Saturday 5 October 2024

अनकहे इश्क़ की दास्तां


हमारा इश्क़ ऐसा था, 

जिसका इज़हार हम चाहते हुए भी,

कभी ना कर पाए, 

बस थमाकर अपनी मोहब्बत का हाथ,

किसी और के हाथों में, 

हम अपने अनकहे इश्क की दास्तां को,

अधूरा छोड़ आए, 

पता भी था कि जिंदगी भर मलाल रहेगा, 

कि सबकी खुशी के बारे में सोचकर, 

हम अपनी मोहब्बत को, 

बिना कुछ कहे किसी और के नाम पर आए,

हमारे अपनों के दिल ना टूटे, 

इसलिए हम अपना दिल तुड़वा आए, 

हम अपने अनकहे इश्क की दास्तां को,

अधूरा छोड़ आए।


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