Wednesday 15 May 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 16


घर पहुँचकर आहना जैसे ही अपने बेड पर लेटी, उसका फोन बजने लगा। उसने देखा अयांश का फोन है। उसने फोन उठाया और अयांश की आवाज उसके कानों में पड़ी। “हेलो, टेडी बियर।”

“अयांश।” आहना ने कहा। अयांश की आवाज सुनते ही उसका मन शांत हो गया। 

“क्या तुम मुझे मिस कर रही हो, टेडी बियर। मैं तो तुम्हे बहुत मिस कर रहा हूँ।” अयांश ने कहा।

“मैं भी तुम्हे बहुत मिस कर रही हूँ।” उसने कहा और एक आँसू उसकी आँख से निकलकर बह गया। 

“आहना, कुछ हुआ है क्या? आज तुम मुझे चॉकलेट कहकर भी नही बुला रही?” अयांश ने परेशान होते हुए पूछा। 

आहना अयांश को सब कुछ बता देना चाहती पर नही बताया क्योंकी उसकी बातों से अयांश परेशान हो जाता। उसने एक गहरी सांस ली और कहा, “नही, कुछ नही हुआ। बस ऐसे ही मम्मी की याद आ रही हैं।" 

“आहना, वो हमेशा हमारे साथ है। तुम उनसे बहुत प्यार करती हो ना तो उस प्यार को जिंदा रखो और उन्हें खुशी से याद करो। अगर हम किसी से प्यार करते है ना तो उसे खुशी से याद करना चाहिए। ऐसे उदास होकर नही।” अयांश ने आहना को समझाने के लिए कहा।

“तुम जल्दी से अपनी स्टडीज कंप्लीट करके वापिस आ जाओ। मुझे कुछ अच्छा नही लग रहा।” आहना ने उदास होकर कहा। 

“मैं बहुत जल्दी वापिस आऊंगा तुमसे कभी न दूर जाने के लिए।” अयांश ने प्यार से कहा। उसे आहना का उदास होना परेशान कर रहा था इसलिए आहना का मन लगाने के लिए वो आहना को अमेरिका और अपनी वहाँ की जिंदगी के बारे में बताने लगा। आहना से बात करते हुए ही अयांश किचन में आया और पानी पीते हुए वहीं खड़ा उसके साथ बातें करने लगा। पूरे आधे घंटे तक बातें करने के बाद अयांश ने कहा, “अच्छा आहना, अभी यहाँ बहुत रात हो गई है तो मैं सोने जा रहा हूँ। वो क्या है न यहाँ सुबह जल्दी उठकर टाइम से कॉलेज जाना पड़ता हैं। मैं तुम्हें कल फिर फोन करूंगा।” 

“ठीक है, तुम सो जाओ।” आहना ने कहा। अयांश से बात करके उसे अच्छा लग रहा था।

“आई लव यू, टेडी बियर।” अयांश ने कहा।

“आई लव यू, चॉकलेट।” आहना ने कहा और फोन काट दिया। 

आहना से बात करने के बाद अयांश जैसे ही पलटा, देखा नूपुर उसके पीछे खड़ी थी। 

“सॉरी, मुझे पता नही चला की तुम मेरे पीछे खड़ी हो।” उसने मुस्कान के साथ कहा। 

“कोई बात नही और सॉरी तो मुझे कहना चाहिए मैंने तुम्हारी बातें सुन ली।” नूपुर ने कहा। थोड़ी देर बाद उसने पूछा, “क्या तुम अपनी गर्लफ्रेंड से बात कर रहे थे?” 

“नही, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है।” अयांश ने कहा क्योंकि वो नूपुर को इस बारे में नही बताना चाहता था। 

“झूठ मत बोलो। क्या तुम दोस्तों को आई लव यू कहते हो और उन्हें टेडी बियर कहके बुलाते हो।” नूपुर ने शरारत से कहा। 

अयांश समझ गया की वो नुपुर से इस बारे में नही छुपा पाएगा। वो मुस्कुराने लगा और कहा, “हां, मेरी गर्लफ्रेंड ही थी फोन पर और शायद तुमने उसे देख रखा है।” 

“मैंने उसे देख रखा है।” नुपुर ने हैरान होने का नाटक करते हुए कहा और फ़िर थोड़ी देर सोचने का नाटक करने के बाद कहा, “ओह हाँ, याद आ गया। वही लड़की न जिसे तुमने अपनी बर्थडे पार्टी पर प्रपोज किया था।” 

अयांश ने हाँ में सिर हिला दिया और मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, वही है।” 

“देखा है मैंने उसे। बहुत ब्यूटीफुल है वो और बहुत लकी भी जिसे तुम जैसा बॉयफ्रेंड मिला है।” नूपुर ने झूठी मुस्कान के साथ कहा। 

“लकी मैं हूँ की मेरी लाइफ में वो है। अच्छा अब मुझे नींद आ रही है। गुड नाईट।” कहकर अयांश अपने कमरे मे चला गया। 

“बेशक वो बहुत खूबसूरत है और बहुत लकी है जो तुम्हारी लाइफ का पार्ट है पर बस थोड़े दिन की बात और है बेबी, तुम्हें बहुत जल्द ये गुड न्यूज मिल जाएगी की वो तुम्हारी लाइफ का पार्ट नही रही और तुम हमेशा के लिए मेरे हो गए हो।” नूपुर ने उसे जाते हुए देखकर सोचा और मुस्कुराने लगी। 

***

अगले दिन आहना कबीर के साथ ऑर्फनेज और ओल्ड एज होम पहुँची। वो सामने बने घर को और बाहर लगे झूलों को देख रही थी। उसने झूले देखकर अंदाजा लगा लिया की ये ऑर्फेनेज है। धूप होने की वजह से वहाँ बाहर कोई दिखाई नही दे रहा था। वो आसपास सब कुछ देख ही रही थी कि तभी एक लड़का वहाँ आया। उसने कबीर के पास आकर कहा, “सर, आप यहाँ।”

“हाँ, वो मेरी बेटी यहाँ आना चाहती थी।” कहकर कबीर ने आहना को अपने पास बुलाया और उससे कहा, “आहना इनसे मिलो। ये यहाँ के मैनेजर है, वीर सिंह।” 

वीर ने आहना को देखा तो देखता ही रह गया। पीले रंग की ड्रेस में आहना बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। धूप में उसका गोरा रंग चमक रहा था। वीर मुस्कुराया और कहा, “हेलो मैम।” 

आहना भी मुस्कुराई और कहा, “हेलो! आप प्लीज मुझे आहना ही कहे।” 

“वेलकम आहना।” वीर ने कहा। 

“थैंक्यू।” कहकर आहना ने कबीर से पूछा, “पापा, क्या मैं अंदर जाकर बच्चों से मिल सकती हूँ?”

“जरूर बेटा, तुम जाओ। मैं भी थोड़ी देर में अंदर आता हूँ।” कबीर ने कहा क्योंकि उन्हें वीर से कुछ बात करनी थी। आहना बच्चों से मिलने अंदर चली गई। अंदर आकर उसने देखा की कुछ बच्चें आपस में खेल रहे है और कुछ बच्चें बुजुर्गों के साथ बैठकर किताब में से कहानियाँ पढ़ रहे है। उसे ये देख थोड़ी हैरानी हुई की बुजुर्ग लोग यहाँ क्या कर रहे है। वो सबके पास ना जाकर चुपचाप वहीं खड़ी सबको देखती रही। थोड़ी देर के बाद कबीर ने पीछे से आकर उसके कंधे पर अपना हाथ रखा और कहा, “तुम यहाँ क्यों खड़ी हो, बेटा। जाओ बच्चों और सबसे मिलो।” 

आहना कबीर की तरफ मुड़ी और उनसे पूछा, “पापा, मुझे तो बाहर से देखकर लगा था कि ये सिर्फ ऑर्फेनेज होगा और ओल्ड एज होम इसके आसपास ही कहीं और होगा पर यहाँ तो बुजुर्ग लोग भी है।” 

कबीर मुस्कुराए और कहा, “ये अंजलि का आइडिया था। उसका कहना था की इससे जिन बच्चों के मां बाप नही है उन्हें मां बाप का प्यार मिल जायेगा और जिन मां बाप को उनके बच्चों ने छोड़ दिया है उन्हें बच्चो का प्यार मिल जाएगा।” 

“मैं सबसे मिलती हूँ।” आहना ने सबको देखते हुए कहा। 

“तुम चलकर सबसे मिलो। मैं थोड़ा सा काम देख लूं यहाँ का। कुछ चाहिए हो तो किसी को भी कह देना या फिर वीर को।” कहकर कबीर दूसरी ओर चले गए। 

आहना सबसे मिलने उनकी और चली आई। वीर भी वहाँ आया और सबको आहना से मिलवाने लगा। आहना बच्चों के साथ खेलते हुए खिलखिलाकर हँस रही थी और वृद्ध लोगों से बातें करते हुए खुश हो रही थी। बातें करते हुए जब एक बुजुर्ग महिला ने आहना के सिर पर उसे आशीर्वाद देने के लिए हाथ रखा तो आहना खुशी से मुस्कुरा उठी। वो सबके साथ प्यार से बातें किए जा रही थी और वीर वहीं खड़ा प्यार से उसे देखे जा रहा था। 

आहना को सबके साथ वक्त बिताकर बहुत ही अच्छा लग रहा था। आज इतने दिनों बाद वो अच्छा महसूस कर रही थी। घर पहुँचते ही उसके फोन पर अयांश का वीडियो कॉल आया। कॉल उठाते ही अयांश को देखकर आहना के चेहरे पर एक प्यारी-सी मुस्कान आ गई। 

अयांश भी उसे देखकर मुस्कुराने लगा। आहना ने अयांश को आज ऑर्फनेज और ओल्ड एज होम के बारे में और वहाँ जाकर उसे कितना अच्छा लगा, इस बार में बताया। 

“तुम जब वापिस आ जाओगे ना। तब मैं तुम्हें भी वहाँ लेकर जाऊंगी।” आहना ने कहा। अयांश उसकी आवाज़ में बहुत सारी खुशी को महसूस कर पा रहा था। उसे आहना की आवाज सुनकर तसल्ली हुई की आहना अब खुश है क्योंकी कल से वो आहना की उदासी की वजह से परेशान था। अयांश आहना से काफी देर तक बातें करता रहा। दोनों ही महसूस कर पा रहे थे वो दूर होते हुए भी एक दूसरे के बहुत करीब है।


Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 17


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