Saturday 6 April 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 5


अयांश आहना को छोड़कर अपने घर पहुँचा तो देखा उसकी मां, रिद्धिमा अभी तक जाग रही थी। अयांश ने उनसे अभी तक जागने की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि वो उससे कुछ बात करना चाहती है इसलिए जाग रही है। अयांश सोचने लगा की ऐसी क्या बात है जिसके लिए रिद्धिमा अभी तक जाग रही है। वो उनके सामने सोफे पर बैठ गया तो रिद्धिमा ने उसे देखकर पूछा, “आज तुम्हारे साथ जो लड़की थी। वो कौन थी?” 


ये सुनकर अयांश ने हैरानी से रिद्धिमा को देखा और पूछा, “आप मुझ पर नज़र रख रही है।” 


“मेरे सवाल का जवाब दो, अयांश।” रिद्धिमा ने गुस्से में कहा।


“मैं आहना के साथ था।" अयांश ने उनके सवाल का जवाब देते हुए कहा। 


“अयांश, तुम्हें पता है ना कि मुझे वो लड़की नही पसंद। फिर भी तुम उसके साथ थे।” रिद्धिमा ने अयांश को गुस्से से देखते हुए कहा। 


“मम्मी, मैं उससे प्यार करता हूँ और एक बार जब आप उसे अच्छी तरह से जान जाएंगी तो आप भी उसे पसंद करेंगी। मैं नही जानता आपको आहना से क्या प्रॉब्लम है पर मेरी खुशी आहना है और मैं उम्मीद करता हूँ की आप उसे मेरे लिए तो एक्सेप्ट कर ही लेंगी।” अयांश ने कहा और उठकर ऊपर अपने कमरे में जाने लगा।


“मैं उस आहना को कभी एक्सेप्ट नही करूंगी।” रिद्धिमा ने अयांश को जाते देख गुस्से में दबी आवाज में कहा। 


अयांश ने अपने कमरे में आकर कपड़े बदले और बिस्तर पर लेट गया। उसने रिद्धिमा की बातों के बारे में ज्यादा नही सोचा और आहना के साथ बिताए समय के बारे में सोचने लगा। उसने अपने फोन से आहना का नंबर मिलाया।


“हेलो।” आहना की प्यारी सी आवाज़ उसके कान में पड़ी। 


“क्या कर रही हो, मेरी टेडी बियर?" अयांश ने मुस्कुराते हुए पूछा। 


“तुम्हें याद कर रही थी।" आहना ने प्यार से कहा। 


वो दोनों देर रात तक एक दूसरे से बातें करते रहे।


आहना और अयांश अब साथ में सबसे ज्यादा वक्त बिताने लगे। कॉलेज में दोनों क्लासरूम में एक साथ बैठते थे और दोनों एक साथ खुश रहने लग गए थे। 


दिवाली वाले दिन अयांश नाश्ता करने के बाद अपने कमरे में जाकर तैयार होने लगा। उसने लाल रंग का कुर्ता पहना और सफेद रंग का पाजामा, बाल सेट किए, परफ्यूम लगाया और खुदको आईने में देखकर कमरे से बाहर आ गया। वो नीचे आया तो देखा की सब अपने अपने कामों में लगे है। रिद्धिमा सबसे कहकर घर सजवा रही थी और राकेश लिविंग रूम में बैठे किसी से फोन पर बात कर रहे थे। 


अयांश उनकी तरफ आया और सोफे पर बैठ गया। राकेश ने फोन काटा और अयांश को देखते हुए कहा, “अयांश, जाओ जाकर कबीर अंकल और आहना को ले आओ।” 


“जी पापा।” कहते हुए अयांश उठा और गाड़ी की चाबी लेकर घर से बाहर आया। उसने गाड़ी स्टार्ट की और आहना के घर जाने के लिए निकल गया। 


जल्दी ही वो आहना के घर पहुँच गया। वो गाड़ी से नीचे उतरकर अंदर जाने ही वाला था पर उसके कदम वही रुक गए क्योंकि उसके सामने ही आहना थी जो स्टूल पर खड़े होकर दरवाजे पर फूलों की माला लगा रही थी। 


आहना ने लाल रंग का सूट पहन रखा था। हाथो में लाल रंग की चूड़ियां, कानों में झुमके, होठों पर रेड लिपस्टिक, माथे पर छोटी सी बिंदी में वो बहुत ही प्यारी लग रही थी। साथ ही हल्का सा मेक अप और उसके लंबे खुले बाल उसकी खूबसूरती को और भी ज्यादा बड़ा रहे थे। अयांश मुस्कुराते हुए उसे ही देखता जा रहा था और फिर बहुत खुश हो गया जब उसे एहसास हुआ की उसने और आहना ने एक ही रंग के कपड़े पहने हुए थे। 


आहना की नजर उसपर पड़ी तो उसने उसे आवाज लगाते हुए कहा, “अयांश, तुम वहाँ क्यों खड़े हो? अंदर आ जाओ।” 


अयांश की तंद्रा टूटी और वो उसकी तरफ चला आया। आहना स्टूल से नीचे उतरने लगी पर उसका पैर मुड़ गया। इससे पहले की वो नीचे गिरती, अयांश ने उसे पकड़कर गिरने से बचा लिया। 


कबीर आहना को बुलाने बाहर आए तो बाहर का नजारा देखकर हैरान रह गए। अयांश आहना को अपनी बाहों में थामे खड़ा था। उसके दोनो हाथ आहना की कमर पर थे और आहना ने अपने दाएं हाथ को उसके सीने पर रखा हुआ था और अपने बाएं हाथ से उसके कंधे को पकड़ रखा था। 


कबीर ने उन दोनों को आवाज लगाई पर अयांश और आहना पूरी दुनिया से बेखबर एक दूसरे को आँखों में देखे जा रहे थे। 


इस बार कबीर ने उनके पास आकर खांसने का नाटक किया तो अयांश और आहना ने उनकी तरफ देखा। कबीर को देखकर अयांश ने हड़बड़ाते हुए आहना को संभालकर सीधा खड़ा किया। 


आहना शरमाते हुए नीचे देखने लगी। अयांश कबीर के पास गया और उनके पैर छूते हुए कहा, “हैप्पी दिवाली, अंकल।” 


“हैप्पी दिवाली, बेटा। तुम इतनी जल्दी यहाँँ?” कबीर ने पूछा। 


“वो पापा ने भेजा है आपको और आहना को ले जाने के लिए।” अयांश ने कहा। 


“पर दिवाली पार्टी तो शाम में हैं।” कबीर ने कहा तो अयांश मुस्कराने लगा और कबीर को छेड़ते हुए कहा, “अंकल क्या पता पापा का आपके बिना मन न लग रहा हो।” 


कबीर की यही बात अयांश को सबसे ज्यादा पसंद थी की वो बच्चो के साथ बहुत फ्रेंडली रहते थे। अब जब अयांश ने उन्हें छेड़ ही दिया था तो वो भी कहा पीछे रहने वाले थे इसलिए उन्होंने कहा, “राकेश का तो मेरे बिना मन नहीं लग रहा था इसलिए उसने तुम्हे यहाँँ हमे अपने साथ ले जाने के लिए भेज दिया। तुम्हारा किसके बिना मन नही लग रहा था जो तुम राकेश के कहने पर यहाँँ चले भी आए।” 


कबीर की बात सुनकर अयांश इधर उधर देखने लगा। वो समझ चुका था की कबीर उसके और आहना के बारे में बात कर रहे है। आहना जो अब तक चुपचाप उनकी बातें सुन रही थी, कबीर की बात सुनकर वो भी शर्मा गई और उसने कहा, “मैं चेंज करके आती हूं, पापा। फिर चलते है अयांश के साथ।” 


“अरे इतनी तो प्यारी लग रही हो तुम और देखो हम मैचिंग भी कर रहे है।” अयांश ने कहा तो कबीर ने उसे फिर से छेड़ते हुए कहा,“ये कही तुमने पहले से तो पता नही लगा लिया था की आहना भी लाल रंग पहनने वाली है इसलिए तुम भी लाल रंग पहनकर आए हो।” 


“क्या अंकल आप भी।” कहते हुए अयांश झेप गया और नीचे देखने लगा तो आहना ने कहा, “अयांश, मुझे लहंगा पहनना है पार्टी के लिए इसलिए चेंज करने जा रही हूं। तुम अंदर आके बैठ जाओ।” 


“तुम जाके तैयार हो जाओ। मैं यहीं ठीक हूं।” अयांश ने कहा। कबीर भी तैयार होने चले गए। अयांश वही खड़ा आहना की बनाई हुई रंगोली को देखने लगा जो आहना ने फूलों से बनाई थी। कबीर तैयार होकर आए तो उन्होंने उसे अंदर बुला लिया। 


अयांश कबीर से बाते करने लगा की पंद्रह मिनिट बाद पायल बजने की आवाज उसके कानों में पड़ी। उसने सामने देखा जहाँ से आहना चली आ रही थी। उसने नीले रंग का लहंगा पहना हुआ था। साथ ही उसने झुमके और चूड़ियां भी बदल ली थी। वो अयांश को लहंगे में और भी ज्यादा प्यारी लग रही थी। कबीर ने ध्यान दिया की अयांश आहना को ही देखे ही जा रहा था पर इस बार उन्होंने कुछ नही कहा क्योंकि वो पहले ही अयांश को काफी छेड़ चुके थे। 


आहना अपना दुप्पटा संभालते हुए उनके पास आई और कहा, “चले, पापा।” 


“हां बेटा, चलो।” कहते हुए कबीर खड़े हुए। अयांश भी खड़ा हुआ और सभी घर से बाहर आ गए। कबीर के घर लॉक किया और उन दोनों के साथ गाड़ी में आ बैठे। कबीर आगे वाली सीट पर अयांश के साथ बैठे थे और आहना पीछे वाली सीट पर। 


अयांश ने गाड़ी के अंदर लगे शीशे को सही किया जिससे वो पीछे बैठी आहना को शीशे में देख सके। कुछ ही देर बाद, उसने गाड़ी अपने घर के अंदर लाकर रोकी। उसने गाड़ी से उतरकर आहना के लिए गाड़ी का दरवाजा खोला। आहना मुस्कुराते हुए गाड़ी से नीचे उतरी और सभी अंदर आ गए। राकेश खुश होकर उनसे मिले पर रिद्धिमा उनसे बिना मिले अपने कमरे में चली गई। 


आहना ने राकेश के पैर छुए और उन्हें हैप्पी दिवाली कहा। सभी लिविंग रूम में आ बैठे और बातें करने लगे। थोड़ी देर सबसे बाते करने के बाद अयांश अपने कमरे में चला आया। वो आहना को भी अपने साथ लाना चाहता था पर राकेश और कबीर के सामने आहना से कुछ नही कह पाया। 


शाम होते ही घर पर लगाई हुई सभी लाइटें जला दी गई जिससे घर बहुत ही सुंदर लगने लगा। जैसे ही अयांश नीचे आया, उसकी नजर आहना के ऊपर चली गई जो सबके साथ मिलकर घर के बाहर बनी रंगोली में लगे दीए जला रही थी। आहना की पीठ उसकी तरफ थी इसलिए वो अयांश को नही देख पाई। 


अयांश घर से बाहर आया और आहना के सामने बैठकर उसे देखने लगा। आहना का चेहरा लाइटों और दीयों की रोशनी से जगमगा रहा था। उसके अयांश को देखा और फिर वापिस से दीए जलाते हुए पूछा, “तुम यहाँँ ऐसे क्यों बैठे हो?” 


“उस लड़की को देख रहा हूं जो मेरी लाइफ में दीया… नही दीया नही, चाँद… जो मेरी लाइफ में चाँद बनकर अपनी रोशनी से मेरी अंधेरे जैसे लाइफ में खुशियों और प्यार की रोशनी करती है।” अयांश ने अपने गाल पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुए आहना के चेहरे को देखते हुए कहा। 


उसकी बातें सुनकर आहना मुस्कुराने लगी और पूछा, “तुम मेरे साथ फ्लर्ट कर रहे हो?” 


“फ्लर्ट नही, रोमांस कहते है इसे।” कहते हुए अयांश भी उसके साथ वही बैठा दीए जलाने लगा और दोनों मिलकर वही बैठे हँसते हुए बाते करने लगा। 


राकेश और कबीर लिविंग रूम से बाहर आए। उन दोनों की नजर जब अयांश और आहना पर पड़ी तो वो दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा उठे। दीए जलाकर अयांश और आहना अंदर आ गए। 


Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 5


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