उसने इज़हार किया मुझसे अपने एक तरफ़ा प्यार का,
जिसका जवाब उसे पहले से ही मालूम था,
की इंकार उसे मेरा सुनना पड़ेगा,
पर मुझे ये मालूम नहीं था,
कि प्यार में इंकार सुन,
वो दोस्ती को तोड़ने की बातें करने लग जाएगा,
रोकने की कोशिश की मैंने उसे,
क्योंकि जिंदगी भर साथ रहने के वादे दोस्ती में भी होते हैं,
और कहीं ना कहीं प्यार भी दोस्ती में होता है।
हां जानती हूं,
वो दिल की सारी बातें नहीं होंगी हमारे बीच,
पर वो पता है आज क्या हुआ वाली बातें जानने का हक,
दोस्त का सबसे पहले होता है,
एक दूसरे को प्यार से बेशक खाना ना खिला पाए,
पर बिना पूछे एक दूसरे का,
खाना खाने का हक सिर्फ दोस्त का ही होता है,
प्यार के सफ़र से भी ज़्यादा ख़ूबसूरत होता है,
दोस्ती में रहने का सफ़र।
क्योंकि प्यार का रिश्ता तो एक पल के लिए,
भरोसा ना होने की वजह से टूट भी जाता है,
पर दोस्ती हर हाल में साथ रहना सिखा देती है।
इसलिए साथ रहने के लिए प्यार जरूरी नहीं,
क्योंकि साथ दोस्ती में भी रहा जा सकता है।
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