Saturday 11 May 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 13

 


अयांश आहना को लेकर कहीं जाना चाहता था इसलिए उसने आहना से तैयार होकर आने को कहा। पंद्रह मिनट के बाद वह तैयार होकर आई। उसने अपने फेवरेट नीले रंग का एक खूबसूरत गाउन पहन रखा था। 


अयांश उसे लेकर लेवेंडर्स  होटल पहुँचा। अयांश उसे गार्डन में ले गया। पूरे गार्डन को लाइटों और फूलों से सजाया गया था। गार्डन के बीच में एक सफेद पर्दो से बना टेंट लगा हुआ था जो लाइटों की रोशनी से चमक रहा था। उन दोनों ने पहले खाना खाया और फिर अयांश आहना के साथ उस टेंट के अंदर आया। अयांश लेट गया। ये देखकर आहना भी लेट गई और अपना सिर अयांश के सीने पर रख दिया जिससे अयांश के दिल की धड़कनों उसे सुनाई दे रही थी। अयांश ने आहना को अपनी बाहों में कैद कर लिया और उसके बालों को सहलाते हुए पूछा, “आहना, तुम क्या करोगी जब तुम्हें मेरी याद आएगी?” 


“याद उसे किया जाता है जो बहुत दूर हो और तुम तो मेरे बहुत करीब हो। तुम मुझसे दूर जाकर भी दूर नही होगे।” आहना ने कहा और मुस्कुरा दी। 


“क्या मतलब?” अयांश ने कन्फ्यूजन में पूछा। 


“अयांश, तुम मेरे दिल में रहते हो। अब जो मेरे दिल में रहता है वो मुझसे दूर कैसे हो सकता है।” आहना ने कहा और उसके गाल पर किस कर लिया। 


“आहना, मैं बहुत लकी हूँ जो तुम मेरी जिंदगी में हो। पता नही मैं तुम्हारे बिना दो साल कैसे रहूंगा।" अयांश ने थोड़ा उदास होकर कहा और उसके हाथ के पीछे किस किया। 


“सिर्फ दो साल की ही तो बात है और हमें ये भी पता चल जाएगा कि क्या हम सच में एक-दूसरे को लेकर सीरियस है या नही। पास रहकर तो सब साथ रह लेते है क्योंकि रोज मिलना होता है। प्यार का असली पता तो लॉन्ग डिस्टेंस में लगता है जब रोज मिलना तो छोड़ो, बात करना भी मुश्किल होता है और जब एक दूसरे से दूर रहते हुए भी साथ रहना होता है।" आहना ने कहा और मुस्कुराने लगी। 


अयांश ने उसकी आँखों में देखा और कहा, “मैं रहूंगा तुम्हारे साथ, हमेशा।” 


आहना ने अपने साथ लाए पर्स में से एक लाल रंग का बॉक्स  निकालकर अयांश को देते हुए कहा, “मैं तुम्हारे लिए गिफ्ट लाई हूँ। खोलकर देखो कैसा है।” 


अयांश ने बॉक्स खोला तो देखा अंदर एक खूबसूरत सा ब्रेसलेट था। अयांश ने उसे बॉक्स से बाहर निकाला और उसे देखते हुए आहना से पूछा, “ये तुमने कब लिया?” 


“कल जब मैं तुम्हारे साथ मॉल गई थी और तुम्हें मॉल से बाहर भेज दिया था।” आहना ने कहा।


“ये बहुत अच्छा है। मुझे बहुत पसंद आया।” कहते हुए उसने ब्रेसलेट आहना को दिया और कहा, “अब जितने प्यार से ये मेरे लिए लिया है, उतने ही प्यार से पहना भी दो।” 


आहना उठी और अयांश को ब्रेसलेट पहनाते हुए कहा, "इसे कभी मत उतारना।” 


“मैं वादा करता हूँ। इसे कभी भी नही उतारूंगा।” अयांश ने आहना को प्यार से देखते हुए कहा। आहना भी अपनी प्यार भरी नजरों से उसे ही देखे जा रही थी। 


अमेरिका, वर्तमान समय 


अयांश ने दीवार पर लगी आहना की तस्वीर से नजरें हटाकर अपने हाथ में पहने हुए ब्रेसलेट को देखा। ये वही ब्रेसलेट था जो आहना ने उसे पहनाया था और अयांश ने आहना से अपना वादा निभाते हुए आज तक इसे कभी नही उतारा था। उसने वापिस तस्वीर को देखा। तस्वीर में आहना तो मुस्कुरा रही थी पर उसे देखते हुए अयांश की आँखों से आँसू बहने लगे।    


“काश मैं सात साल पहले अमेरिका ना जाता तो आज जिंदगी जीने के लिए मेरे साथ तुम होती आहना, तुम्हारी यादें नही।” अयांश ने तस्वीर को देखते हुए कहा जैसे वो आहना से बात कर रहा हो। 


सात साल पहले,


अयांश आहना का हाथ पकड़े हुए एयरपोर्ट पर खड़ा था। दोनों उदास आँखों से एक दूसरे को देख रहे थे। राकेश और कबीर भी वहीं थे। वो दोनों अयांश और आहना से दूर खड़े हुए थे जिससे अयांश और आहना आपस में आराम से बात कर सके पर उन दोनों के बीच तो खामोशियां थी। बस दोनों बिना कुछ कहे एक दूसरे को देखे जा रहे थे। रिद्धिमा की तबियत ठीक नही थी इसलिए वो नही आई थी। 


कुछ वक्त बाद राकेश ने उनके पास आकर अयांश से कहा, “तुम्हें अब जाना चाहिए बेटा।” 


“जी पापा।” कहकर अयांश राकेश और कबीर से मिलकर आहना ने सामने आया जिसकी आँखों में आँसू थे। अयांश की आँखें भी नम हो गई पर उसने अपने आँसूओं को बहने से रोक लिया क्योंकी उसे आहना के लिए मजबूत रहना था। उसने आहना के हाथ को थामा और उसके करीब आकर उसके माथे को अपने होठों से छू लिया और कहा, “मैं जल्दी ही आ जाऊंगा तुम्हारे पास वापिस। तब तक अपना ख्याल रखना, टेडी बियर।” 


अयांश ने आहना का हाथ छोड़ा और जाने के लिए मुड़ा तो आहना ने उसका हाथ पकड़ लिया जैसे वो उसे जाने ना देना चाहती हो। कबीर ने आहना को संभाला और कहा, “वो लेट हो रहा है, बेटा। उसे जाने दो।” 


आहना ने धीरे से अयांश का हाथ छोड़ दिया। अयांश भी बहुत उदास था पर उसने आहना के सामने खुदको ठीक रखा और सबको बाय बोलकर अपने बैग लेकर अंदर चला गया। उसने पीछे मुड़कर आहना को नही देखा। जो आँसू उसने अब तक रोक रखे थे वो उसकी आँखों से बह गए। उसने अपने हाथ को देखा जो कुछ वक्त पहले आहना के हाथ में था और सोचने लगा, “पता नही क्यों ये हाथ छोड़ने मुश्किल हो जाते है किसी अपने से दूर जाने के लिए।” 


बाहर खड़ी आहना जो अभी भी अयांश को देख रही थी, वो भी यही सोचने लगी, “पता नही क्यों ये हाथ छोड़ने मुश्किल हो जाते है किसी अपने को खुदसे दूर भेजने के लिए।” 


आहना वहीं खड़ी अयांश को तब तक देखती रही जब तक वो उसकी आँखों से ओझल नही हो गया। राकेश और कबीर आहना को लेकर घर के लिए निकल गए। 


एयरपोर्ट पर अयांश अपना सामान जमा करवाकर और बोर्डिंग पास लेकर वेटिंग एरिया में आकर बैठ गया और अपनी फ्लाइट की अनाउंसमेंट होने का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर बाद एक लड़की उसके पास आकर बैठ गई। उसने अपने साथ बैठे अयांश को देखा और कहा, “अयांश, तुम यहाँ।” 


अपना नाम सुनकर अयांश ने साइड में देखा तो थोड़ा हैरान रह गया। उसके साथ जो लड़की बैठी थी वो कोई और नही बल्कि नुपुर थी। 


“हेलो।” अयांश ने नुपुर से कहा।


“तुम कहाँ जा रहे हो?” नुपुर ने पूछा। 


“अमेरिका और तुम?” अयांश ने पूछा। 


नुपुर मुस्कुराने लगी और उसने कहा, “मैं भी अमेरिका ही जा रही हूँ। फाइनली मुझे किसी की कंपनी मिल गई।” 


“क्या तुम भी स्टडीज के लिए जा रही हो?” अयांश ने पूछा। 


“हाँ, मैं भी स्टडीज के लिए जा रही हूँ।” नुपुर ने अयांश से झूठ बोल दिया जबकी सच ये था कि वो वहाँ पढ़ाई के लिए नही जा रही थी। वो वहाँ अयांश के लिए जा रही थी। रिद्धिमा ने ही उससे कहा था कि वो भी अयांश के साथ ही अमेरिका जाए और वहाँ उसके साथ रहते हुए उसे कुछ भी ऐसा करके फंसा सके जिससे अयांश को आहना को भूलकर उससे शादी करनी पड़ जाए। टीना भी इसके लिए मान गई क्योंकी वो जानती थी नुपुर अयांश को पसंद करती है। 


कुछ देर इंतजार करने के बाद उनकी फ्लाइट की अनाउंसमेंट हो गई और वो दोनों प्लेन के अंदर आ बैठे। उन दोनों की सीट एक साथ ही थी जिसे देखकर नुपुर मन ही मन में बहुत खुश हुई।


“तुम वहाँ कहाँ रहने वाली हो?” अयांश ने उससे पूछा। 


“मैं अपनी दोस्त के हॉस्टल जाऊंगी अभी के लिए लेकिन मुझे जल्द ही एक अपार्टमेंट ढूंढना होगा।” नुपुर ने कहा।


“तुम मेरे साथ मेरे अपार्टमेंट में रह सकती हो अगर चाहो तो।” अयांश ने कहा पर उसे ये मालूम नही था कि अंजाने में वो अपनी जिंदगी की कितनी बड़ी गलती कर रहा है। 


“यही तो मैं चाहती हूँ की मैं तुम्हारे साथ आकर रहूं।” नूपुर ने खुश होते हुए मन ही मन में कहा और फिर अयांश से पूछा, "क्या मैं सच में तुम्हारे साथ रह सकती हूँ?" 


“हाँ, तुम मेरी मम्मी की सबसे अच्छी दोस्त की बेटी हो, जिसका मतलब है कि तुम मेरी भी दोस्त हुई और मैं हमेशा अपने दोस्तों की मदद करता हूँ।” अयांश ने उसकी ओर देखे बिना कहा। 


“थैंक्यू, अयांश।” नुपुर ने उससे कहा और फिर मन ही मन में कहा, “तुमने तो मेरा काम बहुत ही ज्यादा आसान कर दिया। अब मुझे तुम्हारे करीब आने और तुमसे शादी करने से कोई नही रोक सकता।” वो मुस्कुराने लगी। आखिरकार, यह उसके प्लैन का ही एक हिस्सा था कि वो अमेरिका में वही रहेगी जहाँ अयांश रहेगा। वो इसके लिए कुछ दिन इंतजार करने वाली थी लेकिन जब अयांश ने कहा कि वो उसके साथ आकर रह सकती है तो वो ना कैसे कह सकती थी। 


पूरे बारह घंटे सफर करने के बाद, वो दोनों अमेरिका पहुँचे। उन्होंने अपना अपना सामान लिया और एयरपोर्ट से बाहर आ गए। अयांश का दोस्त, समीर वहाँ बाहर खड़ा उसका इंतजार कर रहा था। जैसे ही समीर ने अयांश को देखा, वो खुश हो गया और अयांश के पास आकर उसे गले लगाते हुए कहा, “वेलकम भाई, आखिरकार तु यहाँ आ ही गया।” 


“कैसा है तू?” अयांश ने उससे दूर होकर पूछा। 


“एकदम बढ़िया।” समीर ने कहा और उसकी नजर अयांश के पीछे खड़ी नूपुर पर गई तो उसने अयांश से पूछा, “ये कौन है, अयांश। तेरी गर्लफ्रेंड।”   


“समीर, तु गलत समझ रहा है। ये मेरी गर्लफ्रेंड नही है। मेरी दोस्त है, नूपुर। हमारे साथ ही रहने वाली है।” अयांश ने कहा और नुपुर को समीर से मिलवाया। समीर ने मुस्कुराते हुए नूपुर की तरफ अपना हाथ बढ़ाया। नुपुर ने उससे हाथ मिलाया। 


समीर उन दोनों को अपने अपार्टमेंट ले आया। ये एक छोटा-सा दो बेडरूम का अपार्टमेंट था जिसमें एक छोटी-सी रसोई और एक लीविंग रूम था जिसमें एक सोफा और दो कुर्सियाँ थी। सोफे और कुर्सियों के बीच एक टेबल था और सामने दीवार पर टीवी भी लगा हुआ था।


समीर ने उन्हें पानी पिलाया। पानी पीकर नुपुर ने अयांश से कहा, “अयांश, मुझे मेरा कमरा बतादो कहाँ है। मुझे फ्रेश होना है।” 


अयांश सोफे से उठ गया। नुपुर ने अपना बैग लिया और उसके पीछे चल दी। अयांश ने एक कमरे का दरवाजा खोला।  


“ये तुम्हारा कमरा है। प्लीज बी कम्फ़र्टेबल।” अयांश ने मुस्कुराते हुए नुपुर से कहा और वहाँ से जाने ही वाला था कि नूपुर ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और पूछा, “अयांश, अगर मैं तुम्हारे साथ नही आती तो क्या तुम इस कमरे में रहने वाले थे?” 


अयांश को नुपुर का इस तरह उसका हाथ पकड़ना अच्छा नही लगा तो उसने जल्दी से अपना हाथ छुड़वाया और कहा, “हाँ, मैं इस कमरे में रहने वाला था लेकिन तुम परेशान मत हो। मैं समीर के साथ रूम शेयर कर सकता हूँ।” 


“थैंक्यू, अयांश। तुम मेरे लिए इतना सब कुछ कर रहे हो। तुम्हें अपना कमरा किसी और के साथ शेयर करने की आदत नही होगी फिर भी तुम मेरे लिए ये कर रहे हो।” नुपुर ने कहा और खुशी से अयांश के गले लग गई।


Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 14

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