Sunday 31 March 2024

जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 3



अयांश आहना से मिलने उसके घर आया था। जब उसने आहना से उसकी लाइफ के बारे में पूछा तो आहना उदास हो गई और उसने फिर कहा, “तुम जानते ही हो कि मेरी लाइफ कैसी चल रही है। मैं बहुत खुश थी की मेरी लाइफ बदलने वाली है और अब मैं अपने पेंटर बनने के सपने को सच करने के लिए उसपर ध्यान दे पाऊंगी। मुझे लगता था कि अब मैं लाइफ को खुलकर जीना शुरू करूंगी पर अब ऐसा लगता है कि वो सब सिर्फ मेरे सपने थे। हकीकत बहुत अलग है। पिछले एक महीने में मैनें वो लाइफ जी है जिसके बारे में मैनें कभी सोचा भी नही था।” 


“आहना, लाइफ इसी का नाम है। यह हमें हमेशा वही चीजें दिखाएगी जो हम नही देखना चाहते।” अयांश ने उसका हाथ पकड़ कर कहा।


“अयांश, क्या तुम हमेशा मेरे साथ ऐसे ही रहोगे?" आहना ने उसके दूसरे हाथ को अपने हाथ में लेते हुए पूछा। 


“मैं तुम्हारे साथ हमेशा रहूँगा, आहना। तुम्हारे हर एक कदम में तुम्हारी परछाई की तरह रहूँगा मैं और तुम्हें हमेशा खुश रखूंगा।” अयांश ने उसकी तरफ प्यार भरी नजरों से देखते हुए कहा। 


अगले दिन, 


"दवाई ले लिजिए पापा।" आहना ने कबीर को उनकी दवाइयां और पानी का गिलास थमाते हुए कहा।


दवाइयां लेकर कबीर ने आहना को देखा और पूछा, “आहना, मैं तुमसे अपने ऑपरेशन के खर्च के बारे में पूछना चाहता था। हमारे पास पैसे कहाँ से आए बेटा?” 


“पापा, क्या ये ज़रूरी है? आप मेरे साथ है और यही बात है जो इंपोर्टेंट है।” आहना ने कहा। 


“पैसे कहाँ से आए ऑपरेशन के लिए आहना?” कबीर ने फिर से पूछा। 


“राकेश अंकल ने हमारी हेल्प की, पापा।” आहना ने धीरे से कहा।


“तुमने उनसे पैसे क्यों लिए? वह मेरे बॉस हैं।” कबीर चिल्लाए और इससे पहले की आहना उनसे कुछ कहती, उनके कानों में एक आवाज पड़ी। "मैं तुम्हारे बॉस से पहले तुम्हारा दोस्त हूँ।"


आहना ने मुड़कर देखा तो वहाँ राकेश और अयांश खड़े थे। वो जल्दी से उनके पास गई और उसने मुस्कुराकर कहा, "अंकल, आईये ना। आओ अयांश।” 


अयांश उसे देखकर मुस्कुराया और हाल में लगे सोफे पर बैठ गया। राकेश भी कबीर के साथ बैठ गए। आहना उनके लिए चाय बनाने किचन के अंदर चली गई। वो अयांश को देखकर बहुत खुश थी।


“थैंक यू, राकेश।” कबीर ने भावुक होकर कहा। 


“आहना मेरी बेटी की तरह है और मैं अपनी बेटी को परेशान कैसे देख सकता था।” कहते हुए राकेश ने अयांश की तरफ देखा और उससे कहा, "अयांश, बेटा मुझे कबीर से अकेले में कुछ बात करनी है। तुम आहना के पास जाओ।” 


अयांश मुस्कुराकर वहाँ से किचन की तरफ चला गया और दरवाजे पर जाके रूक गया। जब आहना ने अयांश को दरवाजे पर खड़ा देखा तो वह मुस्कुराई और उसे अंदर आने के लिए कहा।  


***


उधर हॉल में,


“मुझे उम्मीद है कि तुम्हें अपना वादा याद होगा।” अयांश के जाते ही राकेश ने कबीर से पूछा। 


कबीर ने हाँ में अपना सिर हिलाया और कहा, “मुझे अपना वादा याद है लेकिन आहना की मर्जी के बिना मैं कुछ भी नही करूंगा। अगर वो तैयार होगी तो मैं भी तैयार हूँ। तुम्हें भी अयांश से बात करनी होगी इस बारे में।” 


“मुझे पता है कि वो दोनों तभी तैयार होंगे जब उनकी पढ़ाई पूरी हो जाएगी पर मैं उन्हें जल्द से जल्द इस बारे में बता देना चाहता हूँ जिससे वो दोनों अपनी जिंदगी में किसी और को ना लाए। तुम समझ रहे हो ना कबीर मैं क्या कहना चाह रहा हूँ।” कहकर राकेश ने कबीर की तरफ देखा।


जब आहना की माँ की मौत हुई थी, तब कबीर अपनी बेटी के भविष्य के बारे में सोचकर बहुत परेशान थे की वो उसकी माँ के बिना उसे कैसे संभालेंगे और कैसे उसकी शादी करवा पाएंगे। उस समय राकेश ने उनकी बहुत मदद की थी और उनसे कहा था कि जब अयांश बड़ा हो जाएगा तब वो अयांश की शादी आहना से करना चाहते है हालाकि अयांश की माँ, रिद्धिमा आहना से नफरत करती है लेकिन फिर भी राकेश चाहते है कि आहना ही उनकी बहू और अयांश की पत्नी बने।


“मैं समझ रहा हूँ। मैं आज ही आहना से इस बारे में बात करूंगा।” कहते हुए कबीर हल्का सा मुस्कुरा दिए। 


***


किचन में आहना सबके लिए चाय बना रही थी और अयांश उसे बड़े ही प्यार से चाय बनाते हुए देख रहा था। आहना ने उसे देखा और पूछा, “तुम यहाँँ ऐसे क्यों खड़े हो। तुम्हें कुछ चाहिए क्या?” 


“हाँ, तुम्हारा टाइम चाहिए।” अयांश ने बड़ी सी मुस्कराहट के साथ कहा। 


“और तुम्हें मेरा टाइम क्यों चाहिए?” आहना ने प्लेट में बिस्किट रखते हुए शरारत से पूछा।


“आहना, मैं तुम्हें सन्डे को डेट पर ले जाना चाहता हूँ।” अयांश ने अचानक कहा जिसकी वजह से आहना ने उसकी तरफ हैरान होकर देखा। 


“चा…चाय तैयार है। चलो।” आहना ने चाय के कप ट्रे में रखे, ट्रे पकड़ी और हाल में चली आई जहाँ राकेश और कबीर बैठे बाते कर रहे थे। उसने ट्रे टेबल पर रखी और एक कप राकेश को दे दिया। राकेश ने चाय का एक घूंट भरा और मुस्कुराकर कहा, “चाय बहुत अच्छी बनी है, आहना।”


“थैंक यू, अंकल।” आहना ने कहा। राकेश ने उसे अपने पास ही बैठा लिया। 


“अच्छा कबीर, अगले महीने दिवाली है और इस बार दिवाली मैं आहना के साथ मनाना चाहता हूँ। घर पर दिवाली की पार्टी रखी है।  तुम अभी गाड़ी नही चला सकते क्योंकि तुम अभी पूरी तरह से ठीक नही हुए हो इसलिए मैं अयांश को भेज दूंगा की तुम्हें लेने आ जाए। तुम आ जाना आहना के साथ।” राकेश ने कहा। 


“जरूर अंकल, हम आएंगे। मुझे भी अच्छा लगेगा दिवाली आपके साथ मनाकर।” आहना ने खुश होते हुए कहा। 


थोड़ी देर बाते करने के बाद राकेश और अयांश चले गए। उनके जाने के बाद आहना रात के खाने की तैयारी करने लगी। रात के खाने के बाद और कबीर को दवा देने के बाद, वह अपने कमरे में जाने ही वाली थी कि कबीर ने उसे रोक लिया और अपने पास बैठने को कहा। 


“आपको कुछ चाहिए, पापा?” आहना ने बैठते हुए पूछा।


“तुमसे एक बात करनी है बेटा।” कबीर ने आहना के हाथ को अपने हाथ में लेकर कहा। 


आहना हल्का सा मुस्कुराई और कहा, "कहिए पापा, क्या बात है?" 


कबीर ने उसे देखा और पूछा, “तुम्हें अयांश कैसा लगता है, बेटा?” 


“पापा, आप अचानक से ये सवाल क्यों पूछ रहे है?” वह हैरान थी क्योंकि आज शाम में ही अयांश ने उसे अपने साथ डेट पर चलने के लिए कहा था और अब कबीर उससे ये सवाल पूछ रहे थे। 


“मेरे सवाल का जवाब दो, बेटा। क्या तुम उसे पसंद करती हो?” कबीर ने बड़े ही प्यार से पूछा। 


“वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है, पापा। मैं उसे क्यों पसंद नही करूंगी।” आहना ने असमझ की स्थिति में कहा।


कबीर ने एक गहरी सांस ली और कहा, “मैं तुमसे यह बात छिपाना नही चाहता। मैं चाहता हूँ कि तुम अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अयांश से शादी कर लो। तुम्हारे राकेश अंकल भी यही चाहते है की तुम उनकी बहू बनो क्योंकि अयांश उनका एक लौता बेटा है और उन्हें लगता है कि अयांश को सिर्फ तुम संभाल सकती हो इसलिए वो किसी और लड़की को अपनी बहु नही बनाना चाहते।” 


अब आहना को सब कुछ समझ आ रहा था। क्यों अयांश हमेशा उसकी चिंता करता था? क्यों उसने कबीर के ऑपरेशन में उनकी मदद की? राकेश आज यहाँँ क्यों आए और अयांश ने उसे डेट पर चलने के लिए क्यों कहा? उसे इस वक्त बहुत गुस्सा आ रहा था ये सोचते किए कि किसी ने भी उससे नही पूछा कि वो क्या चाहती है फिर भी उसने कबीर के आगे खुदको शांत रखा। 


वो बचपन से अयांश को पसंद करती है और उससे शादी भी करना चाहती है लेकिन वो चाहती है कि अयांश उसे प्रपोज करे, ताकि उसे पता चल सके कि अयांश भी उसके लिए वैसा ही महसूस करता है जैसा वो महसूस करती है अयांश के लिए पर अब उसे लग रहा था कि अयांश उसे डेट पर सिर्फ इसलिए लेकर जाना चाहता है और उससे शादी भी सिर्फ इसलिए करेगा क्योंकि राकेश ऐसा चाहते है जिसका मतलब होगा कि उनकी शादी में प्यार की कोई जगह नहीं होगी।


आहना ने खुदको शांत रखने के लिए एक गहरी सांस ली और कबीर को कंबल ओढ़ाते हुए कहा, “पापा, मैं अभी शादी के बारे में बिल्कुल नही सोचना चाहती हूँ भले ही आप चाहे कि मैं पढ़ाई पूरी करने के बाद ही शादी करूं इसलिए आप आराम करे और किसी भी चीज के बारे में न सोचे अभी।” 


कबीर के कमरे की लाइट बंद कर वह अपने कमरे में चली आई। वो अपने बेड पर लेटकर कबीर की बातों और अयांश के बारे में सोचने लगी। कुछ देर बाद उसका फोन बजा। उसने फोन हाथ में लिया और देखा की स्क्रीन पर अयांश का नाम लिखा आ रहा था। जैसे ही उसने फोन उठाया, अयांश की खुशी से भरी आवाज उसके कान में पड़ी। “हैलो, आहना।” 


“तुम मुझे इस वक्त क्यों फोन कर रहे हो, अयांश?” आहना ने हल्के से गुस्से में पूछा।


“तुम नाराज हो क्या?” अयांश ने धीरे से पूछा। 


“अयांश, मुझे सच सच बताओ। तुम मुझे डेट पर क्यों लेकर जाना चाहते हो?” आहना ने पूछा। 


“मैं तुम्हें डेट पर इसलिए ले जाना चाहता हूँ क्योंकि मैं तुम्हें पसंद करता हूँ।” अयांश ने कहा। 


“क्यों झूठ बोल रहे हो, अयांश। तुम मुझे पसंद नही करते। तुम मुझे डेट पर सिर्फ इसलिए लेकर जाना चाहते हो क्योंकि राकेश अंकल चाहते है कि तुम मुझसे शादी करलो।” आहना ने गुस्से में कहा जिसे सुनकर अयांश हैरान हो गया। 


Continued in जिंदा रहती है हमेशा मोहब्बतें - 4



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