Monday 27 May 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 26


आहना की उँगली से अँगूठी गिरकर टेबल के पास जा गिरी जिसे देखकर उसका मन घबराने लगा। उसने अँगूठी उठाकर वापिस अपनी हाथ में कसकर पकड़ ली। उसने राकेश को देखा और कहा, “अंकल, मैं भी आपके साथ हॉस्पिटल जाऊंगी।” 

राकेश ने हाँ में सिर हिलाया। वो आहना और कबीर को साथ लेकर अस्पताल के लिए निकल गए। रास्ते में उन्होंने रिद्धिमा और नुपुर को भी इस बारे में बताया। 

अस्पताल ऑफिस से बहुत दूर था और रास्ते में उन सबको ट्रैफिक भी मिला इसलिए उन्हें वहाँ पहुँचने में बहुत वक्त लग गया। राकेश ने गाड़ी जैसे ही अस्पताल के बाहर रोकी, आहना ने जल्दी से गाड़ी का दरवाज़ा खोला और उतरकर अस्पताल के अंदर भाग गई। रिसेप्शन पर अयांश के बारे में पूछकर वो उसके वार्ड के सामने आई। वो दरवाजा खोलने ही वाली थी की तभी उसने दरवाजे के बीच लगे गोल आकार के शीशे से नुपुर को देखा, जो अयांश के करीब खड़ी होकर उसे पानी पिला रही थी। उसके हाथ वही रूक गए और वो बस उसी शीशे से अयांश को देखती रही, जिसके सिर और बाएं हाथ पर पट्टी बंधी हुई थी। 

राकेश ने गाड़ी पार्क की और कबीर के साथ अंदर आए। रिसेप्शन पर अयांश के बारे में पूछकर वो कबीर के साथ वार्ड की तरफ जा ही रहे थे की तभी उन्हें रिद्धिमा दिखाई दी। वो डॉक्टर से बात कर रही थी। राकेश भी कबीर के साथ उनके पास पहुँचे और डॉक्टर से अयांश के बारे में पूछने लगे। 

अयांश आहना के उसके आसपास होने के एहसास को न पहचाने ऐसा हो ही नही सकता था। उसे ऐसा लगा कि आहना उसके आसपास ही है इसलिए उसने दरवाजे की तरफ देखा। अयांश को दरवाज़े की ओर देखता पाकर आहना जल्दी से दीवार वाली साइड हो गई। 

अयांश को दरवाज़े की तरफ देखता पाकर नुपुर ने भी दरवाज़े की तरफ देखा। वो समझ गई कि अयांश किसके इंतजार में है इसलिए उसने कहा, “तुम जिसके इंतजार में हो न वो नही आने वाली। यही प्यार है उसका तुम्हारे लिए। तुम इतनी तकलीफ में हो और उसे तुम्हारा ख्याल तक नही है तो बेहतर यही होगा कि छोड़ दो उसका इंतजार करना तुम अब और अपने मन को समझालो की वो लौटकर नही आने वाली तुम्हारी जिंदगी में क्योंकि उसे आना होता तो अबतक वो यहाँ होती पर वो यहाँ नही है और मुझे देखो, तुम मुझे चाहते भी नही हो फिर भी तुम्हारे पास हूँ और तुम्हारा ख्याल रख रही हूँ। एनीवेज, क्या फायदा तुमसे कुछ भी कहने का। प्यार तो तुम फिर भी उस आहना को ही करोगे। मैं अभी आती हूँ।” 

अयांश आहना के बारे में इतना सबकुछ सुनना तो नही चाहता था पर उस वक्त वो चुप रहा क्योंकि उसके दिमाग में और भी बहुत कुछ चल रहा था। बाहर खड़ी आहना ने नुपुर की सारी बातें सुन ली थी। जैसे ही उसे एहसास हुआ की नुपुर दरवाजे की तरफ आ रही है वो दूसरी तरफ घूमकर खड़ी हो गई। नुपुर दरवाजे से निकलकर दूसरी ओर चली गई। उसके जाते ही आहना जल्दी से अयांश के वॉर्ड में चली गई। 

अयांश किसी गहरी सोच में खोया हुआ था। दरवाज़ा खुलने की आवाज़ से उसकी तंद्रा टूटी। उसने दरवाज़े की ओर देखा तो आहना को वहाँ देखकर वो हैरान रह गया। आहना उसके पास आई और उसे देखने लगी। 

आहना को देखकर अयांश की आँख से आँसू बहकर गाल पर आ गया। ये देखकर आहना अयांश के आँसू को पोंछने के लिए जैसे ही अपने हाथ को उसके चेहरे के करीब लाई, उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया। 

आहना उसके पास बैठ गई और उसने कहा, “अयांश, एक बार मेरी तरफ देखो।” 

अयांश ने उसे देखा और पूछा, “क्यों आई हो तुम यहाँ, आहना?” 

“मैं…मैं डर गई थी जब मुझे…मुझे पता चला की तुम्हारा एक्सीडेंट हो गया है। तुम्हें कुछ हो… हो जाता तो मैं…मैं तो जी ही नही पाती।” आहना ने रोते हुए कहा। 

“तुम्हें इससे क्या फ़र्क पड़ता है। तुम तो नफरत करने लग गई हो न मुझसे।” अयांश ने गुस्से में कहा। 

“ऐसा नही है, अयांश वो तो…” आहना ने कहना चाहा पर अयांश ने उसकी बात बीच में ही काटते हुए कहा, “तो फिर कैसा है हाँ। मेरे एक्सीडेंट की खबर सुनते ही तुम्हें ऐसा क्यों लगा की मुझे कुछ हो जाता तो तुम जी नही पाओगी।” 

“क्योंकि मैं तुम्हें तकलीफ में नही देख सकती।” आहना ने कहा। 

“और जो इतने वक्त से तुम मुझसे दूर रहकर हम दोनों को तकलीफ दे रही हो उसका क्या।” अयांश की बात सुनकर आहना रोने लगी। उसे ऐसे देखकर अयांश ने फिर कहा, “पता है आहना, मुझे लगता था की पूरी दुनिया मुझे गलत समझ सकती है और मुझे इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मेरी आहना मुझे हमेशा समझेगी पर मैं गलत था। तुम मुझे नही समझ नही पाई बल्कि तुमने तो ये समझ लिया की मैंने तुम्हें धोखा दिया है।” 

आहना ने अपने आँसू पोंछे और कहा, “अयांश, मैं तुमसे दूर नही रहना चाहती थी पर जब मैंने तुम्हें नुपुर का हाथ थामे देखा तो मुझे बहुत बुरा लगा। उस वक्त मुझे ऐसा लगा की तुम मुझसे दूर हो गए हो।” 

“मैं जानता हूँ की मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई थी पर उस गलती की इतनी बड़ी सजा मिलेगी मुझे तुमसे, ये नही सोचा था मैंने। मुझे लगा था मैं तुम्हें समझाऊंगा तो तुम मुझे माफ करदोगी और हम दोनों साथ मिलकर सब कुछ ठीक करदेंगे पर मैं गलत था और शायद अब कुछ ठीक नहीं हो सकता।” अयांश ने कहा। 

अपनी बातों में उन दोनों ने ध्यान ही नही दिया की राकेश, नुपुर, रिद्धिमा और कबीर वहीं दरवाजे पर खड़े है। अयांश की बात सुनकर आहना ने  उसका हाथ पकड़ लिया जिसे देखकर नुपुर ने अंदर जाना चाहा पर राकेश ने अपना हाथ दरवाजे पर लगाकर न में सिर हिलाते हुए उसे रोक दिया। नुपुर वही खड़ी गुस्से से आहना को देखने लगी। 

आहना ने अयांश के हाथ को देखते हुए कहा, “अयांश, मैं बस गुस्से में थी जिसकी वजह से मैंने तुम्हें कहा की मैं तुमसे नफरत करती हूँ पर सच ये है की हर पल मैंने तुमसे सिर्फ प्यार किया है। तुम मुझे माफ करदो, अयांश। अभी भी सब कुछ ठीक हो सकता है। आई प्रॉमिस हम इन सब से मिलकर बाहर आएंगे।” 

अयांश ने उसके हाथ से अपने हाथ को छुड़वाया और कहा, “दूर रहो मुझसे। तुम शायद भूल रही हो की मैं मैरिड हूँ।” 

ये सुनकर नुपुर मुस्कुराने लगी। आहना ने अयांश को हैरानी से देखा और कहा, “अयांश…” 

अयांश ने उसकी बात बीच में ही काट दी और गुस्से से कहा, “क्या अयांश हाँ, क्या अयांश…? तुमने ही मुझे याद दिलाया था ना की मैं मैरिड हूँ तो अब ये बात मैं खुद मान रहा हूँ की मैं मैरिड हूँ।” 

आहना रोने लगी और उसने कहा, “अयांश, प्लीज़।” 

अयांश ने उसे देखते हुए अपना सिर हिलाया और कहा, “प्यार के बाद अगर किसी वजह से नफरत हो जाए न, आहना तो उस नफरत के बाद प्यार दोबारा होना मुश्किल होता है।” 

आहना ने इस बार कुछ नही कहा तो अयांश ने कहा, “जाओ यहाँ से। मुझे रेस्ट करना है।” 

आहना ने अयांश को आखिरी बार देखा और वहाँ से बाहर जाने के लिए जैसे ही मुड़ी, उसने देखा कि सब दरवाजे पर खड़े हुए उसे ही देख रहे थे। उसकी नज़र रिद्धिमा और नुपुर पर गई जो कि मुस्कुरा रही थी। अयांश ने भी उन सबको देखा पर वो खामोश रहा। 

आहना जैसे ही वहाँ से जाने लगी, राकेश ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकने चाहा पर आहना वहाँ नही रुकना चाहती थी इसलिए अपना हाथ छुड़वाकर वहाँ से चली गई। कबीर भी उसके साथ चले गए। राकेश भी आहना के पास जाना चाहते थे पर अयांश को देखते हुए उन्होंने खुद को रोक लिया और वार्ड के अंदर आ गए। उनके साथ रिद्धिमा और नुपुर भी चली आई। राकेश ने प्यार से अयांश के गाल को छूते हुए पूछा, “कैसे हो तुम?” 

अयांश को उस वक्त यकीन नही हुआ की राकेश उससे बात कर रहे है फिर भी उसने कहा, “मैं ठीक हूँ, पापा।” 

राकेश ने अयांश से आहना के बारे में कोई बात नही की क्योंकि वो नुपुर के सामने आहना के बारे में कोई बात नही करना चाहते थे। 

***

कबीर आहना को अस्पताल से घर ले आए। घर पहुँचकर आहना सीधे अपने कमरे में गई। वो दरवाजा बंद करके वहीं दरवाजे के सहारे बैठ गई और अपने घुटनों को पकड़कर रोने लगी। रोते हुए उसकी नज़र अयांश की उस पेंटिंग पर गई जिसे उसने बनाया था। 

वो उठकर उस पेंटिंग के पास आई और उसे अपने हाथ में पकड़कर रोते हुए कहने लगी, “मैं जानती हूँ तुम मुझसे नफरत नही कर सकते। तुम बस नाराज हो मुझसे पर कोई नही, मैं मना लूंगी तुम्हें। जानती हूँ गलती हम दोनों से हुई है और अब हम इसे मिलकर ठीक करेंगे। हम मिलकर सब कुछ ठीक करदेंगे।” 

उसने उस पेंटिंग को अपने गले से लगा लिया और बेड पर बैठकर अयांश के बारे में सोचने लगी। 

***

अयांश को अपना ध्यान रखने का कहकर राकेश रिद्धिमा के साथ अस्पताल से घर जाने के लिए निकल गए। उनके जाते ही नुपुर अयांश के सामने बैठी और उसने कहा, “याद है मैंने तुमसे रिसेप्शन वाले दिन कहा था की तुम अभी आहना से जितना प्यार करते हो एक दिन उतनी ही नफरत करोगे और देखो, आज तुम्हें आहना से नफरत हो ही गई।” 

अयांश ने नुपुर से कुछ नही कहा और उसे देखते हुए मन ही मन में सोचा, “गलतफहमी है ये तुम्हारी नुपुर। अयांश अपनी आहना से नाराज़ जरूर रह सकता है पर उससे नफरत कभी नही कर सकता।”

Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 27

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