Saturday 4 May 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 8


निखिल ने आहना के बारे में गलत बात कही जिससे अयांश को गुस्सा आ गया जिसे निखिल अयांश की आँखों में साफ देख पा रहा था। अयांश ने गुस्से में निखिल को वहाँ से जाने के लिए कहा। उसके जाने के बाद आहना अयांश के गले लगकर रोने लगी। अयांश ने उसे चुप कराते हुए कहा, "आहना, मैं हूँ ना यहाँँ। अब रोना बंद करो।” 


आहना फिर भी रोए जा रही थी इसलिए अयांश ने कहा, “देखो तुम जानती हो मैं तुम्हारी आँखों में आँसू नही देख सकता।” 


आहना ने उसकी आँखों में देखा और कहा, “अगर तुम नही आते तो क्या होता?” 


अयांश ने उसके चेहरे को अपने हाथो में लिया और प्यार से कहा, “मैं नही आता तो पर मैं तो आ गया ना तुम्हारे पास।” 


उसकी बात सुनकर आहना मुस्कुराने लगी। 


अयांश के बर्थडे के एक दिन पहले शाम को कॉलेज के बाद अयांश और आहना पार्क में बेंच पर बैठे हुए थे। आहना उसके कंधे पर सिर टिकाए हुए थी और दोनों ने एक दूसरे का हाथ कस कर पकड़ रखा था। 


"कल तुम्हारा बर्थडे है। मैं चाहती हूँ हम तुम्हारा बर्थडे सबके साथ अच्छे से सेलिब्रेट करे।” आहना ने कहा और अयांश की ओर देखा। 


अयांश ने उसकी आँखों में देखा और कहा, “मैं तो बस तुम्हारे साथ वक्त बिताना चाहता हूँ। तुम, मैं, चाँद तारों से भरा आसमान और बहुत सारा रोमांस।" 


“अयांश, दिस ऑल इस रोमांटिक पर मैं चाहती हूँ कि तुम अपना बर्थडे फैमिली और फ्रेंड्स के साथ मनाओ।” आहना ने कहा।


“ठीक है, जैसा तुम चाहो।” अयांश ने उसके हाथ पर किस करते हुए कहा। 


“चलो अब घर चलते है।” आहना ने खड़े होते हुए कहा।


अयांश भी उठ खड़ा हुआ और वो दोनों पार्क से बाहर निकलकर गाड़ी में आ बैठे। कुछ ही देर बाद अयांश ने गाड़ी आहना के घर के सामने रोकी। 


“पापा आज थोड़ी देर से घर आएंगे। क्या तुम कुछ देर के लिए मेरे साथ रुकोगे? मैं अकेले नही रहना चाहती।” आहना ने सीट बेल्ट खोलते हुए अयांश से कहा। जबसे निखिल घर में आकर उसके साथ बुरा बर्ताव करके गया था, तभी से वो बहुत डरी हुई थी। 


अयांश को आहना के साथ और ज्यादा समय बिताने का मौका मिल रहा था। वह उसे कैसे मना कर सकता था? वह खुश होकर आहना के साथ गाड़ी से बाहर निकला और उसके साथ घर के अंदर चला गया। आहना अयांश को बैठने का बोलकर उसके लिए पानी लेने किचन में गई। अयांश हॉल में सोफे पर बैठ गया। 


आहना पानी लेकर आई। उसने ग्लास अयांश को दिया और फिर वापिस किचन में कॉफी बनाने चली गई। कॉफी लेकर वो बाहर आई और एक कप अयांश को दे दिया। अयांश कॉफी पीते हुए उसे ही देख रहा था। कॉफी पीने के बाद, उसने आहना का हाथ पकड़ा और कहा, "मेरे बर्थडे पर तुम मुझे क्या दे रही हो?"


“मैंने तुम्हें जिंदगी भर तुम्हारे साथ रहने का वादा दे दिया है वो सबसे अच्छा गिफ्ट नही है क्या जो अब तुम्हें मुझसे और गिफ्ट चाहिए?” आहना ने मजाक में कहा।


“वो तो सबसे प्यारा गिफ्ट है पर मैं तुमसे कुछ मांगना चाहता हूँ।” अयांश ने कहा। 


“क्या चाहिए तुम्हें?" आहना ने मुस्कुराते हुए पूछा। 


“तुम्हारे मेरे साथ जिंदगी भर साथ रहने के वादे को पक्का वादा करदो।” अयांश ने अपने बैग से एक बॉक्स निकालते हुए कहा और एक घुटने पर आहना के सामने बैठ गया। अयांश ने बॉक्स खोला और आहना को देखने लगा। आहना हैरान हो गई क्योंकि बॉक्स के अंदर एक बहुत ही खूबसूरत अँगूठी थी।  


“अयांश, ये सब तुम क्या।” आहना ने कुछ कहना चाहा पर अयांश ने उसकी बात बीच में ही काट दी और उसका हाथ थामकर कहने लगा, “आहना, मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ। मैं तुम्हारे साथ रहकर अपनी जिंदगी का हर पल खुशी से तुम्हारे साथ बिताते हुए तुम्हारे साथ बहुत सारी खूबसूरत यादें बनाना चाहता हूँ। जिंदगी भर के लिए तुम्हारा हाथ पकड़कर मैं तुम्हारे साथ पूरी दुनिया घूमना चाहता हूँ। क्या तुम मुझसे मेरे साथ जिंदगी भर साथ रहने का पक्का वादा करोगी?” 


आहना मुस्कुराई और कहा, “मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगी, अयांश।" 


अयांश ने अँगूठी उसकी उँगली में पेहना दी और उसके माथे को चूम लिया। 


“आई लव यू,अयांश।” आहना ने कहा। अयांश ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और उसके होठों पर किस करने लगा। आहना ने हैरानी से अपनी आँखें बड़ी कर ली पर उसने अयांश को खुदसे दूर नही किया। आहना अयांश के कंधे पर अपना हाथ रखने की वाली होती है की तभी उसके फोन पर किसी का फोन आता है। वो अयांश से अलग हुई और उसने टेबल पर पड़ा अपना फोन उठाया। फोन कबीर का था। उसने फोन उठाया और कबीर से बात करने लगी। कबीर के साथ पाँच मिनिट तक बात करने के बाद उसने फोन काटा और अयांश की तरफ परेशान होकर देखा। 


उसे ऐसे परेशान देखकर अयांश ने पूछा, "क्या हुआ, टेडी बियर?” 


“पापा आज घर नही आ रहे हैं क्योंकि उन्हें बहुत जरूरी काम है ऑफिस में। मुझे रात में अकेले रहने में डर लगता है।” उसने परेशान होते हुए कहा और उठकर किचन में चली गई। 


अयांश ने थोड़ी देर कुछ सोचा और फिर अपनी जेब से अपना फोन निकालकर राकेश का नंबर डॉयल किया।


“हैलो पापा, क्या मैं आज आहना के साथ रुक सकता हूँ? वो कबीर अंकल आज घर नही आने वाले है और आहना को अकेले रहने में डर लगता है।" अयांश ने कहा। 


उसकी बात सुनकर राकेश हँसने लगे और उन्होंने कहा, “अयांश, कबीर मेरे साथ है और मैंने ही उसे आहना को फोन करने के लिए कहा कि वह आज रात घर नही आ पाएंगे ताकि तुम आहना के साथ समय बिता सको। रिद्धिमा की चिंता मत करना, मैं उसे कह दूँगा कि तुम अपने दोस्त के घर हो।” 


“पापा,  मैं आहना से झूठ नही बोल सकता। आप अंकल को घर भेज दीजिए।” अयांश ने कहा। अयांश हैरान था ये जानकर कि राकेश ने ये किया है क्योंकि अयांश को उनके कभी भी ऐसा कुछ करने की उम्मीद नही थी। उसका दिल जोर से धड़क रहा था। वो आहना से झूठ नही बोलना चाहता था लेकिन अगर उसने आहना को सच बताया तो आहना को बुरा लग सकता था।  


अयांश ने सोचा कि वो आहना को इस बारे में कुछ नहीं बताएगा। उसने राकेश से बात करके फोन काटा और किचन में चला गया। आहना खाना बना रही थी। वो काम करते हुए इतनी प्यारी लग रही थी की अयांश की नजरे उस पर ठहर गई और वो सोचने लगा, “कब आयेंगे वो दिन जब तुम मेरे साथ मेरे घर में रहने आ जाओगी और ऐसे ही मेरे लिए प्यार से खाना बनाया करोगी और जब मुझे घर आने में देर हो जाया करेगी, तुम मेरे साथ डिनर करने के लिए मेरा इंतजार किया करोगी।”


अयांश आहना ने साथ अपने भविष्य के बारे में सोचते हुए मुस्कुरा रहा था। वो अपने ख्यालों में इतना खोया हुआ था की उसने ध्यान ही नही दिया की आहना उसे ही देख रही है।  


"क्या सोच रहे हो, अयांश?" आहना के सवाल से उसकी तंद्रा टूटी और उसने जल्दी से कहा, "कुछ नही।” 


“तो तुम इतना मुस्कुरा क्यों रहे थे?” आहना ने पूछा। 


“तुम्हें देखकर मुस्कुरा रहा था। तुम लग ही इतनी प्यारी रही हो। वैसे तुम बना क्या रही हो।”, कहते हुए अयांश अंदर आया और उसने आहना को पीछे से अपनी बाहों में भरकर उसके गाल पर किस किया। 


“तुम्हारा फेवरेट पास्ता।” आहना ने अयांश के कंधे पर अपना सिर टिकाते हुए कहा और उसकी आँखों में देखने लगी जिनमें उसे अपने लिए बहुत सारा प्यार नजर आ रहा था। कुछ देर बाद वो अयांश से दूर हुई। अयांश चुपचाप वहीं खड़ा उसे खाना बनाते हुए देखता रहा।


खाना खाने के बाद आहना किचन का काम खत्म करने चली गई और अयांश उसके कमरे में आ गया। आहना के कमरे में थोड़ा सा सामान इधर उधर बिखरा हुआ था तो वो उसे सही करने लगा। कमरा सही करने के बाद अयांश ने आहना के बेड पर रखा नोवेल लिया और वहीं बैठकर उसे पढ़ने लगा। सारा काम खतम करके आहना जब अपने कमरे में आई तो देखा कि अयांश वहाँ बैठकर उसका पसंदीदा नोवेल पढ़ रहा है। वो अयांश के पास बैठ गई और कहा, "ये कहानी बहुत अच्छी है।” 


“और हमारी कहानी, टेडी बियर। क्या वो इस कहानी की तरह अच्छी नही है?” अयांश ने उसे देखकर पूछा। 


“इस कहानी में उनका प्यार अधूरा रह जाता है इसलिए हमारी कहानी इस कहानी जैसी नही है। हमारी कहानी तो बहुत खूबसूरत है क्योंकि हमारा प्यार तो पूरा होगा ना।” आहना ने उसका हाथ थामते हुए कहा। 


अयांश आहना के करीब आया। “हमारी कहानी जरूर पूरी होगी और आने वाले वक्त में हम अपनी इस कहानी में बहुत सारे खूबसूरत पलों को जीएंगे।” कहकर अयांश ने अपने होठों से उसके माथे को छू लिया। वो दोनों बातें कर ही रहे थे की तभी अयांश की नजर कमरे के कोने में रखी एक पेंटिंग पर गई, जो की एक पतले से कागज़ से ढकी हुई थी।


अयांश उठकर उस पेंटिंग के पास गया और जैसी ही उसने पेंटिंग से कागज़ हटाया, वो हैरान रह गया क्योंकि वो पेंटिंग उसी की थी। आहना उसके पास आई और पूछा, “कैसी लगी तुम्हें ये पेंटिंग?” 


“मैंने आजतक अपनी बहुत ही खूबसूरत तस्वीरें खिंचवाई है पर उनसे भी ज्यादा खूबसूरत मैं इस पेंटिंग में लग रहा हूँ। जानती हो क्यों?” कहते हुए अयांश ने आहना की कमर में अपनी बाह को डालकर उसे अपने करीब खींचा जिससे आहना चौंक गई। उसका दिल तेजी से धड़कने लगा तो उसने पूछा, “क्यों?” 


“क्योंकि इस पेंटिंग में वो अयांश है जो तुम्हारे दिल और तुम्हारे ख्यालों में रहता है।” अयांश ने उसकी आंखो में देखते हुए कहा। 


“अब तो नजरों के सामने भी रहा करोगे।” कहते हुए आहना ने भी उसकी आंखो में देखा। 


“हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा मैं।” अयांश ने कहा और आहना के हाथ को अपने होठों से छू लिया। आहना थोड़ी देर के लिए उसे बिना कुछ कहे देखती रही। कुछ वक्त बाद अयांश ने कहा, “मैं अब सोने जा रहा हूँ। तुम भी जल्दी सो जाना। हमें कल कॉलेज भी जाना है।” अयांश उसे गुड नाईट कहकर कमरे से बाहर चला गया। 


आहना अपने बेड पर लेट गई। थोड़ी देर बाद उसने सामने दीवार पर लगी घड़ी में टाइम देखा। “अयांश के बर्थडे में बस एक घंटा बाकी है और वो यहाँँ मेरे साथ है। मुझे उसके लिए कुछ स्पेशल करना चाहिए।" उसने सोचा और उठकर अपने कमरे से बाहर आकर किचन में आ गई। 


Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 9




 

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