Tuesday 21 May 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 21

 


अयांश कैब लेकर अपने अपार्टमेंट में पहुँचा। समीर उस वक्त घर पर नही था। अयांश कमरे में आकर रोने लगा। वो आहना से बात करना चाहता इसलिए उसने आहना का नम्बर मिलाया। 


“हेलो, अयांश।” आहना की आवाज सुनकर वो रोने लगा। उससे कुछ बोला ही नही गया। आहना उसकी रोने की आवाज सुनकर परेशान हो गई और पूछा, “क्या हुआ है, अयांश?”


अयांश ने बिना कुछ भी कहे फोन काट दिया और रोने लगा। कुछ देर बाद किसी ने उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया। उसने उठकर दरवाजा खोला तो सामने नुपुर खड़ी थी। उसे वहाँ देखकर अयांश को गुस्सा आ गया और उसने कहा, “तुम यहाँ क्या कर रही हो?” 


“मैं बताने आई हूँ की मैं हमारी शादी के लिए सारी फॉर्मेलिटी पूरी करने के लिए कोर्ट जा रही हूँ। तुम फ्राइडे को तैयार रहना।” नुपुर ने कहा। अयांश ने कोई जवाब नही दिया बस जोर से दरवाजा बंद कर दिया। 


***


आहना ऑफिस में काम कर रही थी पर उसका मन काम में नही लगकर अयांश के बारे में सोचे जा रहा था। कल रात से ही आहना परेशान थी इस बारे में सोचकर की अयांश ने उसे फोन करके उससे बात क्यों नही की और वो रो क्यों रहा था। उसने सोचा कि उसे राकेश से इस बारे में बात करनी चाहिए। वो उठकर उनके केबिन की तरफ चली गई। 


आहना ने राकेश के केबिन का दरवाजा खोला तो देखा राकेश और कबीर वहाँ लगे सोफों पर तीन आदमियों के साथ बैठे है जिन्हें आहना नही जानती थी। उसे वहाँ देखकर राकेश ने कहा, “आहना, अंदर आ जाओ बेटा।” 


आहना अंदर चली आई तो वो तीनों आदमी उसे देखकर मुस्कुराते हुए खड़े हो गए। कबीर आहना के पास आए और कहा, “आहना, ये तीनों तुम्हारे मामा है।” 


कबीर की बात सुनकर आहना डर गई और उसने उन तीनों को देखकर कहा, “आप लोग यहाँ क्यों आए है? आप अगर यहाँ मेरे से वो प्रॉपर्टी लेने आए है जो नानाजी ने मम्मी को दी थी तो चले जाइए यहाँ से। मैं आपको प्रॉपर्टी के पेपर्स पर कभी साइन नही दूंगी अपने और अगर आपने ऑर्फेनेज या ओल्ड एज होम को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की तो मैं पुलिस में आपकी कंप्लेंट करदूंगी।” 


उसके बड़े मामा मुस्कुराते हुए उसके पास आए और कहा, “हम तुमसे कुछ भी वापिस लेने नही आए है बेटा। वो सब तुम्हारा है। हम तो बस यहाँ अपनी बहन की आखिरी निशानी को देखने आए है।  जब तक तुम्हारे नानाजी थे, तब तक हम अंजलि को वापिस नही ला सकते थे क्योंकि वो अंजलि से नफरत करने लग गए थे। उनकी मौत के बाद हमने अंजलि को ढूंढना शुरू किया और एक साल बाद हमें पता चला की अंजलि ने दूसरी शादी कर ली है और तुम भी इस दुनिया में आ गई हो। उस वक्त हम ये जानकर खुश थे की अंजलि ठीक है और अपनी जिंदगी में खुश है।” 


उनकी आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने कहा, “अंजलि मुझसे मिली थी एक दिन।” कबीर ने जैसे ही ये सुना उन्होंने हैरानी से उनकी तरफ देखा तो उन्होंने कबीर को देखकर कहा, “उसने मुझसे कहा था की मैं किसी को न बताऊं की हम मिले थे। उसके चार साल बाद पता चला की अंजलि हमारे बीच नही रही।” 


उन्होंने अपने आँसू पोंछे और कहा, “मुझे तुम्हारी फिक्र होने लगी की तुम ठीक होगी या नही। मैंने तुमसे कभी मिलने की कोशिश तो नही की पर तुम्हारी खबर जरूर रखता था मैं।” उन्होंने आहना के सिर पर हाथ रखा और फिर कहा, “तुम बिल्कुल अंजलि जैसी हो। हमेशा खुश रहना और अपना ख्याल रखना। हमें अब चलना चाहिए।” 


उसके बाकी दोनों मामा ने भी उसके सिर पर हाथ रखा और वो सब वहाँ से चले गए। 


कबीर को कुछ जरूरी काम था इसलिए वो भी बाहर चले गए। उनके जाते ही आहना ने राकेश से कहा, “अंकल, मुझे आपसे अयांश के बारे में कुछ बात करनी है।” 


“बताओ क्या बात है?” राकेश ने अपनी कुर्सी पर बैठते हुए पूछा। 


“अंकल, कल रात मुझे अयांश का फोन आया था पर उसने मुझसे कोई बात नही की और वो रो रहा था। मुझे बहुत टेंशन हो रही है उसकी” आहना की बात सुनकर राकेश को हैरानी हुई और उन्होंने कहा, “तुम परेशान मत हो बेटा। मैं बात करता हूँ अयांश से।” 


“जी अंकल।” कहकर आहना उठकर उनके केबिन से बाहर आ गई। राकेश ने अयांश को फोन लगाया पर अयांश ने उनका फोन नही उठाया। 


अयांश अब सबसे बहुत कम बात करने लगा। वो ना आहना का फोन ज्यादा उठाता न ही समीर से ज्यादा बात करता। आहना को समझ नही आ रहा था की अयांश ऐसा क्यों कर रहा है। वहीं राकेश भी उसे लेकर परेशान थे पर वो कुछ नही कर सकते थे क्योंकि अयांश उनके फोन भी नही उठा रहा था। आहना और राकेश को बस अब अयांश के लौटने का इंतजार था। इन सब में अगर कोई खुश था तो वो थी रिद्धिमा और नुपुर क्योंकि वो जो चाहती थी वो होने जा रहा था। 


फ्राइडे को अयांश नुपुर के साथ कोर्ट में खड़ा था। समीर और अमीषा भी आए हुए थे। समीर को हैरानी हो रही थी की अयांश अचानक से नुपुर के साथ शादी क्यों कर रहा है अगर वो आहना से प्यार करता है। उसे बहुत गुस्सा भी आ रहा था अयांश के ऊपर पर वो चुप रहा। 


नुपुर ने मुस्कुराते हुए रजिस्टर पर साइन कर दिए और पैन अयांश को थमा दिया। अयांश चुपचाप अपने हाथ में पकड़े पैन को देखे जा रहा था। आहना का चेहरा उसकी नजरों के सामने आने लगा। उसने अपनी आँखें बंद करली और सोचा, “आई एम सॉरी, आहना। तुम्हारे लिए मुझे ये करना होगा।” 


उसने अपनी आँखें खोली और रजिस्टर पर साइन कर दिए। उसके बाद अमीषा ने नुपुर की तरफ से और समीर ने अयांश की तरफ से गवाह बनकर साइन कर दिए। साइन करके समीर वहाँ से जल्दी से बाहर आ गया। अयांश भी उसके पीछे आया और उसे रोकते हुए कहा, “समीर, मैं जानता हूँ तू गुस्सा है मुझसे बस एक बार मेरी बात सुन ले।” 


समीर ने उसे देखा और कहा, “मैं नही जानता तूने ये क्यों किया पर तूने आहना के साथ अच्छा नही किया। एक बार भी नही सोचा तूने उसके बारे में। ये सिला दिया है तूने उसे उसके प्यार और इंतजार का। वो वहाँ खुशी के साथ तेरे आने का इंतजार कर होगी की क्योंकि वो तुझे अपना प्यार समझती है और तेरे साथ रहना चाहती है पर उसे क्या पता की उसका प्यार उसके साथ रहने नही बल्कि उससे दूर होकर उसके पास आ रहा है।” 


“समीर ये…” अयांश ने जैसे ही कहना चाहा समीर ने उसे बीच में ही रोकते हुए कहा, “क्या समीर हा, क्या समीर? देख इतना तो मैं भी जानता हूँ की तेरे इस डिसीजन से तुझे भी उतनी ही तकलीफ हो रही है जितनी आहना को होगी क्योंकि ये डिसीजन लेना तेरे लिए आसान नही रहा होगा। अब बस इतना जानना चाहता हूँ की क्यों किया तूने ये सब अपने और आहना के साथ?” 


“मैं ये तुझे नही बता सकता।” अयांश ने कहा। 


“तुझे बताना होगा, अयांश। बता मुझे क्यों किया तूने ये सब?” समीर ने गुस्से में अयांश की बाहों को पकड़ते हुए उसे देखकर पूछा। समीर के बार बार पूछने पर अयांश ने चिल्लाकर कहा, “आहना के लिए ही किया है यार मैंने ये सब। आहना के लिए ही किया है।” 


अयांश की आँखों में आँसू आ गए। समीर ये सुनकर हैरान था। वो अयांश से कुछ कहता इससे पहले ही उसके कान में एक आवाज पड़ी, “उफ्फ, सच अ ड्रामा।” 


समीर और अयांश ने देखा तो वहाँ नुपुर खड़ी थी अमीषा के साथ। उसे देखते ही अयांश को गुस्सा आ गया तो उसने समीर से कहा, “घर चलते है। वहाँ मैं तुझे सब कुछ बताऊंगा।” 


घर पहुँचकर अयांश समीर को अपने कमरे में लेकर गया और उसे सब कुछ बता दिया कि नुपुर ने उसके साथ क्या किया और कैसे उसे धमकाया की अगर उसने उससे शादी नही की वो आहना की जिंदगी बरबाद करदेगी। समीर को ये सब जानकर बहुत दुख हुआ की अयांश ने उसे एक बार भी ये सब नही बताया और अकेले ही सब कुछ सहता रहा।


“आसान नही था यार पर मेरी आहना की जिंदगी के लिए मुझे ये करना पड़ा। वो मेरी लाइफ है यार। अपनी लाइफ को बचाने के लिए ही मुझे अपनी लाइफ को अपनी लाइफ से बाहर करना पड़ रहा है।” अयांश की आँखों से आँसू निकलकर गाल पर बह गया। ये देखकर समीर ने उसे गले लगा लिया और कहा, “तूने एक बार तो मुझे ये सब बताया होता। इतने दिनों से सब कुछ अकेले ही सहा तूने।”


“मुझे खुद कुछ समझ नही आ रहा था। मैं बस ये जानता था की मैं अपनी आहना को तकलीफ में नही देख सकता।” अयांश ने उससे अलग होते हुए कहा। 


समीर ने अयांश की आंखों में देखा और कहा, “आहना को तो अभी भी तकलीफ होगी यार। नुपुर जो भी उसके साथ करती, आहना उन सबको सह लेती क्योंकि तू उसके पास होता पर वो यह तकलीफ कैसे बर्दाश्त करेगी की तू उसका नही रहा अब।” 


Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 22

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