। आहना को ये देखकर थोड़ी हैरानी हुई इसलिए उसने पूछा, “क्या हुआ था पापा इसके बाद?” 


“इससे पहले मैं उससे अपने प्यार का इजहार कर पाता, अंजलि ने आकर मुझसे मेरे लिए अपने प्यार का इजहार कर दिया। मैं बहुत ही खुश हुआ ये जानकर की वो भी मुझसे प्यार करती है। उस दिन से हम सारा वक्त एक साथ बिताने लगे। सिर्फ राकेश हमारे रिश्ते के बारे जानता था। हम दोनों एक दूसरे का साथ पाकर बहुत खुश थे पर ये खुशियां ज्यादा वक्त तक नही टिकी।” कहते हुए कबीर उदास हो गए। 


उनकी आँख से एक आँसू निकलकर गाल पर आ गया। उन्होंने उसे पोंछा और फिर कहना शुरू किया, “कॉलेज खतम होने के बाद मुझे पता चला की तुम्हारे नाना जी अंजलि की शादी जबरदस्ती किसी और के साथ करवा रहे है। उसकी शादी वाले दिन मैं उसे रोकने गया था पर उसने मेरी एक नही सुनी और शादी कर ली। उस दिन के बाद से मैं अंजलि से कभी नही मिला। जिससे उसकी शादी हुई थी वही इंसान तुम्हारे असली पिता थे और वो बहुत ही बुरे इंसान थे। वो ड्रिंक करके अंजलि को रोज मारते पीटते थे।” 


आहना यकीन नही कर पा रही थी कि कबीर और अंजलि ने ये सब बर्दाश्त किया। उसने धीरे से पूछा, “अगर उन्होंने किसी और से शादी कर ली थी तो वो आपके पास कैसे आई?” 


कबीर ने एक गहरी सांस ली और आगे कहा, “जब अंजलि को पता चला कि तुम आने वाली हो तो वो अपने ससुराल से भाग आई तुम्हारी जान बचाने के लिए। उसके पास रहने के लिए कोई भी जगह नही थी क्योंकी तुम्हारे नाना जी के पास नही जा सकती थी वो इसलिए उसने मुझे ढूंढने की कोशिश की। मुझे तो वो नही ढूंढ पाई पर शायद उसकी किस्मत उसके साथ थी की एक दिन राकेश उसे मिल गया। राकेश उसे मेरे घर ले आया।” 


कबीर मुस्कुराने लगे और कहा, “जब मुझे पता चला की उसके साथ इतना कुछ हो गया है तो मैंने फैसला किया की मैं उससे शादी कर लूंगा पर मेरे माँ बाप हमारी शादी के लिए नही माने जिसकी वजह थी अंजलि की पहली शादी। मैं अंजलि से बहुत प्यार करता था और उससे शादी करना चाहता था इसलिए मैंने अपने माँ बाप के खिलाफ जाकर उससे शादी करली और खुशी खुशी उसके साथ रहने लगा।”


“क्या आप…आप लोग मेरे असली पापा से कभी मिले है?” आहना ने पूछा क्योंकि इस वक्त बहुत से सवाल उसके दिमाग में चल रहे थे। उसकी आँखें आँसूओं से भरी हुई थी।


“नही, हम नही जानते की तुम्हारे असली पिता कौन है और हम जानना भी नही चाहते। अंजलि ने हमे कभी बताया भी नही उसके बारे में और बेहतर होगा की तुम जानने की कोशिश भी न करो की वो कौन है।” राकेश ने कहा, जो अभी तक सब कुछ बिना कुछ कहे सुन रहे थे।


“पर क्यों अंकल?” आहना ने पूछा।


राकेश ने उठकर उसके आँसू पोंछे और कहा, “आहना, जब अंजलि की शादी हुई थी, तब तुम्हारे नाना जी ने उसे अपनी प्रॉपर्टी और पैसे का आधा हिस्सा अंजलि के नाम कर दिया था। जब अंजलि अपने ससुराल से भागी थी, तो इन सबके पेपर्स भी ले आई थी अपने साथ। कबीर से शादी के बाद उसने हमें उन पेपर्स के बारे में बताया था।” 


“वो पेपर्स अभी कहाँ है?” आहना ने पूछा। 


“अंजलि ने कुछ पैसे और जो प्रॉपर्टी उसे मिली थी, उसका इस्तेमाल उसने एक अनाथालय और ओल्ड एज होम बनवाने के लिए किया था। उसके बाद जितना पैसा बचा था, वो सारा उसने तुम्हारे नाम कर दिया था ये कहकर की उस पैसे को हम तुम्हारी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल करेंगे और जिस प्रॉपर्टी पर अनाथालय और ओल्ड एज होम बने है, वो भी उसने तुम्हारे नाम करदी थी। वो सारा पैसा जो अंजलि ने तुम्हारे नाम किया था, मैंने उसे इस्तेमाल नही किया क्योंकि उसे इस्तेमाल करने का हक सिर्फ तुम्हे है।” कबीर ने आहना को देखकर कहा। 


“वो पैसा और प्रॉपर्टी ही इसका कारण है की हम तुम्हें इतनी प्रोटेक्शन देना चाहते है क्योंकी हमें पता है तुम्हारे मामा एक दिन तुम्हें ढूंढते हुए जरूर आएंगे तुमसे अपनी प्रॉपर्टी वापिस लेने के लिए।" राकेश ने गंभीर होकर कहा। 


“क्या वो…वो लोग मु…मुझे कोई नुकसान पहुँचा सकते है?” आहना ने कांपती हुई आवाज़ में पूछा। 


“हाँ, वो तुम्हे नुकसान पहुँचा सकते है लेकिन बेटा तुम्हें इस बारे में परेशान नही होना जबतक हम तुम्हारे साथ है। वो कोशिश करेंगे तुमसे प्रॉपर्टी और पैसे वापिस लेने की, और अगर उन्हें उन पेपर्स पर तुम्हारे सिग्नेचर मिल जाए, तो वो अनाथालय और ओल्ड एज होम को तुड़वा देंगे जिसमें बहुत सारे लोग रहते है।” राकेश ने कहा। 


कबीर ने आहना को सामने रखा पानी का ग्लास दिया और कहा, “तुम्हारे अंकल सही कह रहे है आहना। अंजलि ने मुझे बताया था की तुम्हारे नाना जी और तुम्हारे तीनों मामा को मेरे बारे में पता था और वो ये भी जानते थे कि अंजलि माँ बनने वाली है जब वो मेरे पास आई थी। तुम्हारे नाना जी की तो अंजलि और मेरी शादी के तीन महीने बाद ही मौत हो गई थी पर मुझे यकीन है की एक दिन तुम्हारे मामा तुम्हे ढूंढते हुए फिर से जरूर आएंगे।” 


“वो यहाँ क्यों आएंगे? क्या वो मम्मी से मिलने आए थे जब आप दोनों की शादी हुई थी? आहना ने पानी पीकर कबीर से पूछा।


“वो आए थे पर उस वक्त अंजलि हॉस्पिटल में थी क्योंकि तुम होने वाली थी। मैं उस वक्त घर आया था कुछ लेने और उसी वक्त वो लोग आए थे। उन्होंने मुझसे अंजलि के बारे में पूछा तो मैंने झूठ कह दिया की अंजलि मेरे साथ नही रहती। तब से लेकर वो आजतक यहाँ दोबारा नही आए पर फिर से आ सकते है क्योंकी हमें पता है की वो आजतक अंजलि और तुम्हें ढूंढ रहे है इसलिए हम आजतक तुम्हें बचाते आए है।” कबीर ने कहा और राकेश को देखा। वो दोनों जानते थे कि आहना के लिए ये सब जानना और ये बात स्वीकार करना की कबीर उसके असली पिता नही है बहुत मुश्किल है। 


आहना चुप बैठी थी। उसे ऐसे देखकर कबीर ने उसके गाल पर अपना हाथ रखा। आहना ने उन्हें देखा तो उन्होंने कहा, “आहना, मेरे बच्चे मैं खुदको बहुत खुशकिस्मत समझता हूँ की मुझे तुम जैसी बेटी मिली। मैं तो किसी और से शादी करने वाला था लेकिन इससे पहले ही तुम्हारी माँ मेरे पास वापिस आ गई और तुम्हें पता है, मेरी लाइफ का सबसे अच्छा दिन था जब मैंने पहली बार तुम्हें अपनी गोद में उठाया था।” कबीर ने कहा और उस दिन को याद करते हुए मुस्कुरा उठे। 


“मुझे एक बात समझ नही आई। वो अनाथालय और ओल्ड एज होम  को क्यों तोड़ेंगे? उन्हें उन बच्चों की और वहाँ रह रहे लोगों की परवाह नही होगी।” आहना ने पूछा। 


“आहना, कबीर और मैं सालो से बिजनेस वर्ल्ड में काम कर रहे है। हम आए दिन लोगों को बिजनेस में सक्सेस और पैसे के लिए हर हद पार करते देखते है। लोग इंसानियत की हदें भी पार कर जाते है। हम आपके मामा को नही जानते लेकिन अंजलि ने हमें बताया था कि उनका कुछ फैक्ट्री से रिलेटेड बिजनेस है। अगर वो तुमसे प्रॉपर्टी के पेपर्स पर साइन ले लेते है तो हो सकता है वो उस प्रॉपर्टी पर वो फैक्ट्री बनवाए क्योंकी इससे उनका बिजनेस बड़ेगा जिसके लिए उन्हें अनाथालय और ओल्ड एज होम  को तोड़ना होगा। अगर उन्होंने ऐसा किया, तो वे बच्चें और बूढ़े बेघर हो जाएंगे।” राकेश ने उसे समझाया। 


आहना ने अपने माथे पर हाथ रखा और कबीर को देखकर पूछा, “अगर मेरे असली पापा वापिस आ गए तो क्या होगा?”


कबीर ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “अगर वो वापिस आते है और तुम उनके साथ जाना चाहोगी तो मैं तुम्हे नही रोकूंगा बेटा। तुम अब बड़ी हो गई हो और ये अच्छे से समझ सकती हो की तुम्हारे लिए क्या सही है और क्या गलत पर एक बात तुम्हें बताना चाहूंगा कि अंजलि चाहती थी की तुम अपने पिता से दूर रहो और उससे कभी न मिलो।” 


आहना ने अपना सिर कबीर के कंधे पर रखा और कहा, “वो आ भी जाएं तो मैं उनके साथ कभी नही जाऊंगी। मेरे लिए मेरे पापा आप ही रहेंगे। आपकी जगह कोई नही ले सकता मेरी लाइफ में।” 


उसने राकेश को देखा और कहा, “अंकल, मैं घर जाकर रेस्ट करना चाहती हूँ।” 


आहना घर जाकर इन सबके बारे में सोचना चाहती थी इसलिए राकेश ने कबीर को उसे घर ले जाने के लिए कहा। 


“ठीक है मैं इसे घर ले जाता हूँ।” कबीर ने खड़े होकर कहा। 


आहना भी उठ खड़ी हुई और कहा, “एक और बात कहनी है। अगर आप दोनों को ठीक लगे तो मैं कल ऑर्फेनेज और ओल्ड एज होम जाना चाहूंगी।” 


“जरूर बेटा। तुम्हें जाना चाहिए वहाँ।” राकेश ने कहा। उन्हें बाय बोलकर आहना कबीर के साथ जाने लगी तो उन्होंने उसे वापिस बुलाकर कहा, “आहना बेटा, मुझे कोई फर्क नही पड़ता कि तुम्हारी पिछली लाइफ कैसी रही है और तुम्हारे पिता कौन है? बस एक बात याद रखना की तुम मेरे बेटे की जिंदगी का खास हिस्सा हो और उसका प्रेजेंट और फ्यूचर हो।” 


“जी अंकल, मैं ख्याल रखूंगी।” आहना ने कहा और केबिन से बाहर आ गई। कबीर उसे लेकर घर के लिए निकल गए।


Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 16

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