मैं जब भी तुम्हारा नाम लूं,
तुम इसे इश्क समझना,
मैं डांटू जब भी तुम्हें,
तुम इसे परवाह समझना,
रात में जब ख्वाबों में आके सताऊं तुम्हें मैं,
तुम इसे मेरी याद समझना,
सुबह जब परेशान करे तुम्हें सूरज की रोशनी,
तुम इसे मेरा एहसास समझना,
जब चाय बनाओ तुम तो उसकी खुशबू को,
तुम मेरी महक समझना,
जब चलोगे इन रास्तों पर,
तुम खुदको अकेले न समझना,
जब पढ़ोगे तुम इसे,
समझना हूं मैं हमेशा तुम्हारे दिल में,
बस तुम मुझे अपना इश्क समझना।
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