Saturday 6 April 2024

मैं तुम्हारे रंग में रंगने लगी हूं



सब कहते है मैं पहले जैसे नहीं रहने लगी हूं, 

पर उन्हें नही पता, 

मैं तुम्हारे रंग में रंगने लगी हूं। 


जिसे पजामा पहने रखना सबसे अच्छा लगता था, 

अब वो खुदको सूट और दुपट्टे में सबसे ज्यादा प्यारी लगती है,

जिसे पसंद नहीं था कभी इतना सजना संवरना 

तुम्हारे साथ खूबसूरत लगने के लिए अब वो सजती है, 

वो काजल, झुमके और बिंदी के बिना रोज खुदको अधूरी सी लगती है, 

सबको लगता है कि मैं निखरने लगी हूं,

पर सच यह है की मैं तुम्हारे रंग में रंगने लगी हूं।


जिसे पसंद नही था शोर कभी, 

अब अपनी पायल की आवाज से वो खुश होती है,

और चूड़ियों की खंखनाहट उसे अच्छी लगती है, 

जिसे आदत नही थी किसी से ज्यादा बात करने की, 

वो अब तुम्हे दिल की सारी बाते बता देती है, 

वो हर वक्त तुम्हारे बारे में सोचती रहती है, 

सबको लगता है की मैं खोई खोई सी रहने लगी हूं, 

पर वो नही समझते, 

मैं तुम्हारे रंग में रंगने लगी हूं। 


जिसे सबसे ज्यादा कॉफी पसंद थी, 

अब वो चाय पीने लगी है,

गुस्सा रहती थी जो हर वक्त, 

अब बेवजह हर वक्त मुस्कुराने लगी है, 

सब कहते है कि मैं बदलने लगी हूं, 

पर मैं जानती हूं, 

की मैं तुम्हारे रंग में रंगने लगी हूं।


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