Monday 15 April 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 6


अयांश के घर में दिवाली की पार्टी रखी गई थी। शाम होते ही  मेहमान आने लगे तो सभी उनमें बिजी हो गए। राकेश के दोस्त और कुछ ऑफिस के लोग आए हुए थे। राकेश और कबीर उनके साथ बिजी हो गए। अयांश ने भी अपने स्कूल और कॉलेज  के दोस्तों को बुलाया था जिनमें निखिल  भी शामिल था। निखिल ने जब आहना को देखा तो देखता ही रह गया क्योंकि वो भी कहीं ना कहीं आहना को पसंद करने लगा था। अयांश और आहना अपने दोस्तों साथ पार्टी एंजॉय कर रहे थे। वहीं रिद्धिमा ने भी अपने बचपन की दोस्त टीना को बुलाया था। रिद्धिमा टीना से मिली और कहा, “कितना अच्छा लग रहा है तुमसे इतने टाइम के बाद मिलके।” 


“मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है।” टीना ने मुस्कुराकर कहा। 


“जीजाजी और नुपुर नही आए तुम्हारे साथ।” रिद्धिमा ने टीना से पूछा।


“नही, तुम्हें तो पता है उन्हें कहीं भी ज्यादा आना जाना नही पसंद और नुपुर को अपनी फ्रेंड के घर जाना पड़ा।” टीना ने कहा। 


“कोई बात नही। चलो पार्टी एंजॉय करते है।” कहकर रिद्धिमा टीना के साथ गार्डन में आ गई जहाँ पार्टी चल रही थी। उसने टीना को राकेश और अयांश से मिलवाया और फिर उसके साथ बैठकर बातें करने लगी।


अयांश आहना और अपने दोस्तों के साथ मिलकर पटाखे जलाने लगा। आहना को बड़े पटाखों से डर लगता था इसलिए वो सिर्फ फुलझड़िया जला रही थी। सभी पार्टी को अच्छे से एंजॉय कर रहे थे। 


देर होने लगी तो मेहमान खाना खाकर जाने लगे। अयांश और आहना भी एक साथ बैठकर अपने दोस्तों के साथ खाना खा रहे थे। निखिल भी वही बैठा था। सबकी नजर आहना और अयांश पर थी क्योंकी वो दोनों ही खाते हुए बीच बीच में एक दूसरे को देख रहे थे। निखिल  को ये अच्छा नही लग रहा था पर वो चुप रहा। 


रात बहुत हो चुकी थी इसलिए सभी अपने अपने घर चले गए। आहना और कबीर भी राकेश से मिलकर गाड़ी में बैठ गए। इस बार राकेश का ड्राइवर उन्हें घर छोड़ने जा रहा था जबकि अयांश जाना चाहता था पर राकेश ने उसे मना कर दिया। 


एक सुबह आहना सात बजे उठकर अपने घर के हॉल में आई तो देखा कबीर तैयार होकर सोफे पर बैठे हुए थे। वो उनके पास आई और पूछा, “आप कहीं जा रहे है, पापा?” 


“मैं ऑफिस जा रहा हूँ। घर में रहते हुए बोर हो चुका हूँ मैं।” कबीर ने कहा। 


“पापा, आप ऑफिस नही जा सकते।” आहना ने कहा पर कबीर जाना चाहते थे इसलिए उन्होंने आहना को मनाते हुए कहा, “आहना बच्चे, तुम ऐसे ही परेशान हो रही हो मेरे लिए। मैं अब ठीक हूँ और मेरी बात को समझो ना। तीन महीने से ऊपर हो चुके है मुझे घर में रहते रहते। अब मैं बोर होने लगा हूँ।” 


आहना ने एक गहरी सांस ली और कहा, “मुझे पता है अब आप पूरी तरह से ठीक है और कुछ दिन पहले जो डॉक्टर ने टेस्ट किए थे उनमें आपकी सारी रिपोर्ट्स सही आई है पर अभी भी आपको रेस्ट की जरूरत है।” 


“मैं अपना ख्याल रखूंगा, बेटा।” कबीर ने कहा। आहना को पूरे दस मिनिट तक मनाने के बाद उसने कबीर को ऑफिस जाने की परमिशन दे दी ये कहकर की वो ऑफिस में ज्यादा काम नही करेंगे और दवाइयां टाइम पर ले लेंगे जिससे कबीर खुश हो गए और सोफे से उठते हुए कहा, “ठीक है, फिर मैं चलता हूँ ऑफिस। मैं अपना ख्याल रखूंगा। तुम भी अपना ख्याल रखना।” 


“अभी सिर्फ सात बजे है। आप इतनी जल्दी चले जाएंगे।” आहना ने हैरानी से कहा। 


“अरे पूरे तीन महीने बाद ऑफिस ज्वाइन करने जा रहा हूँ। इतनी जल्दी जाना तो बनता है।” कबीर ने एक्साइटेड होकर कहा। 


“नाश्ता तो करके जाइए और अगर आज आप ऑफिस जा ही रहे है तो मुझे कॉलेज भी छोड़ देना। मेरे साथ ही निकलना आप भी।” आहना ने कहा। 


“बेटा, तुम्हें कॉलेज वही ले जाएगा न अपने साथ जो अब तक ले जा रहा था।” कबीर की बात सुनकर आहना उलझन में पड़ गई और पूछा, “आप किसकी बात कर रहे हो?” 


कबीर मुस्कुराए और कहा, “मैं अयांश की बात कर रहा हूं। उसे फोन कर देना। वो आ जाएगा तुम्हें लेने।” 


“पापा, मैं कब तक अयांश को परेशान करूं इन सब के लिए।” आहना की कहा। 


“इसमें उसे क्या परेशान होगी। उसकी जिम्मेदारी हो तुम। आगे चलकर ये सब उसे ही करना है तो अभी से क्यों नही। मैं जा रहा हूँ तुम उसे बुला लेना।” कहते हुए कबीर जल्दी से घर से निकल गए। आहना उनके पीछे गई और उन्हें आवाज लगाई रोकने के लिए पर कबीर गाड़ी में बैठकर निकल गए। 


कॉलेज के लिए तैयार होकर और नाश्ता करने के बाद उसने अयांश को फोन लगाया। अयांश ने पहली रिंग पर ही फोन उठाया और कहा, “हेलो, टेडी बियर।” 


“अयांश, क्या तुम मुझे लेने आ सकते हो। वो पापा को आज पता नही क्या हो गया। अचानक से ऑफिस जाने का बोलने लगे। मैंने उनसे कहा की अब ऑफिस जा ही रहे है तो मुझे कॉलेज भी छोड़ते जाए पर वो सुबह सुबह ही निकल गए ऑफिस के लिए ये कहकर की मैं तुम्हें बुला लूं।” आहना की बात सुनकर अयांश हंसने लगा और कहा, “अंकल बोर हो गए होंगे घर में रहकर। डोंट वरी, मैं तुम्हारे पास ही आ रहा था। दस मिनिट में पहुँच जाऊंगा।” 


अयांश ने फोन काट दिया। आहना किचन में जाकर कबीर के लिए नाश्ता पैक करने लगी ये सोचकर की उन्हें रास्ते में नाश्ता ऑफिस जाकर दे देगी। 


अयांश आ गया तो आहना उससे गले मिली और फिर अपना बैग कंधे पर डालने के बाद कबीर के लिए जिस डिब्बे में उसने नाश्ता पैक किया था, उसे उठाते हुए कहा, “चलो, निकलते हैं कॉलेज के लिए।” 


अयांश ने देखा की आहना ने कोई स्वेटर या जैकेट नही पहन रखा था। आहना बस जींस और फुल स्लीव्स का ऊन से बना स्टाइलिश टॉप पहने हुए थी। उसने आहना को जैकेट पहनने को कहा क्योंकि बाहर बहुत ही ठंड थी। 


“मुझे कुछ नही होगा, अयांश। मैं ठीक हूँ।” आहना ने कहा पर अयांश ने उसकी बात नही मानी और कहा, “मुझे पता है तुम बहुत स्ट्रॉन्ग हो पर तुम्हें जुखाम बहुत जल्दी होता है इसलिए जाकर जैकेट पहनकर आओ।” 


आहना मुंह बनाते हुए अंदर जैकेट पहनने चली गई। वो अपनी हल्के नीले रंग की जैकेट पहन आई और फिर अयांश उसे लेकर कॉलेज के लिए निकल गया। 


“अयांश, कॉलेज से पहले गाड़ी अपने ऑफिस की तरफ लेलो।” आहना ने कहा। 


“ऑफिस क्यों जाना है तुम्हें? कहीं तुमने ऑफिस ज्वाइन करने का तो नही सोच लिया।” अयांश ने हंसते हुए कहा। 


“ऐसा कुछ नही है। मुझे पापा को उनका नाश्ता देना है इसलिए ऑफिस जाना है पहले।” आहना ने कहा तो अयांश ने ओके कहकर गाड़ी ऑफिस जाने वाले रास्ते की तरफ मोड़ दी। 


गाड़ी ऑफिस के सामने आकर रूकी और वो दोनों गाड़ी से उतरकर अंदर राकेश के केबिन की ओर चले आए। अयांश ने राकेश के केबिन का दरवाजा खोला तो वहाँ का नजारा देखने लायक था। राकेश अपनी चेयर पर बैठे थे और उनके ठीक सामने जो कुर्सियां थी, उनमें से एक कुर्सी पर कबीर उनके सामने बैठे हुए थे जिनके सामने टेबल पर प्लेटों में छोले भटूरे, छोले कुल्चे, ब्रेड पकोड़े के साथ और भी खाने पीने का सामान रखा हुआ था। 


कबीर ने छोले भटूरे का एक टुकड़ा तोड़कर अपने मुंह में रखा और कहा, “ये कितना टेस्टी है वरना पिछले दो महीनों से नाश्ते में आहना के बनाए हुए हेल्थी सैंडविच और ओट्स खा खाकर थक गया था। पता नही क्या क्या डालती है आहना उस सैंडविच में। बहुत ही ज्यादा बेकार लगता है वो खाने में।” 


राकेश ने मुस्कुराते हुए कुछ कहने के लिए जैसे ही कबीर को देखा, उनकी नजर दरवाजे पर खड़े आहना और अयांश पर गई। आहना गुस्से से कबीर को देख रही थी।


“बच्ची, इतना ख्याल रखती है तुम्हारा। ऐसा तो मत बोलो उसके बारे में।” राकेश ने आहना को देखकर कहा और कबीर को पीछे देखने का इशारा किया पर कबीर का सारा ध्यान तो सामने पड़े खाने में था। 


“ये तो सच है की वो ख्याल रखती है मेरा पर वो सैंडविच खिलाकर बिल्कुल टॉर्चर करती है मेरे साथ ख्याल रखने के नाम पर।” कबीर ने मुंह बनाते हुए कहा और उसी वक्त आहना केबिन के अंदर आकर बोली, “और इसी सैंडविच वाले टॉर्चर से बचने के लिए आप इतनी सुबह सुबह यहाँँ आ गए।” 


“हाँ, इसलिए ही मैं यहाँँ आ गया नाश्ता किए बिना।” कबीर ने कहा बिना इस पर ध्यान दिए की ये बात किसने कही है पर जब उन्होंने आवाज पर गौर किया, तो जल्दी से कुर्सी से खड़े होकर पीछे मुड़े और देखा की आहना उनके सामने गुस्से में खड़ी उन्हे ही देख रही थी। आहना के पीछे खड़ा अयांश अपनी हँसी को रोकने की कोशिश कर रहा था। 


आहना को ऐसे देखकर कबीर ने जल्दी से कहा, “सैंडविच खाने तो अच्छे होते है और वो भी आहना के बनाए हुए सैंडविच।” 


आहना मुस्कुराते हुए उनके पास आई। “रहने दीजिए पापा, अभी थोड़ी देर पहले ही बहुत तारीफ सुनी है मैने अपनी और अपने सैंडविचेस की, और अब जब आप उनकी इतनी ही तारीफ कर चुके है तो आज भी नाश्ते में वही खाने चाहिए आपको, है ना।” कहकर आहना ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ लंच बॉक्स खोलकर कबीर के आगे रख दिया जिसके अंदर वही सैंडविच रखे हुए थे। 


कबीर ने चिड़ते हुए आहना को देखा और कहा, “बेटा, मैं ये सैंडविच नही खाना चाहता। तुम ही सोचो मेरे सामने इतना अच्छा अच्छा खाना रखा हुआ है ऐसे में मुझसे ये सैंडविच खाए जाएंगे क्या।” 


“सब पता है मुझे पापा पर आप भी ये जानते है कि आपको अभी  डॉक्टर ने ये सब खाने की परमिशन नही दी है।” कहते हुए उसने राकेश को देखा और कहा, “अंकल, आपने भी इन्हें नही रोका ये सब खाने से।” 


“सॉरी बेटा, मैंने कोशिश की थी इसे रोकने की पर इसने मेरी बात सुनी ही नही।” राकेश ने कहा। 


“पापा, ये रहे आपके सैंडविच। इन्हें खाइए आप।” आहना ने कहा। 


कबीर ने आस भरी नजरों से सामने टेबल पर रखी प्लेटों में रखे खाने को देखा और पूछा, “तो फिर ये सब कौन खायेगा?” 


“ये सब हम खालेंगे, अंकल।” कहते हुए अयांश छोले कुल्चे खाने लगा। बस फिर क्या था राकेश, अयांश और आहना मिलकर वो सब कुछ खाने लगे और बेचारे कबीर मुंह बनाकर सैंडविच खाते हुए उन सबको अपना पसंदीदा खाना खाते हुए देखते रहे। राकेश और अयांश को ये देखकर बहुत हँसी आ रही थी जिसे वो दोनों ही कंट्रोल किए हुए थे। 


कबीर को उनका नाश्ता खिलाने के बाद आहना अयांश के साथ वहाँ से कॉलेज के लिए निकल गई। कॉलेज पहुँचकर वो दोनों अपनी क्लास में आ बैठे। टीचर अभी आए नही थे इसलिए वो दोनों बाते करने लगे। 


थोड़ी देर बाद टीचर ने आकर लेक्चर शुरू किया। लेक्चर के दौरान अयांश ने आहना का हाथ पकड़ रखा था। निखिल  का ध्यान जब उनके हाथों पर गया तो उसे गुस्सा आने लगा। वो भी आहना को पसंद करने लगा था और यही कारण था कि वो अयांश को इस तरह आहना का हाथ पकड़े हुए नही देख पा रहा था। 



Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 7

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